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नीरज नय्यर

पान की पीक से पटी दीवारों को हर रविवार साफ़ कर, खूबसूरत कलाकृतियाँ उकेरती है यह टीम!

By नीरज नय्यर

पिछले सात सालों में एक भी रविवार ऐसा नहीं गया, जब ‘आईक्लीन भोपाल’ की टीम सफाई के लिए सड़कों पर न उतरी हो।

किसानों की कमजोरियों को भांप, इस युवा ने मदद के लिए छोड़ी जमी जमाई नौकरी!

By नीरज नय्यर

जब राहुल को बतौर आईटी इंजीनियर नौकरी मिली, तो सभी बेहद खुश थे, लेकिन राहुल पहले ही अपनी अलग राह चुन चुके थे।

हर महीने बचाते हैं कुछ पैसे, ताकि गरीब बच्चों का जीवन संवार सकें!

By नीरज नय्यर

कुछ साल पहले सड़क पर भीख मांगते बच्चों को देखकर नवीन के मन में उन्हें शिक्षित करने का ख्याल आया, ताकि वह इज्जत के साथ रोजी-रोटी कमा सकें।

लंदन की नौकरी छोड़ लौटे गाँव, शुरू की देश की पहली आदिवासी आईटी कंपनी!

By नीरज नय्यर

अमिताभ 2003 में इंग्लैंड गए और ब्रिटिश सरकार के सोशल वेलफेयर बोर्ड लंदन में करीब 10 साल तक काम किया। इस सरकारी नौकरी से वह दुनिया का हर ऐशो-आराम हासिल कर सकते थे, लेकिन उनकी मंजिल कुछ और थी।

भोपाल: पहले पॉकेट मनी से और अब सैलरी से, हर रविवार पौधे लगाते हैं ये बैंकर, कई बन चुके हैं पेड़!

By नीरज नय्यर

भोपाल की हरियाली बचाने के प्रति पूनम के जुनून का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बैंक में उन्हें सभी ‘ग्रीन गर्ल’ के नाम से बुलाते हैं।

अब तक 3 लाख से भी ज़्यादा पौधे लगा चुका है भोपाल का यह ट्री-मैन; पेड़ बनने तक करता है देखभाल!

By नीरज नय्यर

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के साथ ही राजस्थान, उत्तर प्रदेश और गुजरात आदि राज्यों में सुनील ने पौधारोपण किया है। आज उनके कई पौधे पेड़ बनकर लोगों को राहत पहुंचा रहे हैं।

नौकरी के साथ-साथ चलाते हैं रोटी बैंक; भोपाल के इन युवाओं की वजह से भूखे पेट नहीं सोता अब कोई यहाँ!

By नीरज नय्यर

शुरुआत में जब उन्होंने आसपास के लोगों से बचा हुआ खाना माँगा तो सभी खुशी-खुशी इसके लिए तैयार हो गए। किसी ने कभी कोई एतराज नहीं जताया, उल्टा जो समाज के लिए कुछ करना चाहते थे वे भी उनके साथ हो गए।

भोपाल: 100 से ज़्यादा बेसहारा कुत्ते रहते हैं यहाँ प्यार, सौहार्द और सम्मान से!

By नीरज नय्यर

जब कुत्तों के बीच रहते हुए आप सुरक्षित रूप से बड़े हो गए, तो आपका बच्चा भी सुरक्षित है, क्योंकि कुत्ते बेवजह किसीको परेशान नहीं करते। प्रेम बांटने पर प्रेम ही मिलता है, नफरत नहीं।’

जानवरों के प्रति जुनून ऐसा कि नाम ही पड़ गया ‘कुत्ते वाली भाभी’

By नीरज नय्यर

शिवांगी भोपाल के जाटखेड़ी इलाके में रहती हैं और यहां आसपास रहने वाले सभी लोगों को पता है कि यदि किसी भी जानवर को कोई आंच आई, तो फिर शिवांगी के प्रकोप से उन्हें कोई नहीं बचा सकता।