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IFS अफसर के प्रयासों से पुनर्जीवित हुई सालों से सूखी पड़ी झील; लौट आया जल और जीवन!

By निशा डागर

चेन्नई की ओट्टेरी झील जो कभी सर्दियों में हज़ारों विदेशी पक्षियों का घर हुआ करती थी, 2016 के सायक्लोन वरदा और हर साल पड़ रहे सूखे की वजह से झील पूरी तरह सूख चुकी थी!

आईआईटियन का आईडिया: ई-वेस्ट से बना देते हैं नया सोफा, फ्रिज और वॉशिंग मशीन; कई कारीगरों को मिला रोज़गार!

By तोषिनी राठौड़

आईआईटी खड़कपुर से पढ़ाई पूरी करने के बाद हर्ष ने बेंगलुरु में नौकरी की शुरुआत की थी!

33 दोस्तों ने मिलकर बदल दी बिहार की तस्वीर; 1253 स्कूलों में लगवा दिए 4,70,000 फलदार पौधे!

पौधा वितरण के दौरान यह टीम बच्चों से करीब आधा घंटे का इंटरेक्शन करती है, जिसका परिणाम है कि अब तक वितरित किए गए पौधों की सर्वाइवल रेट 90% से ज़्यादा है।

12वीं पास किसान के बनाए 'ममी-मॉडल' से अब अंतिम संस्कार में लगती हैं 4 गुना कम लकड़ियां!

एक बीघा में 60 टन लकड़ी होती है, इसके हिसाब से स्वर्गारोहण में अग्नि संस्कार करने पर 100 बीघा तक जंगल बचाया जा सकता है।

हॉलेंड के ट्यूलिप से लेकर महाबलेश्वर की स्ट्रॉबेरी तक; 6000 पौधों का खज़ाना है इनके बाग़ में!

रवींद्र के बगीचे में 25 प्रकार के कमल, 250 प्रजातियों के अडेनियम, 250 प्रजातियों के गुलाब, 25 प्रजातियों के बोगनवेलिया सहित 6000 गमलों में 150 से भी ज्यादा प्रकार के प्लांट्स हैं।

इस शिक्षक की कोशिशों से आज पानी से भरी है राजस्थान की नौ चौकी झील!

श्रीमाली ने सुझाव दिया कि पूरा ढेर नहीं हटाकर बीच में से एक झिरी निकाल दी जाए, ऐसा करने में कोई भारी बजट भी नहीं लगेगा, साथ ही जनधन की कोई हानि का ख़तरा भी नहीं होगा। स्थानीय प्रकृति प्रेमियों के दबाव में प्रशासन ने सुझाव को मंजूरी दे दी।

भारत का पहला सर्टिफाइड 'ग्रीन होम', सोलर उर्जा से लेकर रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम तक है मौजूद!

भारत का पहला प्रमाणित ‘ग्रीन होम’ South Delhi के बीचों-बीच H-1456, चित्तरंजन पार्क में स्थित है। ‘ग्रीन वन’ नाम का यह चार मंज़िला घर 2,842 वर्ग फीट के दायरे में फैला हुआ है। प्रसंतो रॉय के 25 साल पुराने घर को तोड़ कर यह ‘ग्रीन होम’ बनाया गया।

4000+ बच्चों को करवाई सरकारी नौकरी की तैयारी, फीस के बदले करवाते हैं 18 पौधारोपण!

By निशा डागर

Bihar में समस्तीपुर जिले के रोसड़ा प्रखंड/ब्लॉक में ढरहा गाँव के रहने वाले राजेश कुमार सुमन पिछले 11 सालों से गरीब बच्चों को मुफ़्त में सरकारी नौकरियों की तैयारी करवा रहे है। उनके यहाँ पढ़ने आने वाले सभी बच्चों को सबसे पहले 18 पौधे लगाने होते हैं और फिर वे 3-4 साल तक पौधों की देखभाल करने का संकल्प करते हैं।