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इतिहास के पन्नों से

History Pages | Motivational History | Inspirational History \ इतिहास के वे भुला दिए गए नायक, जिनकी कहानियां हर भारतवासी को ज़ुबानी याद होनी चाहिए!

पुष्पक विमान की वह आख़िरी उड़ान, जिसमें बाल-बाल बचे थे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई!

4 नवंबर 1977 को असम के जोरहाट में पुष्पक विमान दुर्घटना में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई बाल-बाल बचे थे। आज जहाँ सभी को देसाई का बचना याद है, वहीं बहुत कम लोग जानते हैं कि इस दुर्घटना में भारतीय वायु सेना के पांच अफ़सरों ने अपनी जान गंवाई थी। साथ ही, और भी कई वाकया इस घटना को ख़ास बनाते हैं।

दुर्गाबाई देशमुख: संविधान के निर्माण में जिसने उठाई थी स्त्रियों के लिए सम्पत्ति के अधिकार की आवाज़!

By निशा डागर

दुर्गाबाई देशमुख, एक महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, जिन्होंने न सिर्फ़ देश की सेवा की, बल्कि कानून की पढ़ाई कर महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई। साल 1946 में गठित हुई संविधान सभा का वे अभिन्न अंग थीं। इसके अलावा उन्हें भारत में 'सामाजिक कार्यों की जननी' कहा जाता है।

जब एक पानवाले के ख़त पर, अहमदाबाद खिचे चले आये थे, अंतरिक्ष पर जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा!

By निशा डागर

2 अप्रैल 1984 को अंतरिक्ष में जाने वाले IAF स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा पहले और एकमात्र भारतीय हैं। लगभग 7 दिन, 21 घंटे और 40 मिनट उन्होंने अंतरिक्ष स्टेशन, सलयुत 7 पर बिताए। हर साल, उनकी इस यात्रा की सालगिरह पर उन्हें अहमदाबाद से एक पानवाला बधाई के लिए ख़त भेजता है।

देश का पहला 'पर्यावरण संरक्षण आंदोलन' : जानिए 'चिपको आंदोलन' की कहानी; उसी की ज़ुबानी!

By द बेटर इंडिया

26 मार्च 1974 को गढ़वाल की गौरा देवी के नेतृत्व में ग्रामीण महिलाओं ने सरकार द्वारा लागू जंगलों की कटाई की नीति के विरोध में 'चिपको आंदोलन' की शुरुआत की। आज भी इतिहास में इस आंदोलन को देश के सबसे पहले पर्यावरण संरक्षण आन्दोलन के तौर पर जाना जाता है!

'कर्नल' निज़ामुद्दीन: वह वीर, जिसने खुद गोली खाकर बचायी थी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जान!

एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और आज़ाद हिन्द फ़ौज के सैनिक, 'कर्नल' निज़ामुद्दीन का जन्म उत्तर- प्रदेश में हुआ था। वे नेताजी सुभाष चंद्र बोस के ड्राईवर और बॉडीगार्ड थे। उन्होंने नेताजी की जान बचाने के लिए खुद बंदूक की तीन गोलियाँ खायी थीं। 6 फरवरी 2017 को अपने गाँव में उन्होंने आख़िरी सांस ली।

18 साल की उम्र में किया 'झाँसी की रानी' रेजिमेंट का नेतृत्व; कमांडर जानकी की अनसुनी कहानी!

18 साल की उम्र में जानकी ने बर्मा में कप्तान लक्ष्मी सहगल के बाद ‘झाँसी की रानी’ रेजिमेंट की कमान संभाली। 'झाँसी की रानी' रेजिमेंट, सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिंद फ़ौज का अभिन्न अंग थी। इस रेजिमेंट में सिर्फ़ महिलाओं को शामिल किया गया था।

जब 501 रूपये में बिका भारत में बना पहला नमक का पैकेट!

By निशा डागर

12 मार्च 1930 को गाँधी जी ने अपने साथियों के साथ साबरमती से 'दांडी मार्च' शुरू किया था, जिसे इतिहास में 'नमक सत्याग्रह' के नाम से जाना जाता है। उनके नेतृत्व में हज़ारों लोगों ने इस अहिंसात्मक आन्दोलन में भाग लिया। जगह-जगह पर लोगों ने नमक कानून तोड़कर ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती दी।

अतीत में भारतीय महिलाओं के योगदान को पहचान दिला रहा है जयपुर का इंडियन वीमेन हिस्ट्री म्यूजियम!

महिला इतिहास संग्रहालय लड़कियों और युवा महिलाओं के लिए रोल मॉडल पेश करेगा, जो स्कूलों, सामुदायिक समूहों और इतिहासकारों के और आमजन के लिए प्रेरणा का स्रोत होगा।