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आए दिन भारत में COVID-19 के मरीज़ों की संख्या बढ़ रही है और इस बात को ध्यान में रखते हुए देशभर में लॉकडाउन जारी है। हम सब जानते हैं कि लॉकडाउन का सही से पालन करना बहुत ज़रूरी है क्योंकि यह सिर्फ हमारी नहीं बल्कि दूसरों की ज़िंदगी की भी बात है। वैसे यह भी सत्य है कि लॉकडाउन की वजह से जो परेशानी जरूरतमंद लोगों को हो रही है है, उसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है।
गरीब और ज़रूरतमंद लोगों के साथ-साथ बेजुबान और बेसहारा पशु-पक्षियों के लिए भी यह वक़्त बहुत ही मुश्किल है। लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं और ऐसे में इन पशु-पक्षियों को खाना नहीं मिल पा रहा है। इन बेजुबानों की तकलीफ को समझते हुए ओडिशा सरकार ने 54 लाख रुपये की राशि इन बेसहारा जीवों के लिए जारी की है। जी हाँ, ओडिशा के हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट डिपार्टमेंट द्वारा जारी एक आदेश के मुताबिक, "राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री राहत कोष में से पांच नगर निगमों और 48 नगरपालिकाओं को 54 लाख रुपये देने की मंजूरी दी है ताकि वे लॉकडाउन अवधि में हर दिन बेसहारा जानवरों को खाना खिला सकें।
बेशक, यह ओडिशा सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम है। अच्छी बात यह है कि सरकार और प्रशासन के साथ-साथ बहुत से संगठन और आम नागरिक इस पहल से जुड़ रहे हैं। जिस तरह से पूरे देश में दिहाड़ी मजदूरों, गरीब लोगों और ज़रुरतमंदों के खाने-पीने का ध्यान रखा जा रहा है, ठीक उसी तरह बहुत से लोग इन बेसहारा जानवरों के प्रति भी अपना फर्ज निभा रहे हैं।
आइए, आज हम आपको कुछ ऐसे ही संगठन और लोगों के बारे में बता रहे हैं, जो इस कठिन दौर में पशु पक्षियों के मसीहा बनकर सामने आए हैं!
1. प्रवीण कुमार:
बंगलुरु में रहने वाले प्रवीण, 'वी सेव एनिमल्स' नामक संगठन चलाते हैं और पिछले 9 सालों में उन्होंने सैकड़ों जीवों को बचाया है। इसके साथ ही, उन्होंने जानवरों के लिए एक शेल्टर होम भी शुरू किया। प्रवीण बताते हैं कि उनके शेल्टर होम में जितने भी जानवर हैं, उन सबका ख्याल रखने के साथ-साथ वह बाहर बेसहारा घुमने वाले जानवरों को भी खाना खिलाते रहे हैं। गर्व की बात यह है कि उनका यह काम लॉकडाउन के दौरान भी नहीं रुका।
उन्होंने द बेटर इंडिया को बताया, "जैसे ही लॉकडाउन शुरू हुआ, मैंने प्रशासन से पास ले लिए था ताकि मैं बिना किसी समस्या के जानवरों की मदद कर पाऊं। आए दिन मुझे किसी न किसी जानवर को बचाने के लिए फ़ोन आता है। इसके अलावा, बहुत से जानवर फ़िलहाल भूख-प्यास के शिकार भी हैं।"
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प्रवीण हर दिन अपने घर से शेल्टर होम जाते समय, रास्ते में 100 से 150 जानवरों को खाना खिलाते हैं। इनमें कुत्ते, बन्दर, गाय आदि शामिल हैं। हर दिन, प्रवीण लगभग 3-4 हज़ार रुपये का सामान खरीदते हैं जिसमें बिस्कुट, सब्ज़ियाँ और फल आदि शामिल हैं। जेपी नगर से कनकपुरा के बीच में उन्हें जो भी बेसहारा जानवर मिलते हैं, उन्हें वह रुक-रुक कर खाना खिलाते हैं। इस दौरान, वह सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हैं। मास्क, दस्ताने और सैनीटाइज़र जैसी ज़रूरी चीजें हमेशा उनके साथ रहती हैं।
उन्होंने कहा, "मुझे हर दिन काफी मात्रा में बिस्कुट चहिए होते हैं लेकिन समस्या यह है कि आजकल दुकानों पर बिस्कुट के पैकेट नहीं मिल रहे हैं। अगर कहीं मिले भी तो वे 10 छोटे-छोटे पैकेट से ज्यादा नहीं देते। अगर कोई इसमें मदद कर सकता है कि वह मुझे बिस्कुट, सब्ज़ियाँ आदि स्पोंसर कर दें तो काफी अच्छा रहेगा।"
प्रवीण कुमार से संपर्क करने के लिए उन्हें 9632300046 पर कॉल करें!
2. बिप्लब महापात्रा:
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ओडिशा के अंगुल में पीपल फॉर एनिमल्स यूनिट को संभालने वाले बिप्लब महापात्रा भी पिछले कई दिनों से बिना रुके जानवरों के लिए काम कर रहे हैं। आज के समय में जब हमें अपने घरों में रहने की हिदायत मिल रही है, वहीं जानवरों का यह सच्चा दोस्त उनके लिए लगातार काम कर रहा है। बिप्लब के मुताबिक वह 1000 से ज्यादा जानवरों को खाना खिला रहे हैं और वह भी तब जब उनके यहाँ सामान की सप्लाई भी परेशानी का सबब बनी हुई है। फिर भी जैसे-तैसे वह सब कुछ मैनेज कर रहे हैं। द बेटर इंडिया के माध्यम से वह सिर्फ यही अपील करते हैं कि जितनी भी, जैसे भी लोग उनकी मदद कर सकते हैं, ज़रूर करें।
आप बिप्लब से 8599842281 पर संपर्क कर सकते हैं या फिर सीधा फ़ोन पे और गूगल पे (8599842281 पर )से उन्हें मदद भेज सकते हैं!
3. रेस्क्यू टीम (ResQ):
पिछले कई सालों से पुणे में रेस्क्यू नामक एनजीओ बेसहारा जानवरों के बचाव कार्य में जुटा है। लॉकडाउन के दौरान भी टीम का काम जारी है। उन्हें लगातार लोगों से कॉल्स और मैसेज आ रहे हैं। टीम के मुताबिक, "हमने पिछले हफ्ते ही हमने एक कुत्ते को बचाया था जिसे उसके मालिक लॉकडाउन से पहले अकेला छोड़कर चले गये। इसके अलावा, हम लगातार अन्य पशु -पक्षी जैसे कोई चिड़िया तारों में फंसी हुई है या फिर कोई जानवर किसी गड्ढे में गिर गया, उनकी भी मदद कर रहे हैं।"
अपने काम के दौरान टीम इस बात का पूरा ध्यान रखती है कि वे सभी ज़रूरी सुरक्षा उपकरण पहनें। लेकिन लॉकडाउन की वजह से उन्हें इन जानवरों के लिए खाना और अन्य ज़रूरी सामान मिलने में परेशानी हो रही है। इसके लिए उन्हें हम सबकी मदद चाहिए। रेस्क्यू टीम ने कीटो पर एक फंडरेजर अभियान चलाया है, जिसके ज़रिए वे 300 से ज्यादा जानवरों के लिए खाना खरीदना चाहते हैं। यदि आप उनकी मदद करना चाहते हैं तो यहाँ पर क्लिक करें!
4. राजेंद्र सिंह:
इंदौर में रहने वाले राजेंद्र सिंह ने छोटे स्तर पर ही सही लेकिन एक व्यापक अभियान शुरू किया है। राजेंद्र बताते हैं कि उन्होंने अपनी सोसाइटी के बाहर रहने वाले कुछ जानवरों को खाना खिलाने से शुरूआत की। साथ ही, उन्होंने इनके लिए नियमित तौर से पानी भी भरकर रखना शुरू किया।
"हमारी सोसाइटी का एक व्हाट्सअप ग्रुप भी बना हुआ है जिसमें 100 से ज्यादा लोग हैं। मैंने उस ग्रुप में भी लोगों से अपील की कि वे भी आसपास के बेजुबान जानवरों को खाना खिलाएं। इसके साथ-साथ मैंने सोशल मीडिया पर भी पोस्ट डाली। इन छोटी-छोटी पोस्ट से भी काफी लोगों को प्रेरणा मिली और मुझे मुंबई, पुणे, वड़ोदरा जैसी जगहों से लोगों का जवाब आने लगा कि वे भी अपने यहाँ जानवरों का ख्याल रख रहे हैं," उन्होंने कहा।
राजेंद्र सिंह कहते हैं कि लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए अगर हम अपने स्तर पर इस तरह के छोटे-छोटे नेक कदम भी उठाते हैं तो काफी बदलाव आ सकता है। क्योंकि अगर आप अपने आस-पास के वातावरण का ख्याल रखें तो बहुत सी परेशानियों का हल निकल सकता है। उन्होंने लोगों से अपने घरों की छत पर पक्षियों के लिए पानी और दाना रखने की अपील भी की है। अच्छी बात यह है कि बहुत से लोग इस काम में उनका साथ दे रहे हैं।
5. न्यू वर्ल्ड एनिमल रेस्क्यू, वैल्लोर:
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वैल्लोर में बहुत से आम नागरिक न्यू वर्ल्ड एनिमल रेस्क्यू संगठन से जुड़कर बेसहारा जानवरों के लिए खाना उपलब्ध करा रहे हैं। 30 लोगों का यह ग्रुप मिलकर खाना बनाता है और शहर के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचाता है। संगठन के सेक्रेटरी, एस. रमेश के मुताबिक, वे हर दिन 400 जानवरों को खाना दे रहे हैं। साथ ही, उन्होंने कुछ हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं जिन पर लोग कहीं भी फंसे हुए जानवरों के बारे में सुचना दे सकते हैं। यह नंबर है- 9489244888!
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आज के समय बहुत ज़रूरत है कि हम सब मिलकर एक-दूसरे की ताकत बनें और साथ ही, इन बेजुबानों का भी ख्याल रखें। इस मुश्किल वक़्त को हम सब अपनी इंसानियत से ही हरा सकते हैं!
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