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अलका कौशिक

अलका कौशिक की यात्राओं का फलक तिब्बत से बस्तर तक, भूमध्यसागर से अटलांटिक तट पर हिलोरें लेतीं लहरों से लेकर जाने कहां-कहां तक फैला है। अपने सफर के इस बिखराव को घुमक्कड़ साहित्य में बांधना अब उनका प्रिय शगल बन चुका है। दिल्ली में जन्मी, पली-पढ़ी यह पत्रकार, ब्लॉगर, अनुवादक अपनी यात्राओं का स्वाद हिंदी में पाठकों तक पहुंचाने की जिद पाले हैं। फिलहाल दिल्ली-एनसीआर में निवास।

गाँव है या जादू का पिटारा? जहाँ हर घर सदियों से बुन रहा है इक्‍कत की कहानी!

By अलका कौशिक

जब वो गाँव के गाँव, बुनकरों के मकान, उनकी गलियां, उनके करघे और करघों पर बुने जा रहे ख्वाब सामने थे तो मैं उन कारीगरों के हुनर को देखकर श्रद्धामग्न थी।

ख़्वाहिशों के रास्‍ते ज़ायके का सफ़र : 90 साल की उम्र में जताई अपने पैसे कमाने की चाह, आज हाथो-हाथ बिकती है इनकी बर्फियां!

By अलका कौशिक

chandiharh old woman starts business at the at of 93 harbhajan besan barfi. यह कहानी मिसाल है इस बात की, कि कुछ कर गुजरने की उम्र कभी नहीं गुजरती।

उत्‍तराखंड की लिखाई कला – वक्‍़त ने किया क्‍या हसीं सितम!

By अलका कौशिक

आज भी उत्तराखंड के जोशी खुद को गुजरात से, पंत अपने पुरखों को महाराष्ट्र से और पांडेय अपनी जड़ों को उत्तर प्रदेश से जोड़ते हैं।

बरकस : हैदराबाद के सीने में अरब की विरासत!

By अलका कौशिक

असल यमनी पकवानों का लुत्फ उठाना हो तो बरकस चले आइये। रमज़ान में इस बस्ती की रौनक के क्‍या कहने। हलीम और हरीस के जलवे देखते ही बनते हैं और सुलेमानी चाय की चुस्कियों के संग गपशप के लंबे दौर भी और लंबे खिंच जाते हैं!

पुणे की यह छात्रा युवाओं को ले जा रही है नेटफ्लिक्‍स से किताबों की दुनिया में

By अलका कौशिक

शहर में जिस तेजी से शू स्टोर खुलते हैं उतनी रफ्तार से बुक स्टोर नहीं खुल रहे। और पहले जैसी लाइब्रेरी की परंपरा भी चूकने लगी है। लेकिन इस दौर में अक्षता जैसे युवा सब्र का मंज़र दिखाते हैं। वो याद दिलाते हैं कि सब कुछ चूका नहीं है।

जिम कॉर्बेट की वो दुनिया, जहाँ अब भी है शेरलॉक होम्स जैसा रोमांच!

By अलका कौशिक

उत्तराखंड में नैनीताल जिले के जिस हिस्से में मैंने डेरा डाल रखा वहां कॉर्बेट की विरासत के ऐसे कई कालखंड जिंदा हैं। उन्‍हें टटोलने की जिद पाले बार-बार लौट आती हूं इस तरफ। उस दिन भी सफारी की थकान बदन से झाड़कर हम पवलबढ़ फॉरेस्ट रेस्ट हाउस की तरफ चल पड़े थे।

पिता नेत्रहीन, व्हीलचेयर पर सिमटी माँ: बेटी ने छेड़ दिया नि:शक्त लोगों को सैर-सपाटा कराने का अभियान

By अलका कौशिक

34 साल की नेहा अरोड़ा के पास इरादों का ऐसा गज़ब का पुलिंदा है कि वह ऐसे तमाम लोगों की घुमक्‍कड़ी के इंतज़ाम को चुनौती की तरह लेती है।

सुरैया आपा – वे कारीगरों की उंगलियों में पिरोती हैं जादुई तिलिस्‍म!

By अलका कौशिक

बेसहारा औरतों को करघों पर तालीम दी जाने लगी, तो इनके बच्चों की पढ़ाई की ज़िम्मेदारी भी आपा ने खुद ओढ़ ली और वर्कशॉप के बाजू में ही अंग्रेज़ी मीडियम का साफरानी स्कूल खोला। अब माँएं दिनभर करघों पर काम करती हैं और निश्चिंत भी हो गई हैं कि उनके बच्चों का भविष्य स्कूल की दीवारों के बीच संवर रहा है।

कुमाऊंनी होली! जब उत्‍तराखंड का पर्वतीय समाज झूम उठता है शास्‍त्रीय रागों और ठुमरी की तान पर!

By अलका कौशिक

इधर पूस का पहला इतवार आता है... और उधर कुमाऊं के आंगनों में होली की सुगबुगाहट होने लगती है। हैरान हैं न आप, कि ऐन सर्दी में कैसी होली? चलो चलते हैं आज उत्तराखंड के पहाड़ों की तरफ़, जहां होली एक या दो रोज़ नहीं बल्कि पूरे ढाई—तीन महीने चलने वाला त्यौहार है।