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इतिहास के पन्नों से

History Pages | Motivational History | Inspirational History \ इतिहास के वे भुला दिए गए नायक, जिनकी कहानियां हर भारतवासी को ज़ुबानी याद होनी चाहिए!

बीना दास : 21 साल की इस क्रांतिकारी की गोलियों ने उड़ा दिए थे अंग्रेज़ों के होश!

By निशा डागर

स्वतंत्रता सेनानी बीना दास का जन्म बंगाल के कृष्णानगर में 24 अगस्त 1911 को प्रसिद्द ब्रह्मसमाजी शिक्षक बेनी माधव दास और समाजसेविका सरला देवी के घर में हुआ था। मात्र 21 साल की उम्र में बीना ने बंगाल के तत्कालीन गवर्नर पर पांच गोलियाँ चलाकर उनकी हत्या का प्रयास किया था।

बाबा आमटे: कुष्ठ रोगियों को नया जीवन दान देने के लिए छोड़ दी करोड़ों की दौलत, बन गये समाज-सेवी!

By निशा डागर

डॉ. मुरलीधर देवीदास आमटे को सभी लोग 'बाबा आमटे' के नाम से जानते हैं। बाबा आमटे भारत के प्रमुख व सम्मानित समाजसेवी थे। उनका जन्म 26 दिसम्बर 1914 को महाराष्ट्र स्थित वर्धा जिले में हिंगणघाट गांव में एक ब्राह्मण जागीरदार परिवार में हुआ था। उन्होंने अपना पूरा जीवन कुष्ठ रोगियों व आदिवासियों की सेवा में लगा दिया।

ठाणे नहीं, रुड़की-पिरान कलियर के बीच चली थी देश की पहली ट्रेन!

By निशा डागर

इतिहास के मुताबिक, भारत में सबसे पहली ट्रेन साल 1853 में मुंबई(तब बॉम्बे) से ठाणे के बीच चलाई गयी थी। लेकिन इतिहास के इस दावे को IIT रुड़की ने चुनौती दी। संस्थान में रखी हुई एक किताब के मुताबिक साल 1851 में चलने वाली पहली रेल एक मालगाड़ी थी जो रुड़की-पिरान कलियर के बीच चली।

प्रफुल्लचंद्र चाकी : देश पर मर मिटने वालों में एक नाम यह भी है!

By निशा डागर

प्रफुल्ल चंद्र चाकी का जन्म 10 दिसंबर, 1888 को उत्तरी बंगाल के बोगरा जिला (अब बांग्लादेश में है) के बिहारी गाँव में हुआ था। उन्होंने खुदीराम बोस के साथ मिलकर ब्रिटिश अधिकारी किंग्स्फोर्ड की बग्घी पर बम फेंका। जिसके बाद उन्हें पुलिस ने घेर लिया था और ऐसे में प्रफुल्ल ने खुद को गोली मार ली और शहीद हो गये।

डॉ. कोटणीस: विश्व-युद्ध के सिपाहियों का इलाज करते-करते प्राण त्याग देने वाला निःस्वार्थ सेवक!

By निशा डागर

डॉ. द्वारकानाथ शांताराम कोटणीस को द्वितीय चीन-जापान युद्ध (1937-1945) के दौरान उनकी सेवाओं के लिए चीन में बहुत सम्मान के साथ याद किया जाता है। भारत और चीन की मैत्री का प्रतीक माने जाने वाले डॉ. कोटणीस को चीन में राहत-कार्यों के लिए भेजा गया था।

बाघा जतिन, जिनकी 'जुगांतर पार्टी' से तंग आकर अंग्रेज़ों ने बदल दी अपनी राजधानी!

By निशा डागर

जतिंद्रनाथ मुख़र्जी का जन्म बंगाल के कायाग्राम, कुष्टिया जिला (जो अब बांग्लादेश में है) में 7 दिसंबर 1879 को हुआ था। उन्हें सब 'बाघा जतिन' पुकारते थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। उन्होंने ही 'जुगांतर पार्टी' का नेतृत्व किया। अंग्रेज भी बाघा जतिन से खौफ खाते थे।

इश्वर चंद्र विद्यासागर की देख-रेख में, इस साहसी महिला ने किया था भारत का पहला कानूनन विधवा-पुनर्विवाह!

By निशा डागर

ईश्वर चंद्र विद्यासागर जिन्होंने हिन्दू विधवा-पुनर्विवाह का कानून पारित करवाया था। यह एक्ट जुलाई 1856 में पारित हुआ था। इसके बाद उन्होंने कोलकाता में 7 दिसंबर 1856 को एक विधवा लड़की कालीमती का पुनर्विवाह अपने एक साथी चंद्र विद्यारतना से करवाया था। यह देश में कानूनन पहला विधवा-विवाह था।

1971 युद्ध का वह सुरमा जिसे जिवित रहते हुए मिला था परमवीर चक्र!

By निशा डागर

मेजर होशियार सिंह दहिया का जन्म 5 मई, 1936 को सोनीपत, हरियाणा के एक गाँव सिसाना में हुआ था। साल 1957 में उन्होंने जाट रेजिमेंट में प्रवेश लिया और बाद में वे 3-ग्रेनेडियर्स में अफसर बन गए। साल 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में उनके अदम्य साहस और बहादुरी के लिए उन्हें परमवीर चक्र से नवाज़ा गया।

लांस नायक अल्बर्ट एक्का: जिन्होंने जान देकर भी पाकिस्तानी सेना को अगरतला में कदम नहीं रखने दिया!

By निशा डागर

लांस नायक अल्बर्ट एक्का का जन्म 27 दिसम्बर, 1942 को झारखंड के गुमला जिला के डुमरी ब्लाक के जरी गांव में हुआ था। साल 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनके साहस और बलिदान के चलते ही आज अगरतला भारत का हिस्सा है और भारतीय सेना बांग्लादेश को आज़ादी दिलवा पाई।

जॉर्ज सिडनी अरुंडेल: आज़ादी की लड़ाई में यह ब्रिटिश था भारतीयों के साथ!

By निशा डागर

इंग्लैंड के जॉर्ज सिडनी अरुंडेल ने अपना सबकुछ भारत और भारतवासियों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया।अरुंडेल का जन्म 1 दिसंबर, 1878 को इंग्लैंड में हुआ था। पर उनकी कर्मभूमि भारत थी। वे एनी बेसेंट के सहयोगियों में से एक थे। उन्होंने एक भारतीय रुक्मिणी शास्त्री से शादी की।