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स्वतंत्रता सेनानी

लाला लाजपत रायः जिनकी सोच से मिला देश को पहला बैंक व आजादी की लड़ाई को अंतरराष्ट्रीय पहचान

पंजाब केसरी लाला लाजपत राय ने भारत का पहला स्वदेशी बैंक शुरू कर, देश को आर्थिक मजबूती देने में बड़ी भूमिका निभाई।

देशबंधु चित्तरंजन दास: जानिए उस शख्स के बारे में, जिन्हें नेताजी अपना गुरु मानते थे

चितरंजन दास ने एक वकील, राजनीतिज्ञ और पत्रकार के तौर पर भारत को अंग्रेजी हुकूमत से मुक्त कराने में जो भूमिका निभाई, उसकी कोई बराबरी नहीं कर सकता है। यही कारण है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।

घूंघट छोड़कर आज़ादी की लड़ाई से जुड़ने के लिए प्रेरित करने वाली राधाबाई की कहानी!

By निशा डागर

रायपुर में स्वाधीनता की क्रांति को घर-घर पहुंचाने का काम डॉ. राधाबाई ने ही किया था। उनकी प्रेरणा से ही यहाँ की महिलाएं स्वतंत्रता आंदोलनों से जुड़ीं!

एक महिला सेनानी का विरोध-प्रदर्शन बन गया था ब्रिटिश सरकार का सिरदर्द!

By निशा डागर

अंग्रेजों द्वारा शराब की दुकान खोलने और अफीम उगाने के विरोध में बसंतलता और उनकी महिला साथियों ने मोर्चा खोला था। ये 'स्वदेशी आंदोलन' इस कदर बढ़ा कि अंग्रेजों को इसे रोकने के लिए सर्कुलर निकालना पड़ा!

पुरुष-वेश में क्रांतिकारियों तक हथियार पहुँचाती थी यह महिला स्वतंत्रता सेनानी!

By निशा डागर

साल 2010 में रिलीज़ हुई आशुतोष गोवरिकर की फ़िल्म 'खेलें हम जी जान से' में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने स्वतंत्रता सेनानी कल्पना दत्त की भूमिका निभाई थी।

'कोशिश करने वालों की हार नहीं होती' : बच्चन भी जिनकी कविताओं के थे कायल!

By निशा डागर

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती सोहनलाल द्विवेदी koshish karne walon ki haar nahi hoti harivansh rai bachchan sohan lal dwivedi

बीना दास : 21 साल की इस क्रांतिकारी की गोलियों ने उड़ा दिए थे अंग्रेज़ों के होश!

By निशा डागर

स्वतंत्रता सेनानी बीना दास का जन्म बंगाल के कृष्णानगर में 24 अगस्त 1911 को प्रसिद्द ब्रह्मसमाजी शिक्षक बेनी माधव दास और समाजसेविका सरला देवी के घर में हुआ था। मात्र 21 साल की उम्र में बीना ने बंगाल के तत्कालीन गवर्नर पर पांच गोलियाँ चलाकर उनकी हत्या का प्रयास किया था।

काकोरी कांड का वह वीर जिसे अंगेज़ों ने तय समय से पहले दे दी फाँसी!

By निशा डागर

राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी का जन्म बंगाल के पाबना ज़िले के भड़गा नामक गाँव में 23 जून, 1901 को हुआ था। 9 वर्ष की उम्र में ये बंगाल से बनारस आ गये। एम. ए. की पढ़ाई के दौरान ये क्रांतिकारियों के सम्पर्क में आये और बिस्मिल से जुड़ गये। काकोरी कांड के मुख्य क्रांतिकारियों में एक थे लाहिड़ी।

प्रफुल्लचंद्र चाकी : देश पर मर मिटने वालों में एक नाम यह भी है!

By निशा डागर

प्रफुल्ल चंद्र चाकी का जन्म 10 दिसंबर, 1888 को उत्तरी बंगाल के बोगरा जिला (अब बांग्लादेश में है) के बिहारी गाँव में हुआ था। उन्होंने खुदीराम बोस के साथ मिलकर ब्रिटिश अधिकारी किंग्स्फोर्ड की बग्घी पर बम फेंका। जिसके बाद उन्हें पुलिस ने घेर लिया था और ऐसे में प्रफुल्ल ने खुद को गोली मार ली और शहीद हो गये।