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गुजरात के भरुच में रहने वाले जैमिन पटेल एक ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने पढ़ाई कंप्यूटर विषय में की, नौकरी फाइनेंस के क्षेत्र में की लेकिन अब वह सब कुछ छोड़कर किसान बन गए हैं।
जैमिन ने 28 साल की उम्र में पहली बार अपनी पुश्तैनी जमीन के बारे में जाना और इसके बाद उन्होंने खेती को ही जीवन बना लिया। खास बात यह है कि उनके आठ एकड़ के खेत में पहले केमिकल फार्मिंग हो रही थी, जिसमें से साढ़े चार एकड़ के खेत को उन्होंने जैविक बना दिया है और अब वहाँ ऑर्गेनिक खेती होती है। अब उनकी तैयारी बाकी साढ़े तीन एकड़ के खेत को ऑर्गनिक में बदलने की है।
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दोस्त की खातिर तैयार कर रहे थे सेटअप
जैमिन पटेल बताते हैं कि उनका एक दोस्त आधुनिक तकनीक से खेती करने का सेटअप तैयार करना चाहता था। वह पॉलीहाउस फार्मिंग करना चाहता था। जैमिन ने उनकी हर तरह से मदद की, लेकिन जब सेटअप तैयार हो गया तो किसी वजह से दोस्त ने हाथ पीछे खींच लिए। लेकिन वह सेटअप तैयार कर चुके थे, उन्होंने बजाय पीछे हटने के, इस दिशा में आगे बढ़ने का फैसला किया।
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दाल से लेकर सब्जी तक की खेती
जैमिन बताते हैं, “मैं पाटीदार हूँ, जिसका मतलब ही है, किसान का बच्चा।” इन दिनों वह अपने खेत में गन्ना, तुअर दाल, कपास, मूंग, तरबूज, टमाटर, शिमला मिर्च, हरी प्याज, पालक, धनिया वगैरह उगा रहे हैं। इसकी सप्लाई प्रदेश के जिलों के साथ ही बाहर भी है। हालाँकि कोरोना संक्रमण को देखते हुए सप्लाई चेन में थोड़ी समस्या आई है। लेकिन यह दौर भी जल्द निकल जाएगा, ऐसा उनका विश्वास है।
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जैमिन के माता-पिता नौकरी में थे, लेकिन उनके चाचा गाँव में ही रहकर खेती करते थे। जैमिन ने खेती करने के अपने विचार को चाचा के साथ साझा किया। चाचा की ओर से उन्हें सहयोग का पूरा भरोसा मिला, जिसके बाद जैमिन ने उन्हीं के साथ मिलकर खेती शुरू कर दी। जैमिन बताते हैं कि चाचा से उन्होंने खेती की बारीकियाँ सीखीं। उनकी सलाह से ही खेत को आर्गेनिक खेती के लिए तैयार किया।
90 से 180 दिन में तैयार हो जाती है जैविक खाद
वह बताते हैं कि सबसे पहले मिट्टी की जाँच जरूरी है, जो किसी भी कृषि विश्वविद्यालय या निजी लैब में आसानी से हो जाती है । इससे मिट्टी के स्वास्थ्य की सही जानकारी मिल जाती है। इसमें जैविक खाद के प्रयोग से बेहतर पैदावार संभव हुई। जैविक खाद अनेक प्रकार की होती है जैसे गोबर की खाद, हरी खाद, गोबर गैस खाद आदि। यह 90 से 180 दिन में तैयार हो जाती है। इसके इस्तेमाल से बेहतरीन पैदावार संभव हो जाती है।
अन्य किसानों को भी कर रहे हैं जागरुक
जैमिन अन्य किसानों को भी जैविक खेती के प्रति जागरूक करने का कार्य करते हैं। वह बताते हैं कि मिट्टी के जैविक गुण और उपजाऊपन को बढ़ाया भी जा सकता है। किसान जैविक खाद और जैविक कीटनाशक का इस्तेमाल करके एक बेहतर फसल का उत्पादन कर सकता है।
उठाते हैं किसानों के मुद्दे
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जैमिन किसान जागरूकता संगठन ‘भाईचारा नेटवर्क’ से भी जुड़े हैं। इस संगठन में किसान अपनी जैविक खेती से जुड़ी समस्याओं को रखते हैं। संगठन से जुड़े विशेषज्ञ किसान उनकी समस्याओं का समाधान करते हैं। फसल विशेष से जुड़ी जानकारी के साथ ही उचित समय, बिजाई, सिंचाई, उत्पादन आदि से जुड़े सुझाव साझा करते हैं। इसी मंच से जैमिन पटेल किसानों के मुद्दे भी उठाते हैं। जैमिन मानते हैं कि किसानों के संगठन में ही शक्ति है। वह संगठित होकर अपनी किसी भी दिक्कत को दूर करवा पाने में सक्षम हैं। जैमिन अन्य राज्यों में भी दौरा करते हैं। वह किसानों संग ऑनलाइन मीटिंग भी करते हैं। पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, यूपी, राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र आदि के किसानों से जैविक खेती से जुड़ी तकनीकी जानकारी का आदान-प्रदान करते हैं।
सही दिशा में मेहनत ही बनाती है सफल
जैमिन अपनी अभी तक की सफलता का श्रेय सही दिशा में मेहनत को देते हैं। वह बताते हैं कि यह फार्मूला अन्य क्षेत्रों की ही तरह कृषि में भी पूरी तरह से लागू होता है। वह कहते हैं, “यदि आप सही दिशा में अपने प्रयासों को नहीं लगाते हैं तो इसका कोई बेहतर नतीजा निकल कर सामने नहीं आता। सबसे पहले आप अपना लक्ष्य निर्धारित करें और इसके पश्चात अपने प्रयासों को उस दिशा में झोंक दें। कोई भी कारण नहीं कि आप सफल न हों। एक फीसदी मान लीजिए, यदि आप असफल हो भी जाएं तो भी प्रयास न छोड़ें। लगातार प्रयास ही सफलता की कुंजी है।”
यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है तो आप जैमिन पटेल को ईमेल कर सकते हैं या उनसे फेसबुक पर भी जुड़ कर संपर्क कर सकते हैं।
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