भौतिकता की चकाचौंध में शादी विवाह स्टेटस सिंबल बन गए हैं। इसमें लोग दिल खोलकर पैसा खर्च करते हैं। यहाँ तक कि विवाह का निमंत्रण पत्र भी महंगा छपवाते हैं, जो विवाह होने के बाद कूड़े के ढेर में फेंक दिया जाता है। अपने देश में शादियाँ जितनी हमारे जेब के लिए महंगी पड़ती हैं उतनी ही पर्यावरण के लिए।
शादियों में होने वाले दिखावे के खर्चों से तो हम सब वाकिफ हैं लेकिन इसके साथ ही हर एक रस्म और आयोजन में पर्यावरण के लिए हानिकारक चीजें भी बढ़-चढ़कर इस्तेमाल होती हैं। शादी के कार्ड से लेकर वेन्यु की डेकोरेशन और खाने की क्राकरी तक- सभी कुछ ज़्यादातर पर्यावरण के लिए हानिकारक ही होता है।
लेकिन ऐसा नहीं है कि इन सबसे बचने का कोई विकल्प नहीं है। अगर हम सही मायनों में ढूँढना चाहें तो बहुत से विकल्प हैं, जिनसे आप अपनी शादी को इको-फ्रेंडली बना सकते हैं जैसा कि तेलंगाना के इस रेलवे ऑफिसर (Railway Officer Wedding Card) ने किया।
/hindi-betterindia/media/media_files/uploads/2020/12/Ena0iIBVgAEuY_c-compressed.jpg)
तेलंगाना के शादनगर के रहने वाले इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस ऑफिसर, शशिकांत कोर्रवाथ ने अपनी शादी के लिए एक ख़ास तरह का इनविटेशन कार्ड (Railway Officer Wedding Card) डिज़ाइन किया। उनके इस कार्ड के साथ-साथ इसका लिफाफा भी पूरी तरह इको-फ्रेंडली था। दरअसल, उन्होंने अपना कार्ड प्लांटेबल पेपर से बनवाया था जिसे फाड़कर बोने पर आप तीन किस्म के फूल उगा सकते हैं। इसके लिफाफे पर भी सब्जियों के बीज लगाए गए थे।
शशिकांत और उनकी मंगेतर ने तय किया है कि वह अपनी लाइफस्टाइल प्रकृति के अनुकूल रखते हुए अपना जीवन जिएंगे। इसकी शुरुआत उन्होंने अपनी 'ग्रीन वेडिंग' यानी की हरित शादी से की। अपने वेडिंग कार्ड के पीछे की सोच के बारे में शशिकांत बताते हैं, “कागज़ की ज़रूरत को पूरा करने के लिए धरती से जंगल कट रहे हैं। इसलिए हमने सोचा कि क्यों न ऐसा कागज़ बनवाया जाए जिसे बोया जा सके ताकि इस प्रक्रिया को उल्टा किया जा सके।”
इस दंपति की योजना है कि उनकी शादी का आयोजन भी पर्यावरण के अनुकूल होगा, जिसमें कम से कम प्लास्टिक का इस्तेमाल होगा।
शशिकांत की इस पहल के बारे में साइबराबाद के सीपी, श्री वीसी सज्जानागर ने ट्विटर पर पोस्ट किया और उनकी सराहना की। उन्होंने कहा कि सभी को शशिकांत के उदाहरण से सीखना चाहिए ताकि कम से कम प्रदुषण हो और हम अपनी धरती को बचा सकें।
द बेटर इंडिया, रेलवे ऑफिसर शशिकांत और उनकी मंगेतर की सोच की सराहना करता है और उम्मीद है कि बहुत से लोग उनसे प्रेरणा लेंगे।
यह भी पढ़ें: मिलिए 26 की उम्र में 40 हजार पौधे लगाने वाले उत्तराखंड के इस युवा से
संपादन: जी. एन. झा