वैसे तो अक्सर डॉक्टर, गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के लिए एक निश्चित तारीख बता देते हैं ताकि उन्हें समय रहते देखभाल के लिए अस्पताल में भर्ती कराया जा सके। लेकिन फिर भी कब क्या आपातकालीन स्थिति आ जाये कहा नहीं जा सकता है। और यही हुआ मथुरा छावनी रेलवे स्टेशन पर।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 14 सितंबर, 2018 को, पुलिसकर्मी सोनू कुमार रोजरा रेलवे स्टेशन पर थे और वहां उन्होंने अचानक कुछ अफरा-तफरी होते हुए देख़ी। पूछताछ पर पुलिस को पता चला कि एक महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हो गयी है।
प्रकाशन के अनुसार यह महिला, बल्लभगढ़ की निवासी भावना है, और अपने पति, महेश के साथ हाथरस से फरीदाबाद तक ट्रेन से यात्रा कर रही थीं। लेकिन भावना को दर्द शुरू होने के बाद, दोनों ने मथुरा छावनी रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से उतरने का फैसला किया।
इन दोनों ने कई लोगों से मदद मांगी, पर किसी ने भी इनकी सहयता नहीं की। ऐसे में पुलिस अफसर सोनू कुमार रोजरा इनकी मदद के लिए आगे आये।
स्थति की जानकारी होने पर रोजरा ने अपने सारे काम छोड़, इस दम्पति की मदद की। हाथरस जिले के जीआरपी स्टेशन हाउस ऑफिसर रोजरा ने एम्बुलेंस की व्यवस्था करने की कोशिश की, लेकिन जब यह मुमकिन नहीं हुआ, तो वे भावना को ई-रिक्शा में निकटतम अस्पताल तक लेकर गए।
Mathura: Policeman carried pregnant woman in arms to help her reach hospital. SO Hathras City says, “I saw woman was in pain&her husband was asking people for help. I called for ambulance, but it wasn’t available. So I took her to hospital where she gave birth to a baby.” (14.09) pic.twitter.com/4XshUKFsil
— ANI UP (@ANINewsUP) September 15, 2018
जब ये तीनों अस्पताल पहुंचे तो एक और समस्या खड़ी हो गयी। दरअसल, अस्पताल के स्टाफ ने कहा कि कोई भी स्ट्रेचर उपलब्ध नहीं है और भावना को चिकित्सा केंद्र से 100 मीटर दूर महिला सुविधा केंद्र तक ले जाना होगा। ऐसे में भावना की बिगड़ती हालत को देख तुरंत रोजरा ने उसे अपने हाथों में उठाया और सही-सलामत बताये हुए स्थान पर पहुंचा दिया।
एएनआई से बात करते हुए, राजेरा ने कहा, “मैंने देखा कि महिला दर्द में थी और उसका पति लोगों से मदद मांग रहा था। मैंने एम्बुलेंस भी बुलायी, लेकिन वह उपलब्ध नहीं हुई। तो मैं उसे पास के अस्पताल ले गया जहां उसने एक बच्चे को जन्म दिया।”
भावना ने अस्पताल में एक बेटे को जन्म दिया। भावना और महेश, समय रहते रोजरा से मिली मदद के लिए आभार व्यक्त कर रहे हैं।
संपादन – मानबी कटोच
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