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निशा डागर

बातें करने और लिखने की शौक़ीन निशा डागर हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं. निशा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन और हैदराबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स की है. लेखन के अलावा निशा को 'डेवलपमेंट कम्युनिकेशन' और रिसर्च के क्षेत्र में दिलचस्पी है.

किसान के बेटे का आविष्कार: यात्रा में कहीं भी, कभी भी, बैठने के लिए 'बैग कम चेयर'

By निशा डागर

सुल्तानपुर के आनंद पांडेय एक इंजीनियर, आविष्कारक और उद्यमी है। उन्होंने ड्राइवरलेस मेट्रो ट्रेन मॉडल, बैग कम चेयर और लड्डू बनाने वाली मशीन जैसे कई आविष्कार किए हैं।

दुबई से लौटकर शुरू की जैविक खेती, यात्रियों के लिए बनाया 400 साल पुराने पेड़ पर ट्री हाउस

By निशा डागर

केरल के मुन्नार में पॉलसन और एलज़ा ने मिलकर अपने खेतों पर 400 साल पुराने जंगली जामुन के पेड़ पर ट्री हाउस बनाया है।

'ज्वार': युगों से है भारत के खान-पान का अहम हिस्सा, अब विदेशियों ने समझी कीमत

By निशा डागर

ज्वार 'ग्लूटन-फ्री' है और इसलिए अब विदेशों में भी इसे 'नया क्विनोआ' के रूप में भी जाना जा रहा है।

पक्षियों के लिए समर्पित की दो एकड़ जमीन, आते हैं 93 तरह के पक्षी

By निशा डागर

कर्नाटक में दक्षिण कन्नडा के रहने वाले नित्यानंद शेट्टी और उनकी पत्नी रम्या ने अपनी दो एकड़ जमीन पक्षियों के लिए समर्पित कर दी है। उनके लिए घोंसले, दाना-पानी की व्यवस्था करने के साथ-साथ दूसरों को कर रहे हैं जागरूक।

पुलिस की नौकरी के साथ शुरू किया पार्ट टाइम बिज़नेस, महिलाओं को दे रही फ्री ट्रेनिंग

By निशा डागर

आंध्र प्रदेश की जी. कामाक्षी, तेलापरोलु सचिवालय में महिला पुलिस पद पर कार्यरत हैं और साथ ही, 'अनुश्रीनू कलेक्शन' के नाम से अपना छोटा-सा बिज़नेस चला रही हैं।

जानिए कैसे बिना मिट्टी के अच्छी और पोषण से भरपूर सब्जियां उगा रहे हैं अब्दुल

By निशा डागर

पारम्परिक तरीकों से पौधे लगाने की बजाय अब्दुल ने 'सॉइललेस' गार्डनिंग की तकनीक 'हाइड्रोपोनिक' अपनाई है।

माइक्रोवेव के आने से सालों पहले से, माइक्रोवेव-सेफ बर्तन बना रहा है भारत का यह गाँव

By निशा डागर

क्या आप जानते हैं कि मणिपुर में स्थित लोंगपी गांव के पारंपरिक शैली के बर्तन हमेशा से ही माइक्रोवेव-सेफ रहे हैं।

भारत में सालों से उगाया जाने वाला Kodo Millet, दुनिया के लिए बन गया है 'शुगर फ्री चावल'

By निशा डागर

भारत में 3000 साल से उगाया जा रहा Kodo Millet एक सुपरफूड है। इसकी खेती के लिए धान और गेहूं की तुलना बहुत ही कम पानी चाहिए, जबकि पोषण के मामले में यह धान और गेहूं से कहीं ज्यादा बेहतर है।