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इतिहास के पन्नों से

History Pages | Motivational History | Inspirational History \ इतिहास के वे भुला दिए गए नायक, जिनकी कहानियां हर भारतवासी को ज़ुबानी याद होनी चाहिए!

शहीद के साथी: लोकमान्य तिलक के सच्चे साथी, चापेकर भाइयों को नमन!

By द बेटर इंडिया

चापेकर भाइयों की गिरफ्तारी पर लोकमान्य तिलक ने अपने अख़बार, 'केसरी' के ज़रिए उनकी कहानी को जन-जन तक पहुँचाया!

MDH वाले दादाजी याद हैं? कभी तांगा चलाते थे, पढ़िए कैसे बने मसालों के बादशाह

By पूजा दास

MDH यानी 'महाशियान दी हट्टी' की स्थापना करीब एक सदी पहले 1919 में अविभाजित भारत के सियालकोट क्षेत्र में की गई थी।

शहीद के साथी: सुशीला दीदी, राम प्रसाद बिस्मिल की सच्ची साथी!

By द बेटर इंडिया

काकोरी कांड के फैसले में 4 क्रांतिकारियों को फांसी हुई और पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई, लेकिन सुशीला दीदी के कदम नहीं रुके।

शहीद का साथी: कर्नल निज़ामुद्दीन, सुभाष चंद्र बोस के इस सच्चे साथी की अनसुनी कहानी

By Shashi Shekhar

कर्नल निज़ामुद्दीन ने 1943 में सुभाष चंद्र बोस की रक्षा करते हुए 3 गोलियाँ खाई थीं।

शहीद के साथी: दुर्गा भाभी, भगत सिंह की इस सच्ची साथी की अनसुनी कहानी

By Shashi Shekhar

यह दुर्गा भाभी ही थीं जिन्होंने अपने पति के बम कारखाने पर छापा पड़ने के बाद, क्रांतिकारियों के लिए 'पोस्ट-बॉक्स' का काम किया।

सड़कों का महाराजा कहलाती थी यह स्वदेशी कार, पीएम से लेकर आम आदमी की थी सवारी

By पूजा दास

भारत में राज्य और अधिकारियों के साथ एंबेसडर का रिश्ता और भी ज़्यादा गहरा रहा है। इस मजबूत चार पहिया गाड़ी को पूरी तरह से एक नई पहचान मिली जब इसके छत पर एक लाल बत्ती लगाना शुरू किया गया था।

80 रूपए के लोन से इन 7 महिलाओं ने बनाई 1600 करोड़ की कंपनी, पढ़ें 'लिज्जत पापड़' का सफ़र

एक दिन गर्मी के मौसम में एक छत पर सात गुजराती महिलाएं अपने घर की गरीबी दूर करने के बारे में सोच रही थीं, उनके दिमाग में पापड़ बनाने का आइडिया आया और चार पैकेट के साथ शुरू हो गया लिज्जत पापड़ का सफ़र।

जब एक बंगाली ने स्वदेशी क्रीम बनाकर अंग्रेजों को दी चुनौती, जानिए बोरोलीन का इतिहास!

By पूजा दास

कहा जाता है कि जब 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली, तो कंपनी ने बोरोलीन की करीब 1,00,000 ट्यूब मुफ्त में बांटी थी।

इस भारतीय फिल्म में पहली बार चली थी सेंसर की कैंची, स्वदेसी कैमरे से बनी थी फिल्म!

By पूजा दास

भारत के अग्रणी फिल्म निर्माताओं में से एक नाम बाबूराव पेंटर का है जिनका हमारे फिल्म उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। फिल्म उद्योग में उनका वह योगदान है जिसके बगैर आज कोई फिल्म बनाने की कल्पना भी नहीं कर सकता है। सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि बाबूराव पेंटर कई महत्वपूर्ण काम उस समय किए थे जब न को इंटरनेट था, ना ही फिल्म स्कूल थे और ना ही किसी तरह का कोई मार्गदर्शन था।

वैश्विक महामारी पार्ट 4: बीती शताब्दियों की महामारियों का सबक!

By अलका कौशिक

मौजूदा समय में फिर वैश्विक महामारी से गुजर रही दुनिया एक और घातक वायरस के खिलाफ जंग लड़ रही है। बीती शताब्दियों की महामारियों और उनसे उपजी तबाहियों के सबक हमारे सामने हैं, वही तो गर्दिश के इस दौर की नज़ीर हैं।