Powered by

Latest Stories

Homeइको-फ्रेंडली

इको-फ्रेंडली

केले के तनों से शुरू किया बिज़नेस, लगभग 300 किसानों की बढ़ायी आमदनी

By निशा डागर

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में रहने वाले मेहुल श्रॉफ, केले के पेड़ के तने (Agriculture Waste) को प्रोसेस करके इको फ्रेंडली रेशे बना रहे हैं।

शहर के बीचोबीच घर, फिर भी मिलती है शुद्ध हवा, पानी और भोजन, साथ ही कमाते हैं 70,000 रुपये

By प्रीति टौंक

मंजू नाथ और उनकी पत्नी गीता ने बेंगलुरु जैसे बड़े शहर में इको फ्रेंडली घर बनाया है। बिजली-पानी के साथ, अपने उपयोग के लिए सब्जियां उगाने के लिए भी वे प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।

जानिए टूटी कुर्सी से कैसे बना कुत्ते का घर और 23 साल पुरानी वॉशिंग मशीन से कंपोस्टिंग बिन

By निशा डागर

कोल्हापुर, महाराष्ट्र के रहने वाले इंजीनियर सिद्धार्थ भाटवडेकर ने अपनी 23 साल पुरानी वॉशिंग मशीन को कबाड़ में देने की बजाय, इसे खुद अपसायकल करके इससे दो कंपोस्टिंग बिन बनाई हैं। वह अब तक कई #DIY प्रोजेक्ट्स करके कुत्ते के रहने के लिए कैनल, 'बर्ड बाथ’ ‘फीडर' जैसी कई चीजें बना चुके हैं।

कभी भरते थे 9 हजार का बिजली बिल, आज सरकार को बेचते हैं बिजली

By पूजा दास

बेंगलुरु के रहने वाले पृथ्वी ने अपने घर की छत पर 5 किलोवाट का सोलर पैनल लगाया है। अब वह न सिर्फ उनका बिजली बिल ज़ीरो हो गया है, बल्कि उल्टा वह सरकार को बिजली बेच रहे हैं।

भोपाल की साक्षी ने नारियल के खोल और प्लास्टिक बोतलों में उगाये 4000 से ज्यादा पौधे

By प्रीति महावर

भोपाल की 25 वर्षीया साक्षी भारद्वाज ने रीसायकल किये हुए प्लास्टिक के डिब्बों और बोतलों में 450 प्रजातियों के 4000 से ज़्यादा पौधे उगाये हैं।

पुराने-बेकार नारियल से बनाये 400 अद्भुत आर्टवर्क, घर को बनाया आर्ट गैलरी

By निशा डागर

महाराष्ट्र के 59 वर्षीय विजयानंद शेम्बेकर नारियल के खोल इकट्ठा करके उनसे खूबसूरत और आकर्षक क्रॉफ्ट आइटम बनाते हैं!

IFS Officer ने बाँस से बनाया झाड़ू का हैंडल, करीब 1000 आदिवासी परिवारों को मिला रोज़गार

त्रिपुरा में तैनात IFS Officer प्रसाद राव ने प्रकृति में प्लास्टिक की रोकथाम के लिए अपनी कोशिश के तहत, झाड़ू के हैंडल के लिए प्लास्टिक की जगह, बाँस का इस्तेमाल किया।

अमेरिका से लौटकर शुरू की खेती और अब देश-विदेश तक पहुँचा रहे हैं भारत का देसी 'पत्तल'

By निशा डागर

हैदराबाद में रहने वाले माधवी और वेणुगोपाल इको-फ्रेंडली प्लेट और कटोरी बनाने के लिए पलाश और सियाली के पत्तों का इस्तेमाल कर रहे हैं!

मुंबई: 95% कम आता है इस सोसाइटी का बिजली बिल, जानिए कैसे

“निवेशित लागत की वसूली सामान्यतः 4-5 वर्षों में हो जाती है। ये सोलर पैनल 25 वर्षों तक चलते हैं, इस तरह 20 वर्षों तक मुफ्त बिजली का लाभ उठाया जा सकता है।” - नीतू गोयल