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इतिहास के पन्नों से

History Pages | Motivational History | Inspirational History \ इतिहास के वे भुला दिए गए नायक, जिनकी कहानियां हर भारतवासी को ज़ुबानी याद होनी चाहिए!

'मातोश्री' रमाबाई : वह महिला, जिसके त्याग ने 'भीमा' को बनाया 'डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर'!

By निशा डागर

रमाबाई भीमराव आम्बेडकर बाबा साहेब की पत्नी थीं। आज भी लोग उन्हें 'मातोश्री' रमाबाई के नाम से जानते हैं। उन्होंने ताउम्र बाबा साहेब का साथ दिया। बाबा साहेब ने भी अपने जीवन में रमाबाई के योगदान को बहुत महत्वपूर्ण माना है।

डॉ. राधाबिनोद पाल: वह भारतीय न्यायधीश, जिन्हें जापान ने अपने सर्वोच्च सम्मान से नवाज़ा!

By निशा डागर

भारतीय न्यायधीश राधाबिनोद पाल, दुसरे विश्वयुद्ध के बाद सहयोगी राष्ट्रों द्वारा आयोजित किये गये 'टोक्यो ट्रायल' के 11 न्यायधीशों में से एक थे। पर पाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि युद्ध में केवल नाज़ी गलत नहीं थे बल्कि मित्र राष्ट्रों ने भी गलत किया। 'टोक्यो ट्रायल' सीरीज़ में पाल का किरदार इरफ़ान खान ने निभाया है।

फीयरलेस नादिया: 40 के दशक में बॉलीवुड पर राज करने वाली 'हंटरवाली' स्टंट क्वीन!

By निशा डागर

फीयरलेस नादिया को भारत की असली स्टंट क्वीन कहा जाता है। 8 जनवरी, 1908 को मैरी एन इवांस के रूप में नादिया का जन्म ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में हुआ। साल 1935 में नादिया को वाडिया मूवीटोन प्रोडक्शन हाउस ने 'हंटरवाली' फिल्म से सिनेमा के परदे पर उतारा।

कभी विवादों में रहा, तो कभी इस पर रोक लगायी गयी; जानिये 'भारत रत्न' का इतिहास!

By निशा डागर

'भारत रत्न' की स्थापना साल 2 जनवरी 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गयी थी। यह सम्मान कला, साहित्य, विज्ञान, सामाजिक सेवा के के साथ-साथ किसी भी क्षेत्र के व्यक्ति को उसके अभूतपूर्व युगदान और उपलब्धियों के लिए दिया जा सकता है। 

टेलीविज़न के इतिहास की एक बेजोड़ कृति; कैसे बनी थी, श्याम बेनेगल की 'भारत एक खोज'!

By निशा डागर

श्याम बेनेगल हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध निर्देशक हैं। 14 नवंबर 1934 को आंध्र-प्रदेश में जन्में श्याम बेनेगल ने फिल्मों के साथ-साथ टीवी धारावाहिक व डोक्युमेंटरी भी बनाई हैं। उनके द्वारा भारतीय इतिहास पर बना दूरदर्शन का धारावाहिक 'भारत एक खोज' नेहरु की किताब 'डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया' पर आधारित था।

काकोरी कांड में नहीं था कोई हाथ, फिर भी फाँसी के फंदे पर झूल गया था यह क्रांतिकारी!

By निशा डागर

ठाकुर रोशन सिंह का जन्म शाहजहाँपुर, उत्तर-प्रदेश  के खेड़ा नवादा गाँव में 22 जनवरी, 1892 को एक किसान परिवार में हुआ था। 9 अगस्त 1927 को हुए काकोरी कांड के लिए ब्रिटिश सरकार ने राम प्रसाद 'बिस्मिल', अशफ़ाक उल्ला खान और राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी के साथ-साथ ठाकुर रोशन सिंह को भी फाँसी की सजा दी थी।