जयंतराव सलगांवकर ने 70 के दशक में ‘कालनिर्णय’ कैलेंडर की शुरुआत की थी। आज यह नौ भाषाओं (मराठी, अंग्रेजी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, तमिल और तेलुगु) में उपलब्ध हैं। आईए जानते हैं कालनिर्णय के अस्तित्व में आने की दिलचस्प कहानी।
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इतिहास के वे भुला दिए गए नायक, जिनकी कहानियां हर भारतवासी को ज़ुबानी याद होनी चाहिए!