अच्छे स्वास्थ्य की अहमियत क्या है, यह हम सभी को पिछले साल कोरोना महामारी ने सीखा दिया है। इम्युनिटी पावर बढ़ाने के लिए हम सभी अपने-अपने तरीके से प्रयास करते हैं। ऑर्गेनिक फल-सब्जियां खाने से लेकर कई तरीके से हर्ब्स का सेवन भी लोग रोजमर्रा में करने लगे हैं। ऐसा ही एक इम्युनिटी बूस्टर है- च्यवनप्राश (chawanprash), जो सालों से हमारे देश में खाया जा रहा है। तरह-तरह की जड़ी-बूटी और आंवले से बने च्यवनप्राश (chawanprash) का सेवन लोग सबसे अधिक सर्दियों में करते हैं।
आज हम आपको राजस्थान की महिला उद्यमी अंकिता कुमावत से मिलाने जा रहे हैं जो ऑर्गेनिक खेती तो करती ही हैं साथ ही आंवले से च्यवनप्राश (chawanprash) बनाकर बेच भी रहीं हैं।
अजमेर में ऑर्गेनिक फार्मिंग और डेयरी बिज़नेस से जुड़ी अंकिता कुमावत ने IIM कोलकाता से पढ़ाई की है। साल 2009 में एमबीए की डिग्री हासिल करने के बाद, उन्होंने कुछ साल तक नौकरी की और फिर 2014 में ऑर्गेनिक खेती से जुड़ गईं।
अंकिता पिछले तीन वर्षों से होममेड च्यवनप्राश (chawanprash) का बिज़नेस कर रही हैं। फ़िलहाल वह दो तरह के च्यवनप्राश बनाकर बेच रही हैं, जिसमें शुगर फ्री च्यवनप्राश भी शामिल है। शुगर फ्री च्यवनप्राश में मिठास के लिए वह खजूर का इस्तेमाल करती हैं।
इसी साल बेच चुकी हैं 100 किलो से ज़्यादा च्यवनप्राश (chawanprash)
अंकिता ने द बेटर इंडिया को बताया, “पिछले साल मैंने तक़रीबन 9200 किलोग्राम च्यवनप्राश (chawanprash) अपने फार्म पर बनाकर बेचा था। वहीं इस साल सर्दी की शुरुआत में ही 100 किलो से ज्यादा च्यवनप्राश बेच चुकी हूं।”
अंकिता ने बताया कि अपने खेतों में उगने वाले आंवले का सही इस्तेमाल करने के लिए उन्होंने इस प्रोडक्ट को बनाना शुरू किया था। वह कहती हैं, “हमारे खेत में 10 आंवले के पेड़ हैं, जिससे सर्दियों में 300 से 400 किलोग्राम आंवला आसानी से मिल जाता है। पहले हम इसका सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाते थे। हम कुछ आंवले से अपने मवेशियों के लिए आयुर्वेदिक दवा बनाते थे और कुछ आंवले दोस्तों और रिश्तेदारों में यूं ही बांट देते थे। फिर हमने आंवला मुखवास बनाना शुरू किया।”
हालांकि मुखवास के बिज़नेस में उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली। तभी उन्हें पता चला कि च्यवनप्राश (chawanprash) बनाने में मुख्य सामग्री आंवला होती है। उन्होंने इंटरनेट पर इसे बनाने का तरीका सीखा। अंकिता ने पहले च्यवनप्राश बनाकर घर के लोगों और दोस्तों को दिया। जिसके बाद इसे ऑनलाइन बेचना शुरू किया।
फार्म पर बनातीं हैं च्यवनप्राश (chawanprash)
अंकिता ने बताया कि वह अपने फार्म में ही देसी तरीके से आंवला से च्यवनप्राश (chawanprash) बनाती हैं। इसमें मिलाने के लिए वह आसपास के किसानों से जड़ी-बूटी खरीदती हैं। उनके पति भी इस काम में उनका साथ देते हैं। आंवले के साथ शतावरी, ब्राह्मी, जटामानसी, गोखरू, बेल, कचूर, नागरमोथा, लौंग, जीवन्ती, पुनर्नवा, अंजीर , अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी के पत्ते, सौंठ, मुनक्का, मुलेठी जैसी जड़ीबूटियां मिलाई जाती है।
वह कहती हैं, ” शुरुआत में च्यवनप्राश (chawanprash) बनाने में काफी परेशानी हुई, क्योंकि यह काम आसान नहीं है। चूंकि हम पहले भी आंवला से मुखवास और गाय के लिए दवा बनाते थे। इसलिए हमें इसकी प्रोसेसिंग की जानकारी थी। वहीं इंटरनेट से पढ़कर च्यवनप्राश बनाने के लिए एक सटीक रेसिपी को हमने फॉलो करना शुरु किया। हम अपनी रेसिपी में किसी तरह का फेरबदल नहीं करते हैं।”
अंकिता ने बताया कि वह अपने च्यवनप्राश (chawanprash) को 15 प्रतिशत मार्जिन के साथ बेचती हैं। वह इसे अमेज़न और अपनी खुद की वेबसाइट पर बेच रही हैं। इसके अलावा कुछ लोग फार्म पर आकर भी इसे ले जाते हैं। दरअसल अंकिता काफी समय से ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स बेच रही हैं, इसलिए लोगों ने उनके नए प्रोडक्ट को भी हाथों- हाथ लिया है। फ़िलहाल उनके खेतों में उगनेवाले आंवले का 80 प्रतिशत इस्तेमाल, च्यवनप्राश (chawanprash) बनाने में होता है।
वह कहती हैं, “हम बड़े स्तर पर आंवला की खेती नहीं करते हैं। लेकिन खेतों के किनारे लगे पेड़ों से ही हम सर्दियों में च्यवनप्राश (chawanprash) बनाते हैं। इस तरह अगर दूसरे किसान भी अपने खेतों में उगनेवाले फलों और सब्जियों में वैल्यू एडिशन करें तो यह उनकी कमाई बढ़ाने में मददगार साबित होंगे।”
ऑर्गेनिक खेती से अंकिता का लगाव
अंकिता को बचपन से जैविक खेती से लगाव रहा है। वह कहती हैं, “जब मैं तीन साल की थी, तब मुझे जॉन्डिस हुआ था। उस दौरान मेरे पिता ने एक गाय खरीदी थी। घर के शुद्ध दूध से ही मेरी तबियत ठीक हो पाई थी। आगे चलकर मुझे इस बात पर भरोसा हो गया कि जैविक तरीके से उगाई चीजों का ही घर में इस्तेमाल करना चाहिए।”
अंकिता के पिता फूलचंद कुमावत पेशे से इंजीनियर थे, लेकिन 2009 में रिटायरमेंट के बाद उन्होंने डेयरी और ऑर्गेनिक खेती शुरु कर दी। आगे चलकर अंकिता ने भी 2014 में अपने पिता के काम में हाथ बंटाने के लिए अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़ दी।
जैविक खेती और इसके फायदे ने ही अंकिता को यह फैसला लेने के लिए प्रेरित किया था। अंकिता ने बाद में खेती से एक कदम आगे बढ़कर, ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स बनाना शुरू किया। वह जैम, आचार, घी, तेल, शहद फार्म पर तैयार करके बेचने लगीं।
इसके अलावा वह ऑर्गेनिक तरीके से नमकीन भी बनातीं हैं। उनका कहना है कि किसानों को अपनी फसलों को प्रोसेसिंग कर, बाजार में बेचना चाहिए। उनकी पूरी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा ऑर्गेनिक चीजें तैयार कर, लोगों तक पहुंचाई जाए। उनका बनाया च्यवनप्राश (chawanprash) ऐसा ही एक प्रयास है।
अंकिता कुमावत के अन्य प्रोडक्ट्स के बारे में ज्यादा जानने के आप उनकी वेबसाइट पर जा सकते हैं।
संपादन- जी एन झा
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