साल 1965 में आकाशवाणी भवन के स्टूडियो सभागार से 15 अगस्त को नियमित दूरदर्शन प्रसारण शुरू किया गया था। सबसे पहला न्यूज़ बुलेटिन पुरे पांच मिनट का था और इसे प्रेजेंट किया प्रतिमा पुरी ने। हिमाचल प्रदेश की प्रतिमा देश की पहली महिला न्यूज़ एंकर थीं।
यह कहानी है एसिड अटैक सर्वाइवर्स की, जो हर रोज एक उम्मीद में जीते हैं कि उनकी ज़िन्दगी फिर से खुशियों से भर सकती है। क्योंकि हर एक सूर्यास्त हमें याद दिलाता है कि सूर्य फिर से उदय होगा।
15 अगस्त 1911 को उत्तर प्रदेश के बदायूं में जन्मी इस्मत चुग़ताई उर्दू साहित्य की महान लेखिका थीं। उनके द्वारा लिखे गये अफ़साने और कहानियों को आज भी पढ़ा जाता है। उनकी कहानी 'लिहाफ' को लेकर पुरे देश में बवाल मच गया था। फिर भी उनकी लेखनी का बेबाकपन कम न हुआ। 24 अक्टूबर 1991 में उन्होंने दुनिया से विदा ली।
कर्नाटक के बेलगावी जिले के कित्तूर तालुका में हर साल अक्टूबर के महीने में 'कित्तूर उत्सव' मनाया जाता है। इस साल भी यह उत्सव 23 अक्टूबर, 2018 से 25 अक्टूबर, 2018 तक मनाया जायेगा। इसकी शुरुआत रानी चेन्नम्मा ने की थी। वे भारत की पहली स्वतंत्रता सेनानी थीं जिन्होंने अंग्रेजों को हराया।
दूर्गा देवी वोहरा अका दुर्गा भाभी- जिन्होंने खुद गुमनामी की ज़िन्दगी जीकर भी देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अंग्रेजों की ईंट से ईंट बजा दी थी। दुर्गा देवी ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान न केवल महत्वपूर्ण गतिविधियों को अंजाम दिया बल्कि भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के जीवन पर भी इनका गहरा प्रभाव रहा।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी उम्र की महिलायों को केरल के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति देते हुए सदियों से औरतों के खिलाफ हो रहे इस भेदभाव को खत्म कर दिया है। लेकिन इस फैसले से दो दशक पहले, एक महिला आइएएस अफसर, के. बी. वलसला कुमारी को अपनी ड्यूटी के चलते सबरीमाला मंदिर जाने की अनुमति मिली थी।
14 सितंबर, 2018 को, पुलिसकर्मी सोनू कुमार रोजरा यूपी के मथुरा छावनी रेलवे स्टेशन पर थे और वहां उन्होंने कुछ अफरा-तफरी देख़ी। पूछताछ पर पुलिस को पता चला कि भावना नामक एक महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हो गयी है। भावना बल्लभगढ़ निवासी हैं और अपने पति के साथ हाथरस से फरीदाबाद तक ट्रेन में सफर कर रही थी।
"मुझे अपने पढ़े-लिखे होने की खुशी उस वक्त सबसे ज्यादा हुई जब मैंने लोगों को चिट्ठियां पढ़कर सुनाईं। कई लोग खासकर बुजुर्ग पढ़ नहीं पाते थे। जब मैं उनकी चिट्ठी पढ़ती तो वो खुश होकर मुझे आशीर्वाद देते।"