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प्रेरक महिलाएं

दुर्गा भाभी : जिन्होंने भगत सिंह के साथ मिलकर अंग्रेज़ो को चटाई थी धूल!

By निशा डागर

दूर्गा देवी वोहरा अका दुर्गा भाभी- जिन्होंने खुद गुमनामी की ज़िन्दगी जीकर भी देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अंग्रेजों की ईंट से ईंट बजा दी थी। दुर्गा देवी ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान न केवल महत्वपूर्ण गतिविधियों को अंजाम दिया बल्कि भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के जीवन पर भी इनका गहरा प्रभाव रहा।

भगिनी निवेदिता: वह विदेशी महिला जिसने अपना जीवन भारत को अर्पित कर दिया!

By निशा डागर

भगिनी निवेदिता का भारत से परिचय स्वामी विवेकानन्द के जरिए हुआ था। 28 अक्टूबर, 1867 को जन्मीं निवेदिता का वास्तविक नाम 'मार्गरेट एलिजाबेथ नोबल' था। एक अंग्रेजी-आइरिश सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक, शिक्षक एवं स्वामी विवेकानन्द की शिष्या- मार्गरेट ने 30 साल की उम्र में भारत को ही अपना घर बना लिया।

पेरिन बेन कैप्टेन: दादाभाई नौरोजी की पोती, जिन्होंने आजीवन देश की सेवा की!

By निशा डागर

दादाभाई नौरोजी की पोती पेरिन बेन कैप्टेन एक स्वतंत्रता सेनानी व समाज सुधारक थीं। उनका जन्म 12 अक्टूबर 1888 को गुजरात के कच्छ जिले के मांडवी के एक पारसी परिवार में हुआ था। उन्होंने साल 1919 से गांधीजी के साथ काम करना शुरू किया और राष्ट्रीय स्त्री सभा के गठन में अह्म भूमिका निभाई।

जस्टिस एम. फातिमा बीवी: वह महिला जो न केवल भारत में बल्कि एशिया में किसी भी सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनी!

By निशा डागर

केरल से ताल्लुक रखने वाली फातिमा बीवी पहली महिला न्यायधीश थीं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया था। हाल ही में एक बार फिर इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट की न्यायधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की गयी है। पिछले 68 सालों में सुप्रीम कोर्ट में केवल छह महिला जज ही रही हैं।

दो दशक पहले सबरीमाला मंदिर में जाने वाली पहली महिला थी यह आइएएस अफ़सर!

By निशा डागर

सुप्रीम कोर्ट ने सभी उम्र की महिलायों को केरल के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति देते हुए सदियों से औरतों के खिलाफ हो रहे इस भेदभाव को खत्म कर दिया है। लेकिन इस फैसले से दो दशक पहले, एक महिला आइएएस अफसर, के. बी. वलसला कुमारी को अपनी ड्यूटी के चलते सबरीमाला मंदिर जाने की अनुमति मिली थी।

कश्मीर के तनाव, गरीबी और समाज के विरोध के बाउंसर्स पर सिक्सर लगा रही है बारामुल्ला की इक़रा!

By निशा डागर

1 सितम्बर 2018 को आयोजित किये गए एक इवेंट 'युथ की आवाज समिट 2018' में 'बरमुल्ला की सुपरगर्ल' इक़रा रसूल ने लोगों को अपने क्रिकेट के साथ अपने सफर के बारे में बताया। जम्मू-कश्मीर के दंगीवाचा क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाली इक़रा का सपना भारतीय महिला क्रिकेट टीम में खेलना है।

'सेक्रेड गेम्स' और 'मंटो' की अभिनेत्री राजश्री देशपांडे ने अकेले ही बदली इस गाँव की तस्वीर!

By निशा डागर

अभिनेत्री और सामाजिक कार्यकर्ता राजश्री देशपांडे महाराष्ट्र के सूखा-ग्रस्त गांवों की तस्वीर बदल रही हैं। उन्होंने इसके लिए 'नभांगन फाउंडेशन' की शुरुआत की है। एडवरटाइजिंग कंपनी छोड़कर उन्होंने सिनेमा और सामाजिक कार्यों की तरफ रुख किया। राजश्री 'द एंग्री यंग गॉडेस' फिल्म में काम कर चुकी हैं।

दिव्या काकरान का संघर्ष : माँ घर पर लंगोट सीलती और पिता जगह-जगह होने वाले दंगलों में बेचते!

By निशा डागर

जब से एशियाई खेल 2018 शुरू हुए हैं भारत हर दिन कुश्ती में मेडल जीत रहा है। मंगलवार को दिव्या काकराण ने इंडोनेसिया में 68 किलोग्राम केटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता है। मैच में उनकी प्रतिद्विंदी चीनी ताइपे की चेन वेनलिंग थीं। जिन्हें उन्होंने बहुत ही शानदार तरीके से काबू कर मात्र डेढ़ मिनट में मैच खत्म कर दिया। 

तबेले में रहने से लेकर भारत के लिए मेडल जीतने का सफर, खुशबीर कौर एक प्रेरणा हैं!

By निशा डागर

25 साल की खुशबीर कौर ने साल 2014 में साउथ कोरिया में हुए एशियाई खेलों में महिलाओं की 20 किलोमीटर की दौड़ प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया था। पंजाब में अमृतसर के रसुलपुर कलान गांव से ताल्लुक रखने वाली खुशबीर को पिछले साल अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया था।

मिलिए दिल्ली की पहली महिला डाकिया, इंद्रावती से!

By निशा डागर

"मुझे अपने पढ़े-लिखे होने की खुशी उस वक्त सबसे ज्यादा हुई जब मैंने लोगों को चिट्ठियां पढ़कर सुनाईं। कई लोग खासकर बुजुर्ग पढ़ नहीं पाते थे। जब मैं उनकी चिट्ठी पढ़ती तो वो खुश होकर मुझे आशीर्वाद देते।"