चितरंजन दास ने एक वकील, राजनीतिज्ञ और पत्रकार के तौर पर भारत को अंग्रेजी हुकूमत से मुक्त कराने में जो भूमिका निभाई, उसकी कोई बराबरी नहीं कर सकता है। यही कारण है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।
अंग्रेजों द्वारा शराब की दुकान खोलने और अफीम उगाने के विरोध में बसंतलता और उनकी महिला साथियों ने मोर्चा खोला था। ये 'स्वदेशी आंदोलन' इस कदर बढ़ा कि अंग्रेजों को इसे रोकने के लिए सर्कुलर निकालना पड़ा!
स्वतंत्रता सेनानी बीना दास का जन्म बंगाल के कृष्णानगर में 24 अगस्त 1911 को प्रसिद्द ब्रह्मसमाजी शिक्षक बेनी माधव दास और समाजसेविका सरला देवी के घर में हुआ था। मात्र 21 साल की उम्र में बीना ने बंगाल के तत्कालीन गवर्नर पर पांच गोलियाँ चलाकर उनकी हत्या का प्रयास किया था।
राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी का जन्म बंगाल के पाबना ज़िले के भड़गा नामक गाँव में 23 जून, 1901 को हुआ था। 9 वर्ष की उम्र में ये बंगाल से बनारस आ गये। एम. ए. की पढ़ाई के दौरान ये क्रांतिकारियों के सम्पर्क में आये और बिस्मिल से जुड़ गये। काकोरी कांड के मुख्य क्रांतिकारियों में एक थे लाहिड़ी।
प्रफुल्ल चंद्र चाकी का जन्म 10 दिसंबर, 1888 को उत्तरी बंगाल के बोगरा जिला (अब बांग्लादेश में है) के बिहारी गाँव में हुआ था। उन्होंने खुदीराम बोस के साथ मिलकर ब्रिटिश अधिकारी किंग्स्फोर्ड की बग्घी पर बम फेंका। जिसके बाद उन्हें पुलिस ने घेर लिया था और ऐसे में प्रफुल्ल ने खुद को गोली मार ली और शहीद हो गये।