अबला बोस, रेडियो साइंस के पितामह जगदीश चंद्र बोस की जीवन संगिनी थीं। उन्होंने देश की महिलाओं को सामाजिक कुरीतियों से मुक्त कर, एक सम्मानित जीवन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बिंदी तिवारी की शहादत के बाद अंग्रेजी हुकूमत की न सिर्फ भारत में बल्कि इंग्लैंड में भी निंदा हुई, और तो और बहुत से भारतीय अफसरों और सैनिकों ने ब्रिटिश सेना छोड़ दी!
साल 1987 में ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान को भारत सरकार ने 'भारत रत्न' से नवाज़ा। उनका जन्म 6 फरवरी 1890 को पेशावर (अब पाकिस्तान में है) में हुआ। उन्हें 'सरहदी गाँधी,' 'बाचा ख़ान' और 'बादशाह ख़ान' के नाम से भी जाना जाता है। वे भी एक स्वतंत्रता सेनानी थे जो गाँधी जी के साथ अहिंसा के मार्ग पर चले।
जतिंद्रनाथ मुख़र्जी का जन्म बंगाल के कायाग्राम, कुष्टिया जिला (जो अब बांग्लादेश में है) में 7 दिसंबर 1879 को हुआ था। उन्हें सब 'बाघा जतिन' पुकारते थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। उन्होंने ही 'जुगांतर पार्टी' का नेतृत्व किया। अंग्रेज भी बाघा जतिन से खौफ खाते थे।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी पंडित गेंदालाल दीक्षित का जन्म 30 नवम्बर 1888 को उत्तर-प्रदेश के आगरा जिले के एक मई गाँव में हुआ। उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के साथ मिलकर मैनपुरी षड्यंत्र को अंजाम दिया। टीबी रोग के चलते उन्होंने 21 दिसंबर 1920 को प्राण त्याग दिए।
राजस्थान के चारण घराने से ताल्लुक रखने वाले केसरी सिंह बारहठ प्रसिद्ध राजस्थानी कवि और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म 21 नवम्बर, 1872 को शाहपुरा रियासत के देवपुरा गाँव में हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया। 14 अगस्त 1941 को उनका निधन हुआ।