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पिता का हुआ निधन फिर भी पहुंची परीक्षा देने, बनीं उत्तराखंड की पहली ITBP महिला कांस्टेबल

Tarannum Quraishi (1)

उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में एक जिला है अल्मोड़ा और इसका एक छोटा सा पहाड़ी शहर है रानीखेत, जो अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है। लेकिन इन दिनों यह शहर एक अलग वजह से चर्चा में है। यहां की बेटी तरन्नुम कुरैशी आइटीबीपी में उत्तराखंड से पहली महिला कांस्टेबल बनी हैं।

उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में एक जिला है अल्मोड़ा और इसका एक छोटा सा पहाड़ी शहर है रानीखेत, जो अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है। लेकिन इन दिनों यह शहर एक अलग वजह से चर्चा में है। यहां की बेटी तरन्नुम कुरैशी आईटीबीपी में उत्तराखंड से पहली महिला कांस्टेबल बनी हैं।

हालांकि उनके लिए यह सफर बिल्कुल आसान नहीं था, जिस दिन उनकी परीक्षा थी, उसी दिन सुबह उनके पिता का साया उनके सिर से उठ गया। पिता का शव दफनाने के बाद, दो बजे तरन्नुम परीक्षा देने गई थीं। भीतर से टूटे होने के बावजूद, उन्होंने खुद को संभाला।

भाई, बहन ने भी हौसला बढ़ाया और तरन्नुम ने आईटीबीपी में जाकर अपना ख्वाब पूरा किया। द बेटर इंडिया से बातचीत में तरन्नुम ने बताया कि वह एक मुश्किल और काफी दुखद वक्त था। उन्होंने बताया, “मैंने केवल मेहनत की और परीक्षा का नतीजा ऊपरवाले पर छोड़ दिया। मुझे मेहनत का सिला मिला।”

तरन्नुम के भाई आमिर और बहन शहाना परवीन ने कहा कि तमाम तकलीफों के बावजूद, तमन्ना ने अपने बचपन का ख्वाब पूरा किया। इसके लिए उन्होंने बहुत मेहनत की थी। उनके लिए हमेशा से फर्ज़ सबसे ऊपर रहा है।

बचपन से ही आर्मी में जाने की थी ख्वाहिश

Uttarakhand's 1st women ITBP constable Tarannum Qureshi getting falicitated.
Uttarakhand’s 1st women ITBP constable Tarannum Qureshi getting falicitated.

आईटीबीपी में 77 महिला कैडेट्स का चयन हुआ था, उनमें उत्तराखंड से केवल तरन्नुम शामिल थीं। इंडियन तिब्बतन बॉर्डर पुलिस यानी आईटीबीपी के 167वें बैच में कुल 600 कैडेट्स का चयन हुआ था, जिनमें 77 महिलाएं थीं।

रानीखेत के कुरैशियान मोहल्ला की रहनेवाली तरन्नुम कुरैशी की ट्रेनिंग कोविड के चलते देर से शुरू हुई। उन्हें 2021 में प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया। उनका प्रशिक्षण हरियाणा के पंचकूला (चंडीगढ़) स्थित आईटीबीपी ट्रेनिंग सेंटर में पूरा हुआ।

तरन्नुम कुरैशी अपने आठ भाई बहनों में सबसे छोटी हैं। वह पढ़ाई-लिखाई के साथ ही खेलकूद में भी हमेशा आगे रहीं। स्कूल में वह एथलेटिक्स में हिस्सेदारी करती थीं। उन्होंने राजकीय आदर्श बालिका इंटर कॉलेज, रानीखेत से 12वीं पास करने के बाद राजकीय महाविद्यालय से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। आईटीबीपी में सेवा का जज्बा लिए, उन्होंने कड़ी मेहनत और लगन के साथ भर्ती की तैयारी की थी। 

तरन्नुम ने बताया कि वह बचपन से ही आर्मी में जाना चाहती थीं। वह खुद को वर्दी में देखना चाहती थीं। यह बात अलग है कि उन्होंने ग्रेजुएशन के बाद कुछ समय के लिए रानीखेत के रीना पब्लिक स्कूल में टीचर की जॉब भी की। लेकिन उनका उद्देश्य सेना या फिर पुलिस में भर्ती होना ही था। इसके लिए उन्होंने करीब साढ़े चार-पांच घंटे रोज़ पढ़ाई की थी। साथ ही वह एग्जाम पैटर्न समझने के उद्देश्य से इसकी ट्रेनिंग भी ले रही थीं।

आईटीबीपी की 42 बटालियन जोधपुर में तैनात हैं तरन्नुम

Tarannum Qureshi
Tarannum Qureshi

तरन्नुम बताती हैं कि फिज़िकल में वह पहले से ही अच्छी थीं। उन्होंने राज्य भर में कई एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर इनाम जीते थे। उन्होंने अपने फिज़िकल टेस्ट से पहले भी काफी अच्छी तैयारी की थी। वह अपने आपको इस परीक्षा में कामयाब देखना चाहती थीं, इसलिए कोई कोर कसर बाकी नहीं रखना चाहती थीं। अब आईटीबीपी में बतौर कांस्टेबल भर्ती होने से उनका एक सपना पूरा हो गया है।

उनके माता-पिता नफीसा खातून और अहमद बख्श दोनों का यह सपना था कि उनकी बेटी एक दिन बड़ी होकर दोनों का नाम रोशन करे। यह अलग बात है कि अहमद बख्श दिल के दौरे से चल बसे और तीन चार साल पहले, तरन्नुम कुरैशी की माँ का एक एक्सीडेंट में देहांत हो गया।

अहमद बख्श की रानीखेत में मीट की दुकान थी, जिसे अब उनके बेटे संभालते हैं। वह बताती हैं कि भाइयों की ओर से उन्हें हरसंभव सपोर्ट मिलता है। वे हर मामले में उनकी हौसला अफजाई करते हैं। बाकी सभी भाई-बहनों की शादी हो चुकी है, केवल तरन्नुम और शहाना अभी अविवाहित हैं।

शहाना भी बीएड की डिग्री हासिल कर चुकी हैं और अब टीचिंग के क्षेत्र में जाना चाहती हैं। शहाना का कहना है कि उनकी और तरन्नुम की प्राथमिकता अभी शादी नहीं है। कम से कम चार-पांच साल तक तो बिल्कुल नहीं।

अब पीसीएस एग्जाम क्लियर करना है तरन्नुम का लक्ष्य 

ITBP constable Tarannum Qureshi with her colleagues
ITBP constable Tarannum Qureshi with her colleagues

तरन्नुम के शपथ ग्रहण समारोह में उनका पूरा परिवार मौजूद रहा। इस दौरान तरन्नुम कुरैशी कई बार अपने माता-पिता को याद कर भावुक हुईं। तरन्नुम का कहना है कि वे होते तो समारोह की रौनक ही कुछ और होती।

तरन्नुम के आईटीबीपी में उत्तराखंड की पहली महिला कांस्टेबल बनने पर क्षेत्र की स्थानीय संस्थाओं ने तरन्नुम को सम्मानित भी किया। तरन्नुम इस बात को बेहद शिद्दत से मानती हैं कि कुछ भी करने के लिए इंसान के भीतर जज्बा होना बेहद ज़रूरी है। इसके साथ मेहनत का संगम ही इंसान को कामयाब बना सकता है।

उन्होंने बेशक आईटीबीपी की वर्दी पहनकर अपने बचपन का ख्वाब को पूरा कर लिया है, लेकिन वह यहीं पर नहीं रुकना चाहतीं। अब उन्होंने अपने लिए एक नया टारगेट सेट किया है और यह लक्ष्य है पीसीएस बनने का। तरन्नुम कहती हैं कि उन्होंने इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी है। वह इस कठिन मानी जाने वाली परीक्षा को निकालने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखेंगी।

संपादनः अर्चना दुबे

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