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Positive stories of women empowerment, achievements, initiatives, heroes, heroines, farmers, innovations, business and many more from Uttar Pradesh, India.उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश से जुड़ीं पॉजिटिव, सकारात्मक कहानियां, अच्छी ख़बरें, आविष्कार से सम्बंधित ख़बरें, अनजाने नायक जो एक बेहतर कल के लिए प्रयासरत हैं. उत्तर प्रदेश की महिलाओं की कहानियां, जिन्होंने बदलाव की नींव रखी। उत्तर प्रदेश के किसानों को प्रेरित करने वाली प्रगतिशील किसानों की ख़बरें। शून्य से शुरू करके शिखर तक पहुँचने वाले लोगों की कहानियां। छोटे व्यवसाय से अपनी किस्मत बदलने वाले लोगों की प्रेरक कथाएं। \ Positive stories of women empowerment, achievements, initiatives, heroes, heroines, farmers, innovations, business and many more from Uttar Pradesh, India.

आँखों से दिव्यांग इस किसान ने उगायी फ़सलों की 200+ देसी किस्में, पूरे देश में करते हैं बीज-दान!

By निशा डागर

Uttar Pradesh के वाराणसी जिले के तड़िया गाँव के 60 वर्षीय किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी न सिर्फ़ जैविक किसान हैं, बल्कि वे बीज उत्पादक भी हैं।

प्रशासन और ग्रामीणों के बीच सेतु बनकर, 20, 000+ लोगों तक पहुंचाई सरकारी योजनायें!

By निशा डागर

उत्तर-प्रदेश के जगापुर गाँव में पली-बढ़ी रमा सिंह दुर्गवंशी फिलह मुंबई में एक कंपनी में बतौर डायरेक्टर कार्यरत हैं। लेकिन फिर भी वे अपने पति के सहयोग से Arise N Awake संस्था के ज़रिए गांवों के विकास का कार्य कर रही हैं। उनके प्रयासों से 20 हज़ार से भी ज़्यादा लोगों को लाभ मिला है।

अमेरिका में एप्पल की नौकरी छोड़, अपने गाँव में बन गए किसान; बच्चों को दी ज़मीन से जुड़ी शिक्षा!

By निशा डागर

उत्तर-प्रदेश के अलीगढ़ में जरारा गाँव के रहने वाले अभिनव गोस्वामी, साल 2007 से अमेरिका में रह रहे थे। पर अपने देश के लिए कुछ करने का जज़्बा उन्हें वापिस अपने वतन ले आया। यहाँ आकर उन्होंने जैविक खेती, डेयरी फार्म, मधुमक्खी पालन आदि शुरू किया। उनका उद्देश्य बच्चों को स्किल बेस्ड शिक्षा देना है।

शोर्ट-सर्किट अलार्म से लेकर मौसम का हाल बताने वाले स्टेशन तक, ग्रामीणों के लिए किये इनोवेशन!

By निशा डागर

उत्तर-प्रदेश के देवरिया जिले से ताल्लुक रखने वाले 30 वर्षीय अब्दुल कलीम एक इनोवेटर हैं और उन्हें साल 2009 में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन ने भी सम्मानित किया था। अब तक उन्होंने लोगों की दैनिक ज़रूरतों और समस्याओं को हल करने के लिए कई तरह के आविष्कार बनाये हैं!

व्हीलचेयर पर बैठकर, 2,500 से भी ज़्यादा बच्चों को मुफ़्त शिक्षा दे चुके हैं गोपाल खंडेलवाल!

By निशा डागर

उत्तर-प्रदेश में मिर्ज़ापुर के एक गाँव पत्तीकापुर में 49 वर्षीय गोपाल खंडेलवाल पिछले 20 साल से यहाँ के बच्चों के जीवन में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। गोपाल एक दिव्यांग हैं और चल नहीं सकते हैं। व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे ही अब तक उन्होंने सैकड़ों बच्चों की ज़िंदगी संवारी है। 

ट्रेन से गिरकर घायल हुए यात्री को 1.5 किमी दौड़ते हुए इस सुरक्षा-कर्मी ने पहुँचाया अस्पताल!

By निशा डागर

बीते शनिवार, 23 फरवरी 2019 को मध्य-प्रदेश में एक यात्री चलती ट्रेन से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गया। ऐसे में, मध्य-प्रदेश पुलिस के कॉन्सटेबल पूनम चंद्र बिल्लोरे ने उस व्यक्ति को अपने कंधे पर उठाया और रेलवे लाइन पर लगभग डेढ़ किलोमीटर तक दौड़ते हुए, उसे समय रहते उपचार के लिए पहुँचाया।

बदलाव : कभी भीख मांगकर करते थे गुज़ारा, आज साथ मिलकर किया गोमती नदी को 1 टन कचरे से मुक्त!

By निशा डागर

10 फरवरी 2019, रविवार की सुबह, स्वयंसेवकों के एक समूह ने उत्तर-प्रदेश के लखनऊ में गोमती नदी के घाट की साफ़-सफाई की और वहाँ जमा हुए प्लास्टिक के ढेर को हटाया। ये 17 स्वयंसेवक, जिन्होंने यहाँ घाटों से प्लास्टिक के कचरे को साफ किया, वे कभी भिखारी हुआ करते थे। इसकी शुरुआत शरद पटेल ने की है।

काथीखेड़ा से लॉस एंजिलस तक, भारत की 'पैड वीमेन' पर बनी फ़िल्म ने जीता ऑस्कर अवॉर्ड!

By निशा डागर

ऑस्कर अवॉर्ड्स की बेस्ट डॉक्युमेंट्री (शोर्ट सब्जेक्ट) कैटेगरी के लिए 'पीरियड. एंड ऑफ़ सेंटेंस' डॉक्युमेंट्री को नामित किया गया है। 'माहवारी' के विषय पर बनी इस डॉक्युमेंट्री की पृष्ठभूमि भारत के उत्तर-प्रदेश में हापुड़ जिले का एक छोटे-सा गाँव काथीखेड़ा है।

उत्तर-प्रदेश: महज़ 75 परिवारों के इस गाँव के हर घर में हैं एक आईएएस या आईपीएस अफ़सर!

By द बेटर इंडिया

कहा जाता है कि इस गाँव में सिर्फ प्रशासनिक अधिकारी ही जन्म लेते हैं। पूरे जिले में इसे अफ़सरों वाला गाँव कहते हैं।

अवैध आश्रयगृह में हो रहा था यौन शोषण; इस 10 साल की बच्ची ने बचाया 24 लड़कियों को!

By निशा डागर

बिहार के आश्रय घर के बाद अब उत्तर प्रदेश के देवरिया स्थित आश्रय घर, माँ विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान से 24 लड़कियों को यौन शोषण से बचाया गया। इसमें कुल 42 लोग रहते थे। 18 लड़कियां अभी भी लापता हैं।