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राजकोट के आनंद सदाव्रती और उनकी पत्नी अवनि बेन एक ऐसा ऑफिस चलाते हैं, जिसका न तो बिजली का बिल आता है, न ही उन्हें ऑफिस के लिए कोई किराया देना पड़ता है। वह यहां हर तरह की प्रिंटिंग और ज़ेरॉक्स का काम करते हैं। दरअसल, उनका यह ऑफिस उनकी कार में ही बना है। जहां बिजली के लिए उन्होंने सोलर पैनल लगवाए हैं, जिससे कार के अंदर रखी हुई सारी मशीनें चलती हैं। कोरोनाकाल के समय उन्होंने इस ऑफिस की शुरुआत की थी।
पेशे से वकील आनंद कहते हैं, "पहले मैं कोर्ट के बाहर से अपना ऑफिस चलाता था। लेकिन कोरोना के काराण कोर्ट बंद थे और उस समय हम बाहर ऑफिस नहीं लगा सकते थे। इसलिए जैसे ही लॉकडाउन में थोड़ी छूट दी गई, मैंने कार में ऑफिस खोलने का सोचा।"
उन्होंने काम के सिलसिले में ही एक लैपटॉप, प्रिंटिंग और ज़ेरोक्स मशीन भी खरीदी। लगभग डेढ़ लाख रुपये खर्च करके उन्होंने 165 वाट के सोलर पैनल लगवाए, जिससे कार के अंदर के सारे उपकरण सस्टेनेबल तरीके से चल सकें।
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यह आइडिया लोगों को इतना पसंद आया कि देखते ही देखते वह शहर भर में मशहूर हो गए। लेकिन इस साल फिर से कोर्ट खुल गए, ऐसे में आनंद भाई के लिए यह ऑफिस चलाना मुश्किल हो गया था। क्योंकि उन्हें कोर्ट के अंदर काम के लिए जाना पड़ता था। ऐसे में उनकी पत्नी अवनीबेन ने उनका साथ देने का फैसला किया। हालांकि, अवनि पेशे से एक टीचर थीं और शहर के एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया करती थीं। लेकिन कोरोना में उनकी भी नौकरी चली गई थी।
अवनि कहती हैं, "शुरुआत में मुझे यह काम थोड़ा मुश्किल लगता था। लेकिन मेरे पति ने मुझे सारा काम सिखाया और धीर-धीरे मुझे इसकी जानकारी होने लगी। मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती थी, मेरी चार साल की बेटी को साथ में लाना। लेकिन अब उसे भी कार में रहने की आदत हो गई है।"
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उन्होंने मज़बूरी में इस तरह का नवाचार किया और आज यह उनके लिए एक अच्छी साइड इनकम का जरिया बन गया है।
आनंद ने पहले की तरह ही अपना काम करना शुरू कर दिया और कोर्ट के बाहर उनकी कार ऑफिस को उनकी पत्नी चलाती हैं। इस चलते-फिरते ऑफिस से वह महीने के 15 से 20 हजार आराम से कमा रहे हैं। अवनि बेन कहती हैं, "किराए पर ऑफिस लेने की जगह यह कार ऑफिस ज्यादा अच्छा है।"
संपादनः अर्चना दुबे
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