“UPSC में 3 बार मिली असफलता ने पूरी तरह से बदल दी मेरी जिंदगी”-डेटा साइंटिस्ट श्रुति

UPSC Aspirant, Data Scientist

उत्तर प्रदेश की श्रुति पांडे कभी बड़े जोश के साथ सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुटी थीं, लेकिन आज वह एक डेटा साइंटिस्ट हैं। पढ़ें असफलता से सफलता की राह पर चलने की उनकी कहानी।

संघ लोक सेवा आयोग, UPSC 2021 के प्रिलिम्स के लिए तकरीबन 9 लाख 70 हजार उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। जिनमें से सिर्फ दस हजार ही मुख्य परीक्षा के लिए क्वालीफाई कर पाए हैं। साल दर साल, उम्मीदवारों की संख्या और प्रशासनिक सेवाओं के लिए क्रेज़ बढ़ता जा रहा है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि उन उम्मीदवारों का क्या होता है, जो कई प्रयासों के बाद भी सफल नहीं हो पाते?

उत्तर प्रदेश की रहनेवाली श्रुति पांडेय का सपना भी कभी आईएएस बनने का था। उन्होंने साल 2017 से लगातार तीन बार यूपीएससी परीक्षा दी। लेकिन, हर बार उनके हाथ असफलता ही लगी। श्रुति, शुरू से ही पढ़ाई में काफी अच्छी रही हैं। परीक्षा देने और पढ़ने में उन्हें मज़ा आता था। लेकिन बार-बार प्रिलिम्स और मेंस परीक्षा देना उनके लिए थका देने वाला अनुभव रहा, जिसने उन्हें निराश कर दिया था।

श्रुति ने फिर से प्रयास न करने का फैसला किया और करियर के दूसरे रास्ते तलाशने में लग गईं। यह एक ऐसा फैसला था, जिसने उनकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया। आज वह खुश हैं और कुछ ऐसा कर रही हैं, जिसे करने में उन्हें मजा भी आ रहा। पढ़ाई अब उनके लिए बोझ नहीं है।

बार-बार परीक्षा के लिए बैठना था निराशाजनक

द बेटर इंडिया से बात करते हुए श्रुति कहती हैं, “सिविल सेवा परीक्षा में बैठने का फैसला पूरी तरह से मेरा था। मुझे अलग-अलग विषयों के बारे में पढ़ना अच्छा लगता था। मुझे लगा जैसे यही वह जगह है, जहां मैं अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकती हूं। हालांकि, मैं परीक्षा की तैयारी काफी मन से कर रही थी, लेकिन बार-बार परीक्षा के लिए बैठना मेरे लिए काफी निराशाजनक अनुभव रहा।”

उन्होंने बताया, “अपने शुरुआती दिनों में, मैं चित्रकूट और इलाहाबाद में रही। इन दोनों शहरों में मेरा आना-जाना लगा रहता था। मेरी परवरिश छोटे शहरों में हुई है। मैं भी बाकी बच्चों की तरह अच्छे नंबर लाने की होड़ और लाइफ में कुछ बेहतर बनने की चाह के साथ बड़ी हुई थी। उस समय, मैं शायद जानती भी नहीं थी कि मैं क्या कर रही हूं या किन चीजों के पीछे भाग रही हूं?”

श्रुति के अनुसार, सिविल सेवा में जाने का फैसला उनका था। परीक्षा में बैठने के लिए परिवार की तरफ से कोई दबाव नहीं था। उनके माता-पिता हर फैसले में उनके साथ खड़े रहे।

UPSC Aspirant Shruti Pandey
Shruti Pandey

असफलता ने कर दिया निराश

साल 2017 में श्रुति ने B.Tech की डिग्री हासिल की और अंतिम वर्ष के दौरान ही, उन्होंने CSE की तैयारी शुरू कर दी। वह कहती हैं, “मैंने B.Tech करने के बाद, कोई फुल टाइम जॉब नहीं की। मैं अपना समय, पूरी तरह से परीक्षा की तैयारी में लगाना चाहती थी और मैंने ऐसा ही किया भी।” 

वह आगे बताती हैं, “शुरुआत में, मैंने अपने आप को पढ़ाई में पूरी तरह से झोंक दिया था। रोजाना करीब 12 घंटे बैठकर पढ़ाई करती थी। यह कुछ ऐसा था, जिसे करने में मुझे खुशी मिल रही थी।” उनकी तैयारी का यह सफर 2 साल तक काफी अच्छे से चला। लेकिन इतनी मेहनत के बाद भी, जब सफलता नहीं मिली, तो वह निराश हो गईं। बार-बार एक ही विषय पढ़कर अब उन्हें बोरियत होने लगी थी।

असफलता ने उन्हें थका दिया था और वह अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही थीं। वह कहती हैं, “यह ऐसा समय था, जब मुझे पढ़ाई बोझ लगने लगी और मैं बस परीक्षा पास करने के लिए बेमन से तैयारी करने में लगी रही। साल 2018 के अंत तक आते-आते, मैं बुरी तरह से थक गई और टूट गई थी।”

बस अब और नहीं’

श्रुति के अनुसार, हर प्रयास के बाद उनका मन प्रशासनिक सेवा में जाने से हटने लगा था। उन्होंने आगे बताया, “साल 2017 में मैंने पहली बार परीक्षा दी थी। उस समय बस कॉलेज से निकली ही थी। मेरे लिए यह एक दम नया था। फिर भी मैं प्रिलिम्स क्लियर कर, मेंस में पहुंचने में कामयाब रही। 2018 में मैंने काफी अच्छे से तैयारी की । मेरे हौसले बुलंद थे और मुझे लग रहा था कि इस बार में यह परीक्षा पास कर लुंगी। लेकिन उस बार भी असफलता ही हाथ लगी। तीसरा प्रयास बड़े ही अनमने ढंग से किया था। यह मेरे लिए ‘बस अब और नहीं वाली स्थिति’ थी। इस बार तो मैं प्रिलिम्स भी नहीं क्लियर कर पाई। तब मैंने फिर से प्रयास न करने का मन बना लिया।”

अपने जीवन के इस अध्याय को खत्म करने के लिए, उन्होंने सबसे पहले ‘लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA)’ को अलविदा कहा। वह अपना अनुभव साझा करते हुए कहती हैं, “यह मेरे लिए छुटकारा पाने जैसा अनुभव था। उस संस्थान को अलविदा कहकर मुझे काफी सुकून मिला।”

खुद को कर लिया था हर किसी से दूर

उन्होंने बताया “तीसरे प्रयास में प्रिलिम्स भी पास न कर पाना मेरे लिए एक सदमा था। इससे उबरने के बाद, मैंने दूसरे रास्तों की तरफ देखना शुरू किया। अभी तक मेरा सारा ध्यान सिर्फ परीक्षा पर था। मैंने इसके बाद, या फिर इससे आगे के बारे में कभी सोचा ही नहीं था, लेकिन अब मैं उन दोस्तों के पास जाने लगी, जिन्हें मैं काफी समय पहले छोड़ चुकी थी। ये सभी अलग-अलग फील्ड में अपने रास्ते बना चुके थे, या फिर रास्तों की तलाश में थे।”

श्रुति कहती हैं, “UPSC की तैयारी करते हुए बाकी उम्मीदवारों की तरह, मैंने भी खुद को अपने तक सीमित कर लिया था। सबसे मिलना-जुलना बंद कर दिया था। शायद उस समय की गई यह मेरी सबसे बड़ी गलती थी। अपने तीसरे प्रयास में प्रिलिम्स पास न कर पाना, मेरे लिए एक बुरा सपना था, जो सच हो गया। असफलता के बाद बिखरे हुए टुकड़ों को उठाकर जोड़ना मुश्किल जरूर था, लेकिन उसने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया।”

सफर पर अकेले ही चलना था

वह बताती हैं, “तब तक मुझे यह भी नहीं पता था कि UPSC छोड़ने वालों के पास क्या विकल्प रह जाते हैं। मैंने सिर्फ उम्मीदवारों को परीक्षा में बैठते और पास होते हुए देखा था। मुझे इस सफर को अकेले ही तय करना था। मैं किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं जानती थी, जिसने UPSC परीक्षा छोड़ दी हो और आगे चलकर अपने जीवन में सफल रहा हो। पर फिर, 2019 में करीब आधा साल गुजरने के बाद, मैंने डेटा साइंटिस्ट के रूप में अपना करियर बनाने का फैसला किया।”

श्रुति ने बताया, “मेरे अंदर अब इतना आत्मविश्वास नहीं था। मेरी मानसिक हालत भी ठीक नहीं थी। कॉलेज के लिए अपना स्टेटमेंट ऑफ पेपर्स (SOP) लिखने में मुझे लगभग 20 दिन लग गए। मेरे पास कंप्यूटर साइंस की कोई डिग्री नहीं थी और ना ही मेरे बायोडाटा में किसी बड़ी कंपनी का नाम था। मैं अपने आप को बेहद असुरक्षित महसूस कर रही थी। लेकिन फिर मैंने हिम्मत की और मास्टर्स के लिए अप्लाई किया।” फिलहाल, श्रुति अमेरिका के उत्तरी केरालिन में ड्यूक यूनिवर्सिटी से मास्टर्स की पढ़ाई कर रही हैं।

श्रुति ने प्रशासनिक सेवा में जाने वाले उम्मीदवारों को कुछ सलाह दीः-

1. गंवाए हुए समय और पैसों के चक्कर में न फंसे रहें

 UPSC CSE aspirant?
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वह कहती हैं, “Sunk Cost (खर्च किया गया वह समय और पैसा जिसे वसूल नहीं किया जा सकता) बचाने के चक्कर में, परीक्षा पास करने के लिए अधिक समय और एनर्जी खर्च करनी पड़ती है। अगर कई प्रयासों के बाद भी, आपको लगता है कि यह परीक्षा आपके लिए नहीं है, तो उसे छोड़ देना ही बेहतर है। सिर्फ इसलिए यहां बने न रहें, क्योंकि आप अभी तक इसमें काफी समय और पैसा खर्च कर चुके हैं। श्रुति इस बात पर ज़ोर देती हैं कि अगर इरादे बड़े हैं, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।”

2. आप परीक्षा क्यों पास करना चाहते हैं?

यूपीएससी पास न कर पाने के बाद उम्मीदवार, बैंक और अन्य राज्यों की प्रशासनिक परीक्षाओं में बैठना शुरू कर देते हैं। ऐसा तभी करें जब आप इसके लिए इच्छुक हों, ना की इसलिए कि यूपीएससी के बाद अगला विकल्प यही बचता है। श्रुति कहती हैं, “प्लान-बी क्या हो सकता है? इस पर विचार करने के लिए समय निकालना जरूरी है। सिर्फ दूसरे लोग ऐसा कर रहे हैं या कह रहे हैं इसलिए बिल्कुल नहीं।”

3. दूरदर्शी बनें

लाइफ की बड़ी तस्वीर को देखें। जब आप अपने जीवन के आने वाले कुछ सालों नहीं, बल्कि दशकों के बारे में सोचेंगे, तो सालों की तैयारी, यहां तक कि असफलता भी आपके लिए कोई मायने नहीं रखेगी। जब भी आपका मन करे अपना ट्रैक बदल लें। एक ही चीज़ पर अटके ना रहें। सिर्फ इसलिए कि आपने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी है, इसे पूरा करने का बोझ ताउम्र अपने पर लेकर न घूमें। अपने जीवन के 50 सालों के बारे में सोचें, हाल के पांच सालों के बारे में नहीं।

आखिर में वह कहती हैं,” हमेशा याद रखें, यूपीएससी प्रशासनिक पदों के लिए सिर्फ एक क्वालीफाइंग परीक्षा है। यह पूरा जीवन नहीं है, बल्कि जीवन का एक अध्याय है। असफल होने पर असहज न हों। आप और आपका जीवन किसी भी एग्जाम से ज्यादा मूल्यवान है।”

मूल लेखः विद्या राजा

संपादनः अर्चना दुबे

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