पुणे में रहने वाले नंदन भट ने प्लास्टिक के कचरे के प्रबंधन के लिए, एक सोशल स्टार्टअप 'Ecokaari' शुरू किया है। जिसके जरिए, वह सिंगल यूज पॉलिथीन, चिप्स तथा बिस्कुट आदि के रैपर्स को अपसायकल करके तरह-तरह के उत्पाद बना रहे हैं।
फरीदाबाद में ऑटो पिन स्लम में रहने वाले 20-25 बच्चों ने पहले साथ में मिलकर प्लास्टिक की खाली-बेकार पड़ी बोतलों और अन्य कचरे से 300 से भी ज्यादा 'इको ब्रिक' बनाई हैं और इन इको ब्रिक का इस्तेमाल उन्होंने अपने स्लम में 'इको बेंच' बनाने के लिए किया है।
अंडमान निकोबार द्वीप समूह में रहने वाले जोरावर पुरोहित ने साल 2017 में, अपने तीन दोस्तों अखिल वर्मा, आदित्य वर्मा और रोहित पाठक के साथ मिलकर आउटबैक हैवलॉक को शुरू किया। यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। इस द्वीप पर बेकार पड़े 5 लाख बोतलों को रीसायकल कर बनाया गया है।
प्लास्टिक की वजह से हमारा पूरा पारिस्थिकी तंत्र, धरती, जल और पर्यावरण बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। इन्हीं चिन्ताओं को देखते हुए, आईआईटी गुवाहाटी से केमिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट शशांक गुप्ता ने अपने साथियों के साथ मिलकर एडिबल स्ट्रॉ को बनाने का फैसला किया।
हरियाणा के गुरुग्राम निवासी समीरा सतीजा ने 'क्रॉकरी बैंक' की एक बहुत अनोखी पहल शुरू की है। यह अनूठा बैंक लोगों को उत्सवों व समारोह के लिए स्टील के बर्तन उधार देता है और वह भी बिना किसी पैसे के। वे कंपट्रोलर एंड ऑडिट जनरल ऑफ़ इंडिया के ऑडिट विभाग में काम करती हैं।