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प्रेरक महिलाएं

कविता करकरे : शहीदों के परिवारों को हक़ दिलवाने के लिए लड़ती रही आख़िरी दम तक!

By मानबी कटोच

कविता सिर्फ़ एक शहिद की विधवा नही थी. वे इससे कई ज़्यादा थी. देश के लिए उन्होने जो कुछ किया उससे वे स्वयं एक शहिद कहलाई जाने की हक़दार है.

जहाँ चाह वहाँ राह- शिक्षा से वंचित बच्चो के लिए बैठकगृह मे चलती पाठशाला!

By मानबी कटोच

ऋतु अब्भी इस बात की मिसाल है कि कुछ बड़ा करने के लिए बड़े-बड़े साधनो की ज़रूरत नही होती. अपने बैठकगृह को ही पाठशाला बना दिया . .