असम का बैम्बू आर्ट देशभर में काफी लोकप्रिय है। कई स्थानीय कलाकार, इसके ज़रिए ही अपना घर चलाते हैं। लेकिन समय के साथ स्थानीय कला को छोड़कर, युवा शहर की तरफ नौकरी की तलाश में पलायन कर रहे हैं। ऐसे में शिवसागर (असम) के बोकजन गांव के 19 वर्षीय सौरव नाथ ने पढ़ाई के साथ असम की पारम्परिक बैम्बू आर्ट को न सिर्फ अपनाया है, बल्कि इसे नया और मॉर्डन रूप देकर दुनियाभर में मशहूर करने के लिए काम भी कर रहे हैं।
‘सौरव बैम्बू आर्ट’ नाम से उनका एक यूट्यूब चैनल भी है, जिसपर वह अलग-अलग तरह के बैम्बू प्रोडक्ट्स बनाना सिखाते हैं। सौरव 16 साल की उम्र से ही बांस से चीज़ें बना रहे हैं। द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह कहते हैं, “बैम्बू आर्ट एक बेहद ही मुश्किल कला है, जिसे सही ट्रेनिंग से ही सीखा जा सकता है। बैम्बू की कटिंग से लेकर इसे किसी आकृति में ढालने तक के लिए प्रैक्टिस की बेहद ज़रूरत होती है। बिना ट्रेनिंग के इसे कोई बना नहीं सकता।”
असम के बैम्बू मैन से ली ट्रेनिगं
यूं तो सौरव के पिता पेशे से किसान हैं, लेकिन वह भी ऑर्डर मिलने पर बैम्बू से कुछ क्राफ्ट बनाया करते थे। हालांकि, उनका मानना था कि सिर्फ बैम्बू आर्ट के दम पर घर नहीं चलाया जा सकता। सौरव ने बताया, “मेरे पिता मुझे हमेशा सरकारी नौकरी करने की सलाह देते हैं। लेकिन मुझे बैम्बू से क्रिएटिव चीज़ें बनाना बेहद पसंद है।”
इस शौक के कारण ही उन्होंने अपनी दसवीं की परीक्षा के बाद, असम के बैम्बू मैन मोहन सैकिआ (Mohan Saikia) से दो महीने की ट्रेनिंग ली थी। उन्होंने उनसे बैम्बू का सोफा बनाना सीखा था, जिसके बाद धीरे-धीरे उन्होंने खुद कोशिश करके कई चीज़ें बनाईं।
सबसे पहले उन्होंने अपने घर के लिए बैम्बू से फर्नीचर बनाया। सौरव के हुनर को देखकर, उन्हें कुछ रिश्तेदारों और दोस्तों ने बैम्बू का फर्नीचर बनाने का ऑर्डर भी दिया। इस तरह उन्हें धीरे-धीरे कुछ छोटे-मोटे ऑर्डर्स नियमित मिलने लगे।
वह कहते हैं, “मुझे यह काम अच्छा लगता था, इसलिए मुझे काम करने में मज़ा आने लगे। पहले मैंने इस बिज़नेस के बारे में ज्यादा गंभीरता से सोचा ही नहीं था। लेकिन अब मैं इसे अपना काम बनाने के बारे में सोच रहा हूँ।”
गांव के कुछ युवाओं को भी सिखाई यह कला
सौरव अपने बैम्बू प्रोडक्ट्स की फोटोज़ और वीडियोज़ सोशल मीडिया पर अपलोड भी करते थे। लेकिन दो साल पहले, जब उन्होंने यूट्यूब पर अपना चैनल शुरू किया, तब उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि लोग इन वीडियोज़ को इतना पसंद करेंगे। सौरव कहते हैं, “यूट्यूब पर वीडियोज़ देखने के बाद मुझे देशभर से कई लोगों ने ऑर्डर देना शुरू किया।”
सौरव जो भी चीज़ें बनाते, उसकी विधि का पूरा वीडियो बनाकर यूट्यूब पर अपलोड करते रहते हैं। जिसे देखकर लोग इस कला को सीख भी सकते हैं। सौरव को नियमित रूप से कुछ न कुछ ऑर्डर्स देशभर से मिलते रहते हैं, लेकिन अपनी पढ़ाई के कारण वह ज्यादा ऑर्डर्स नहीं ले पा रहे हैं।
सौरव ने अपने गांव के दो और युवाओं को यह काम सिखाया है। जब उन्हें कोई बड़ा ऑर्डर मिलता है, तो वह उन्हें काम पर बुला लेते हैं। वह बैम्बू से ऐसी-ऐसी चीज़ें बनाते हैं, जो आप और हम सोच भी नहीं सकते। वह बड़े आराम से बैम्बू की पेन, कटलरी, फ़ोन स्टैंड, बेड, सोफा, लैंप, प्लांटर, साइकिल, छोटी कार जैसी चीजें बना लेते हैं।
सौरव कहते हैं, “मुझे आप कोई मॉडल बताएंगे, तो मैं आराम से उसे बैम्बू से बना दूंगा।”
पढ़ाई के साथ, सालाना एक लाख रुपये तक करते हैं कमाई
सौरव को ये चीज़ें बनाने के लिए बांस, लोकल बाजार से ही मिल जाता है। सौरव कहते हैं, “इस काम की सबसे अच्छी बात यही है कि मुझे सामान लेने के लिए कहीं जाना नहीं पड़ता।”
उन्होंने बताया कि एक सामान्य सोफा बनाने में उन्हें एक महीने का समय लगता है। वह इसे 15 से 20 हजार में बेचते हैं। इस तरह वह आराम से सालाना एक लाख रुपये तक कमा लेते हैं।
आने वाले समय में वह बैम्बू आर्ट के क्षेत्र में ही काम करना चाहते हैं, जिससे वह गांव में रहकर ही रोज़गार को बढ़ावा दे सकें। आप उनके बैम्बू प्रोडक्ट्स के बारे में ज्यादा जानने के लिए उनके यूट्यूब वीडियो देख सकते हैं।
संपादनः अर्चना दुबे
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