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यदि आप दिल से कुछ करना चाहें तो तमाम कामों के बीच उसके लिए समय निकाल ही लेते हैं। भोपाल के शांतनु परिहार और पूनम मिश्रा इसका सटीक उदाहरण हैं। दोनों पेशे से बैंकर हैं, प्रोफेशनल लाइफ का दबाव इतना ज्यादा रहता है कि कभी-कभी अपने बारे में सोचने का भी वक्त नहीं मिलता, लेकिन समाज सेवा के लिए कुछ भी करके समय निकाल ही लेते हैं।
भोपाल की हरियाली में इनका भी कम योगदान नहीं है, दोनों मिलकर अब तक सैंकड़ों पौधे लगा चुके हैं। शांतनु और पूनम को जितना प्यार हरियाली से है, उतना ही गरीब-बेसहारा लोगों के चेहरे पर खिलने वाली मुस्कान से भी। इसलिए इस बार दीवाली की खुशियाँ उन्होंने गरीबों में भी बांटी। दोनों ने खुले आसमान के नीचे रात गुजारने वालों को मिठाई और कपड़े तो दिए ही, साथ ही उनके साथ कुछ वक्त भी बिताया, ताकि उन्हें अपनेपन का अहसास दिलाया जा सके। फ़िलहाल सर्दी की आहट के साथ ही शांतनु और पूनम गरीबों के लिए कंबल का इंतजाम करने में जुट गए हैं।
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वैसे तो शांतनु और पूनम कैनरा बैंक में काम करते हैं, लेकिन दोनों की मुलाकात एक सोशल पोस्ट के माध्यम से हुई, जिसे पूनम ने पौधारोपण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए पोस्ट किया था। इसके बाद दोनों साथ आए और तब से पर्यावरण एवं समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को दोगुनी तेजी से निभाते आ रहे हैं। खास बात यह है कि पूनम और शांतनु से प्रेरित होकर उनके इस अभियान में अब कई लोग शामिल हो चुके हैं। सभी हर रविवार या छुट्टी के दिन इकठ्ठा होते हैं और सामाजिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं। पौधे लगाना तो शांतनु एवं पूनम की आदत में शुमार को चला है। पिछले कुछ सालों से दोनों अपनी हर छुट्टी इसी पर कुर्बान करते आ रहे हैं। यहां तक कि अपनी शादी की व्यस्तता के बीच भी शांतनु पौधे लगाना नहीं भूले। भोपाल के चिनार पार्क, लालघाटी, जेके रोड और सीहोर सहित कई इलाकों में उनके लगाये पौधे पेड़ बन रहे हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि दोनों पौधारोपण से पहले उससे जुड़ी हर जानकारी एकत्र करते हैं। मसलन, जिस जमीन पर पौधा लगाया जाना है, वहां कौनसा पौधा उपयुक्त रहेगा। कौन से पौधे पर्यावरणीय संतुलन बनाने रखने के लिए ज़रूरी है आदि।
भोपाल की हरियाली बचाने के प्रति पूनम के जुनून का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बैंक में उन्हें सभी ‘ग्रीन गर्ल’ के नाम से बुलाते हैं।
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घर में भी उन्हें यही उपाधि मिली है। कुछ ऐसा ही हाल शांतनु का भी है, उन्हें भी लोग बैंकर के साथ-साथ समाजसेवी के रूप में पहचानते हैं। कॉलेज के दिनों से शांतनु गरीब-ज़रुरतमंदों की सहायता करते आ रहे हैं। इसके लिए उन्होंने लोगों के घरों से रद्दी इकठ्ठा करने से लेकर स्टॉल लगाने तक का काम किया है।
इस बारे में वह कहते हैं, "कॉलेज के दिनों में सबकुछ पॉकेट मनी से ही करना होता था, जो अक्सर कम पड़ जाया करती थी। इसलिए मैं अपने परिचितों के घर से अखबार की रद्दी जमा करता और फिर उसे बेचकर जो पैसे आते उससे गरीबों के लिए कपड़े-खाना खरीद लेता। इसके अलावा फंड जुटाने के लिए मैंने मेले आदि में स्टॉल भी लगाईं हैं। कुछ ऐसे बच्चे थे जो पढ़ना चाहते थे, लेकिन आर्थिक मजबूरियों ने उनके पैर बांध रखे थे, मैंने उनकी शिक्षा का खर्च भी उठाया। आज चूँकि मैं कमा रहा हूँ तो मुझे समाज के लिए कुछ करने में सोचना नहीं पड़ता।"
शांतनु की तरह पूनम ने भी पॉकेट मनी से समाज सेवा की है। हालांकि, वह इस मामले में खुद को थोड़ा ज्यादा खुशनसीब मानती हैं। क्योंकि उनके परिवार ने उनका हर कदम पर साथ दिया। वह कहती हैं, "मुझे दूसरों की मदद करना अच्छा लगता है और मेरे पैरेंट्स इसे अच्छी तरह से जानते हैं। उन्होंने मुझे कभी कुछ करने से नहीं रोका, फिर चाहे वह पौधे लगाना हो या गरीबों में कपड़े बांटना।"
शांतनु और पूनम अपने लिए इस बार की दिवाली को बेहद खास मानते हैं, क्योंकि उन्होंने उन लोगों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरी, जिनकी मुस्कान अक्सर दिवाली की चकाचौंध में कहीं खो जाती है। दोनों ने शहर में घूम-घूमकर गरीबों में मिठाई बांटीं।
वैसे, तो दोनों आतिशबाजी के सख्त खिलाफ हैं, लेकिन अपने साथ बच्चों के लिए फुलझड़ियाँ ले जाना नहीं भूले। इस बारे में ‘द बेटर इंडिया’ से बात करते हुए दोनों ने कहा, "दिवाली खुशियों का त्यौहार तो है, लेकिन यह अमीरी-गरीबी के फर्क को भी दर्शाता है। अमीर जहां महंगे कपड़े खरीदते हैं, आतिशबाजी करते हैं, वहीं गरीब चाह कर भी यह सब नहीं कर पाते। खासकर बच्चों के लिए यह बेहद मायूसी भरा पल होता है, इसलिए हम बच्चों के लिए फुलझड़ी भी लेकर गए ताकि उन्हें खुश होने का एक मौका मिल सके।"
पूनम और शांतनु ने ‘भोपाल फॉर लाइफ’ नाम से अपना फेसबुक पेज भी बनाया है, जिस पर वह आने वाले इवेंट और अपनी गतिविधियों को पोस्ट करते रहते हैं। फ़िलहाल पेज पर गरीबों के लिए कंबल दान करने की अपील की गई है। खास बात यह है कि गरीबों को पुराने नहीं नए कंबल बांटे जा रहे हैं। छुट्टी वाले दिन दोनों कार में कंबल रखकर शहर के दौरे पर निकल जाते हैं और जहां भी कोई ज़रूरतमंद दिखाई देता है उसे कंबल दे देते हैं। दोनों यह भी सुनिश्चित करते हैं कि कंबल उसी को मिले जिसे वास्तव में इसकी ज़रूरत है।
बैंकिंग सेक्टर आज पहले जैसा नहीं रहा है, काम का बोझ भी बढ़ा है, तो ऐसे में समाज सेवा के लिए समय निकालना कितना मुश्किल है?
इसके जवाब में पूनम कहती हैं, ‘हम पर्यावरण एवं समाज के लिए दिल से कुछ करना चाहते हैं, और जब आप दिल से कुछ चाहें, तो फिर समय की कमी मायने नहीं रखती। कई बार तो ऐसा होता है कि पूरी छुट्टी शहर में घूमते-घूमते ही निकल जाती है, मगर हमें उसका कोई मलाल नहीं होता। उल्टा हम दोगुने जोश और उत्साह के साथ काम पर लौटते हैं, क्योंकि हमें पता होता है कि हमने अपना समय समाज की बेहतरी में लगाया है।"
दोनों बैंकर हर रविवार को पौधारोपण के लिए जाते हैं, फिर चाहे आंधी आये या तूफान।
ऐसा ही एक वाकया याद करते हुए शांतनु ने कहा, "कुछ वक्त पहले हम भोपाल से 37 किमी दूर सीहोर में एकसाथ 100 पौधे लगाने जाने वाले थे। जगह पहले से तय थी इसलिए गड्ढे हम एक दिन पहले ही खोद आये थे, लेकिन हमारे सीहोर पहुंचने से पहले ही ज़बरदस्त बारिश होने लगी, कुछ ने कहा कि वापस लौटने में ही भलाई है पर हम नहीं माने। हम उसी दिन सीहोर पहुंचे और भीगते हुए पौधारोपण किया।"
शांतनु और पूनम इस बात से बेहद खुश हैं कि वह अपने काम से लोगों को प्रभावित करने में सफल हो रहे हैं। उनके साथ अब तक 30 ऐसे लोग जुड़ चुके हैं जो किसी न किसी रूप में उनके अभियान में शामिल होते हैं।
‘द बेटर इंडिया’ के माध्यम से पूनम और शांतनु लोगों से ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाने की अपील करना चाहते हैं। उनका कहना है कि ‘पर्यावरण के आज जो हाल हैं उसके ज़िम्मेदार हम सभी हैं, लिहाजा यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम पर्यावरण संरक्षण के लिए कुछ न कुछ करें। इसके अलावा, समाज के कमजोर तबके का ख्याल भी हमें ही रखना है। अगर हम मिलजुलकर प्रयास करें तो सब कुछ संभव है। इसलिए केवल सरकार या प्रशासन को कोसने के बजाये बेहतर भविष्य के लिए कदम बढ़ाएं।"
यदि आप आप भी शांतनु और पूनम के इस अभियान से जुड़ना चाहते हैं तो उनसे 8109292687 पर संपर्क कर सकते हैं या उनके फेसबुक पेज ‘भोपाल फॉर लाइफ’ को विजिट कर सकते हैं।
संपादन - मानबी कटोच