आनंद महिंद्रा ने ‘नन्ही कली’ नाम से एक प्रोजेक्ट शुरु किया है। 1996 में शुरू किए गए इस प्रोजेक्ट का मकसद शिक्षा के माध्यम से युवा लड़कियों और महिलाओं को सशक्त बनाने की कोशिश करना है।
गुजरात के बनासकांठा ज़िले की रहनेवाली नवलबेन चौधरी, पशु पालन का बिज़नेस करती हैं और एशिया की सबसे बड़ी ‘बनास डेयरी’ में हर रोज़ लगभग एक हज़ार लीटर दूध जमा करवाकर, हर महीने 8-9 लाख रुपए कमाती हैं।
गांव की आम महिला पहले 'साइकिल चाची' बनी फिर 'किसान चाची' (Kisan Chachi) और तय किया पद्म श्री तक का सफर। मुजफ्फरपुर के सरैया की रहनेवाली राजकुमारी देवी आज कई महिला किसानों के लिए प्रेरणा हैं।
पुर्णिया, बिहार की रहनेवाली प्रियंका गुप्ता सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं और इसका कारण यह है कि BHU से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएट होने के बाद भी प्रियंका को कहीं नौकरी नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने जिस काम को अपना प्रोफेशन बनाया उसने उन्हें चर्चा का विषय बना दिया है।
भारत की 13 बहादुर महिलाएं, जिन्होंने सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए पार की हर बाधा, तोड़ी सारी बेडियां, छोड़ दिए सारे सामाजिक बंधन और बनीं देश का गौरव, सम्मान और करोड़ों महिलाओं के लिए प्रेरणा।
जीवन का नियम है कि जो संघर्ष करता है, वह अपने काफी ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है और इसे सही साबित कर दिखाया है नैनीताल के रामगढ़ ब्लाॅक के नथुवाखान गांव में रहनेवाली रमा बिष्ट ने। उन्होंने बुरांस से 20 गांवों की महिलाओं को रोजगार दिया है।
दहाणु (महाराष्ट्र) की 67 वर्षीया लतिका पाटिल, अपने पति अच्युत पाटिल के साथ मिलकर 'औरा ग्रीन' नाम से एक फ़ूड प्रोसेसिंग बिज़नेस चला रही हैं, जिसमें वह सोलर की कई मशीनों का इस्तेमाल करती हैं।
संबलपुर की संतोषीनी मिश्रा 74 की उम्र में भी शहर की कई शादियों और समारोहों में केटरिंग सर्विस का काम करती हैं। वह अपनी कैटरिंग एजेंसी के माध्यम से कइयों को रोजगार भी दे रही हैं।