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प्रेरक महिलाएं

सावित्रीबाई फुले: भारत की पहली शिक्षिका, जिन्होंने खोले स्त्री शिक्षा के द्वार

By निशा डागर

सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवयित्री थीं। ज्योतिबा फुले, saviteibai phule, mahatma jyotirao phule

देश की एकमात्र महिला कॉन्सटेबल जिन्हें मिला अशोक चक्र!

By निशा डागर

13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर आतंकी हमला हुआ था। इस हमले में पांच आतंकवादी मारे गये और दिल्ली पुलिस के छह अफसर, संसद में तैनात दो सुरक्षा अधिकारी और एक माली भी शहीद हुए। इन शहीद हुए लोगों में एक कॉन्सटेबल कमलेश कुमारी भी थीं, जो आज इकलौती महिला कॉन्सटेबल हैं जिन्हें अशोक चक्र से नवाजा गया।

कानून और समाज से लड़कर बनी देश की पहली महिला माइनिंग इंजीनियर!

By निशा डागर

डॉ. चंद्राणी प्रसाद वर्मा साल 1999 में अपनी इच्छाशक्ति के दम पर देश की पहली महिला माइनिंग इंजीनियर बनीं थीं। आज वे सीएसआईआर- केंद्रीय खनन और ईंधन अनुसंधान संस्थान [सीएसआईआर-सीआईएमएफआर] में सीनियर वैज्ञानिक हैं।

शांति घोष: वह क्रांतिकारी जिसने 15 साल की उम्र में ब्रिटिश अधिकारी को गोली मारी!

By निशा डागर

शांति घोष भारत के स्वतंत्रता संग्राम की क्रान्तिकारी वीरांगना थीं। उनका जन्म 22 नवंबर 1916 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुआ था। उन्होंने 15 साल की उम्र में एक अंग्रेजी अधिकारी को गोली मारी थी। उन्होंने अपनी आत्मकथा 'अरुणबहनी' नाम से लिखी। साल 1989 में 28 मार्च को उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली।

प्रतिमा पुरी: देश की पहली न्यूज़रीडर बन, जिन्होंने महिलाओं के लिए खोले थे न्यूज़रूम कर दरवाज़े!

By निशा डागर

साल 1965 में आकाशवाणी भवन के स्टूडियो सभागार से 15 अगस्त को नियमित दूरदर्शन प्रसारण शुरू किया गया था। सबसे पहला न्यूज़ बुलेटिन पुरे पांच मिनट का था और इसे प्रेजेंट किया प्रतिमा पुरी ने। हिमाचल प्रदेश की प्रतिमा देश की पहली महिला न्यूज़ एंकर थीं।

कल्पना चावला : छोटी-सी मोंटो का तारों तक पहुँचने का सफ़र!

By निशा डागर

कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ था। अन्तरिक्ष में जाने वाली वे पहली भारतीय महिला थीं। 19 नवम्बर 1996 को उनकी पहली अन्तरिक्ष यात्रा शुरू हुई थी। 1 फरवरी 2003 को अपनी दूसरी अन्तरिक्ष यात्रा से लौटते वक़्त एक दुर्घटना में उनकी मौत हो गयी थी।

ऊदा देवी 'पासी': अकेले ही 30 से भी ज़्यादा ब्रिटिश सैनिकों को मार गिराने वाली भारतीय वीरांगना!

By निशा डागर

लखनऊ में जन्मीं ऊदा देवी 'पासी' जाति से सम्बन्ध रखती थीं। उनके पति का नाम मक्का पासी था और शादी के बाद ससुराल में ऊदा का नाम 'जगरानी' रख दिया गया। इस 'दलित वीरांगना' ने लखनऊ के सिकंदर बाग में ब्रिटिश सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया। 16 नवम्बर 1857 को वे वीरगति को प्राप्त हुईं।

गाँधी जी के साथ 180 किलोमीटर मार्च कर, इस महिला स्वतंत्रता सेनानी ने छेड़ी थी अंग्रेज़ों के खिलाफ़ जंग!

By निशा डागर

3 नवंबर 1917 को जन्मीं अन्नपूर्णा महाराणा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय स्वतंत्रता सेनानी थी। इसके अलावा वह एक प्रमुख सामाजिक और महिला अधिकार कार्यकर्ता भी थीं। अन्नपूर्णा, महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी थी। 96 वर्ष की उम्र में 31 दिसम्बर 2016 को उन्होने दुनिया से विदा ली। 

प्रभा खेतान की कहानी - छिन्नमस्ता!

By द बेटर इंडिया

बचपन से ही भेदभाव और उपेक्षा की शिकार साधारण शक्ल-सूरत और सामान्य बुद्धि की प्रिया परिवार की ‘सुरक्षित’ चौहद्दी के भीतर ही यौन शोषण की शिकार भी होती है और तदुपरांत प्रेम और भावनात्मक सुरक्षा की तलाश में उन तमाम आघातों से दो-चार होती है जिनसे सम्भवतः हर स्त्री को गुजरना होता है।

झांसी की रानी से भी पहले थी एक स्वतंत्रता सेनानी; जानिए उस वीरांगना की अनसुनी कहानी!

By निशा डागर

कर्नाटक के बेलगावी जिले के कित्तूर तालुका में हर साल अक्टूबर के महीने में 'कित्तूर उत्सव' मनाया जाता है। इस साल भी यह उत्सव 23 अक्टूबर, 2018 से 25 अक्टूबर, 2018 तक मनाया जायेगा। इसकी शुरुआत रानी चेन्नम्मा ने की थी। वे भारत की पहली स्वतंत्रता सेनानी थीं जिन्होंने अंग्रेजों को हराया।