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निशा डागर

बातें करने और लिखने की शौक़ीन निशा डागर हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं. निशा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन और हैदराबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स की है. लेखन के अलावा निशा को 'डेवलपमेंट कम्युनिकेशन' और रिसर्च के क्षेत्र में दिलचस्पी है.

किसानों को बिजली के करंट से बचा रहा है इस इंजीनियर का इनोवेशन!

By निशा डागर

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल 10 हज़ार से भी ज्यादा लोगों की मौत बिजली का करंट लगने से होती है, जिनमें ज़्यादातर किसान होते हैं!

मिट्टी कैफ़े: खाने के ज़रिए 120 दिव्यांगों की ज़िंदगी बदल रही है यह युवती!

By निशा डागर

'मिट्टी कैफ़े' की सबसे पहली स्टाफ कीर्ति ने जॉब के पहले दिन ही ग्राहक को चाय सर्व करने से पहले दो बार कप गिराया था। लेकिन आज कीर्ति यहाँ पर 4-5 स्टाफ को मैनेज करती हैं!

जिंदगी जोखिम में डालकर लड़कियों को मानव तस्करी से बचा रही है पिता-बेटी की जोड़ी!

By निशा डागर

पिछले 35-वर्षों में शुभश्री और उनके पिता, निहार के एनजीओ ने नाबालिगों सहित 2,500 लड़कियों को सफलतापूर्वक बचाया और उन्हें पुनर्वासित किया है!

#BetterTogether: जरूरतमंदों की मदद के लिए जुड़िए IAS और IRS अफसरों से!

By निशा डागर

#BetterTogether द बेटर इंडिया की एक पहल है जिसके ज़रिए हम प्रशासनिक अधिकारियों का साथ देना चाहते हैं ताकि दिहाड़ी मजदूरों, सबसे आगे खड़े स्वास्थ्य कर्मचारियों और ज़रूरतमंदों को इस मुश्किल समय में मदद मिलती रहे!

इस्तेमाल के बाद मिट्टी में दबाने पर खाद में बदल जाता है यह इको-फ्रेंडली सैनिटरी नैपकिन!

By निशा डागर

फ़िलहाल, भारत में 30 से भी ज्यादा आनंदी पैड्स मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं जो 12 अलग-अलग राज्यों में फैली हैं। इन सभी यूनिट्स को महिलाओं द्वारा ही चलाया जा रहा है!

बांस की खेती से करोड़पति बना महाराष्ट्र का यह किसान!

By निशा डागर

पाटिल ने जब बांस की खेती करना शुरू किया तब उनके सिर पर दस लाख रुपये का कर्ज था, लेकिन बांस की खेती ने न सिर्फ उन्हें कर्जमुक्त किया बल्कि आज पूरे देश में उनकी एक अलग पहचान है!

‘जल-योद्धा’ के प्रयासों से पुनर्जीवित हुई नदी, 450 तालाब और सैकड़ों गांवों की हुई मदद!

By निशा डागर

सालों के अथक प्रयास के बाद, रमन कांत उत्तर-प्रदेश की काली नदी के उद्गम को पुनर्जीवित करने में सफल रहे हैं। 598 किमी तक बहने वाली इस नदी के किनारे 1200 गाँव और कस्बे बसे हुए हैं!

दिन में ऑफिस, शाम में ऑटो ड्राईवर और रात में फ्री एम्बुलेंस सर्विस देता है यह शख्स!

By निशा डागर

एक्सीडेंट में हाथ और पैर टूटने के बावजूद मंजुनाथ सुबह नौकरी करते और शाम को ऑटो चलाते हैं। रात में वह अपना ऑटो एम्बुलेंस सर्विस के लिए देते हैं और इससे हुई कमाई को दान कर देते हैं। लॉकडाउन में भी उनकी ये सेवा जारी है।