Powered by

Latest Stories

HomeAuthorsनिशा डागर
author image

निशा डागर

बातें करने और लिखने की शौक़ीन निशा डागर हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं. निशा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन और हैदराबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स की है. लेखन के अलावा निशा को 'डेवलपमेंट कम्युनिकेशन' और रिसर्च के क्षेत्र में दिलचस्पी है.

गाँधी जी के साथ 180 किलोमीटर मार्च कर, इस महिला स्वतंत्रता सेनानी ने छेड़ी थी अंग्रेज़ों के खिलाफ़ जंग!

By निशा डागर

3 नवंबर 1917 को जन्मीं अन्नपूर्णा महाराणा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय स्वतंत्रता सेनानी थी। इसके अलावा वह एक प्रमुख सामाजिक और महिला अधिकार कार्यकर्ता भी थीं। अन्नपूर्णा, महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी थी। 96 वर्ष की उम्र में 31 दिसम्बर 2016 को उन्होने दुनिया से विदा ली। 

शहीद मेजर अक्षय की 5 साल की बेटी को ट्विटर पर मिली देश भर से शुभकामनायें!

By निशा डागर

हाल ही में, आर्टिस्ट हुतांश वर्मा ने दो साल पहले जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए मेजर अक्षय गिरीश की बेटी नैना अक्षय की एक प्यारी-सी तस्वीर साँझा करते हुए उसे जन्मदिन की बधाई दी। इसके बाद बहुत से लोगों ने तवीत को शेयर किया और नैना को बधाई देते हुए उसे ढेरों शुभकामनायें दी। यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

1 नवम्बर: भारत के छह राज्यों का एक ऐतिहासिक दिन!

By निशा डागर

भारत के इतिहास में 1 नवंबर का बहुत महत्व है। यह वह तारीख है जिस दिन वर्षों पहले देश के विभिन्न राज्यों का भाषा के आधार पर पुनर्गठन करने का फैसला लिया गया था। साल 1956 से लेकर साल 2000 तक इसी दिन भारत के छह अलग-अलग राज्यों का जन्म हुआ।

मल्लिका-ए-ग़ज़ल बेगम अख्तर की वो ग़ज़लें जो कभी प्यार बनी कभी दर्द!

By निशा डागर

उत्तर प्रदेश के अवध के फैज़ाबाद में 7 अक्टूबर 1914 को जन्मीं बेगम अख्तर का नाम अख़्तरी बाई फ़ैज़ाबादी था। अख़्तरी की माँ मुश्तरी बाई एक तवायफ़ थीं और उनके पिता अश्गर हुसैन एक वकील थे। उन्होंने अलग-अलग उस्तादों से संगीत की शिक्षा ली और मल्लिका-ऐ-ग़ज़ल होने का सम्मान पाया।

स्वामी दयानंद सरस्वती : वह सन्यासी जिसने धार्मिक कुरीतियों को दरकिनार कर धर्म का एक नया अध्याय लिखा!

By निशा डागर

महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती जी का जन्म 12 फरवरी 1824 को गुजरात में मोराबी के टंकारा गांव में हुआ था। मूल नक्षत्र में जन्म होने के कारण उनका नाम मूलशंकर रखा गया था। आर्य समाज के इस संस्थपक ने ही देश में स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी और लोगों को जोड़ा। 30 अक्टूबर 1883 को अजमेर में उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली।

जतिंद्रनाथ दास: वह क्रांतिकारी जिसने देश की आज़ादी के लिए जेल में दे दी अपनी जान!

By निशा डागर

कोलकाता के एक साधारण बंगाली परिवार में 27 अक्टूबर 1904 को जन्मे जतिंद्रनाथ दास महज 16 साल की उम्र में ही देश की आजादी के आंदोलन में कूद गए थे। लाहौर षड्यंत्र केस में उन्हें भी भगत सिंह व बाकी साथियों के साथ पकड़ा गया। लाहौर जेल में भाख हड़ताल करते हुए 63वें दिन उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।

एक और दंगल : पिता ने देखा था ओलंपिक में मेडल जीतने का सपना, आज बेटी ने किया पूरा!

By निशा डागर

16 वर्षीय भारतीय रेसलर सिमरन अहलावत ने हाल ही में हुए यूथ ओलंपिक में सिल्वर पदक जीतकर न केवल अपने पिता राजेश अहलावत का बल्कि पुरे देश का सिर गर्व से ऊँचा किया है। आज सिमरन भारत की दूसरी लड़की पहलवान है जिसने यूथ ओलंपिक में मेडल जीता है।

भुला दिए गए नायक : काकोरी कांड में शामिल वह देशभक्त, जिसने आजीवन की देश की सेवा!

By निशा डागर

काकोरी कांड के लिए गिरफ्तार होने वाले 16 स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे मन्मथ नाथ गुप्त। जब उन्होंने काकोरी कांड में बिस्मिल का साथ देने का फैसला किया तब वे मात्र 17 साल के थे।

पुणे: इस आइएएस अफ़सर की पहल से आज अपने शौचालय से लाखों में कमा रहे हैं गाँववाले!

By निशा डागर

महाराष्ट्र के पुणे की खेड़ तालुका के गांवों में खुले में शौच की समस्या थी, क्योंकि बहुत से लोग सरकार के बनाये हुए शौचालयों का इस्तेमाल नहीं कर रहे थे।

मृदुला गर्ग : जिनके उपन्यास को अश्लील कहकर चलाया गया मुकदमा पर चलती रही इनकी कलम!

By निशा डागर

25 अक्टूबर 1938 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में जन्मीं मृदुला गर्ग हिंदी की सबसे लोकप्रिय लेखिकाओं में से एक हैं। उपन्यास, कहानी संग्रह, नाटक तथा निबंध संग्रह सब मिलाकर उन्होंने लगभग 30 किताबें लिखी हैं। उनके उपन्यास और कहानियों का अनेक हिंदी भाषाओं तथा जर्मन, चेक, जापानी और अँग्रेजी में अनुवाद हुआ है।