सीडीएस के इंटरव्यू से दो दिन पहले, रोड एक्सीडेंट में पिता को खो देने के बाद भी अलवर की रहने वाली अदिती ने अपने कदमों को रुकने नहीं दिया, पिता का सपना जो पूरा करना था और आज वह सेना में लेफ्टिनेंट बन चुकी हैं।
महीनों की कठिन ट्रेनिंग के बाद, ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से कुछ ऐसी तस्वीरें आईं, जो देश के हर नागरिक के दिल को छू गईं। परेड पूरी करने के बाद, अपने बच्चों को गोद में लिए महिला अधिकारियों के चेहरे पर गर्व और आत्मविश्वास था, तो दिल में ममता का सागर।
मिस गोरखपुर रह चुकीं सिमरन गुप्ता की मॉडल से चायवाली बनने की कहानी संघर्ष भरी है। मॉडलिंग के सपने को पंख मिला, तो उन्होंने मिस गोरखपुर का ख़िताब जीता, लेकिन फिर समय पलट गया! पढ़िए ‘माॅडल चायवाली’ की प्रेरणादायक कहानी!
मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर की रहनेवाली तपस्या परिहार ने UPSC परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग जॉइन किया, लेकिन जब पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली, तो उन्होंने सेल्फ स्टडी पर भरोसा किया और ऑल इंडिया में 23वीं रैंक हासिल कर आईएएस अफ़सर बनीं।
मुंबई की 66 वर्षीया एक बुज़ुर्ग महिला कैसी होंगी? आप कल्पना करेंगे एक दादी की, जो रिटायरमेंट के बाद घर पर आराम करती होंगी, दिनभर में थोड़ा-बहुत वॉक कर लेती होंगी। है न? लेकिन नहीं, पुष्पा केया भट्ट एक मैराथन रनर हैं, कई मुश्किल चुनौतियां पार कर चुकी हैं और हफ़्ते में 17 से 20 घंटे वर्कआउट करती हैं।
उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में एक जिला है अल्मोड़ा और इसका एक छोटा सा पहाड़ी शहर है रानीखेत, जो अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है। लेकिन इन दिनों यह शहर एक अलग वजह से चर्चा में है। यहां की बेटी तरन्नुम कुरैशी आइटीबीपी में उत्तराखंड से पहली महिला कांस्टेबल बनी हैं।
झारखंड के गुमला जिले की रहने वाली फुटबॉलर सुधा अंकिता टिर्की हर तुफान से लड़ते हुए आगे बढ़ने वालों में से हैं और उनके इसी जज़्बे और माँ के विश्वास व साथ ने उन्हें अंडर-17 फीफा वर्ल्ड कप तक पहुंचा दिया।
गौरी सावंत, जो सिर्फ़ 17 साल की उम्र में अपना घर छोड़ने पर मजबूर हो गईं, क्योंकि उनके व्यक्तित्व को समाज ही नहीं, बल्कि उनके खुद के पिता ने भी नहीं समझा। अनगिनत मुश्किलों के बावजूद, आज उन्होंने अपनी एक पहचान बनाई है। सुष्मिता सेन की आने वाली वेब सीरीज़, दुनिया को दिखाएगी उनके संघर्षपूर्ण जीवन की कहानी।
केरल के कासरगोड में नारायणी नाम की एक टीचर बच्चों को पढ़ाने के लिए पिछले 50 सालों से हर दिन 25 किमी पैदल चल रहीं हैं। यह उनके इस अद्भुत सफ़र की कहानी है।
क्या आपने कभी ऐसी रामलीला देखी है जिसमें कोई पुरुष ही न हो? चंडीगढ़ के चिनार होम्स में एक ऐसी ही अनोखी रामलीला का आयोजन हो रहा है जहाँ राम, रावण, हनुमान, लक्ष्मण जैसे सभी किरदार महिलाएं निभा रही हैं। स्टेज का संचालन और इसे ऑर्गेनाइज़ करने वाली संस्था की फाउंडर भी एक महिला हैं!