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जब कार्डिफ ने कहा, "India is Nothing", मिल्खा ने धमाकेदार जीत से दिया करारा जवाब

By अर्चना दूबे

मिल्खा सिंह ने कोरोना संक्रमित होने के बाद 19 जून 2021 को चंडीगढ़ के PGI अस्पताल में अंतिम सांस ली। पांच दिन पहले ही उनकी पत्नी निर्मल सिंह (85) का देहांत हुआ था।

100 साल पुराना है ‘केसर दा ढाबा’, लाला लाजपत राय और पंडित नेहरू भी थे जिसके मुरीद

By प्रीति महावर

स्वर्ण मंदिर से लगभग 800 मीटर की दूरी पर, चौक पस्सियां की तंग गलियों में स्थित है 100 साल पुराना ‘केसर दा ढाबा’। दाल मखनी और राजमा चावल जैसे असली पंजाबी स्वाद के लिए तो यह मशहूर है ही, पर क्या आप इसका रोचक इतिहास भी जानना चाहेंगे?

लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा : वह भारतीय अफ़सर, जिसकी रणनीति ने दिलाई थी बांग्लादेश को आज़ादी!

By निशा डागर

लेफ्टिनेंट जगजीत सिंह अरोड़ा का नाम उन भारतीय अफ़सरों और सैनिकों की फ़ेहरिस्त में सबसे पहले आता है, जिन्होंने बांग्लादेश को पाकिस्तान से आज़ादी दिलवाई। उनके सामने ही पाकिस्तान के तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल नियाज़ी ने अपने 93, 000 सैनिकों के साथ आत्म-समर्पण किया।

फील्ड मार्शल के. एम. करिअप्पा, जिन्होंने सही मायनों में सेना को 'भारतीय सेना' बनाया!

फील्ड मार्शल के. एम. करिअप्पा को बहुत-सी ऐसी बातों के लिए जाना जाता है, जो भारत में पहली बार हुईं। पर फिर भी उनकी सबसे अहम पहचान है कि उन्होंने ही हमारी सेना को सही मायने में भारतीय सेना बनाया है। वे स्वतंत्र भारत में वे भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ बने।

कृष्णा सोबती : बंटवारे के दर्द से जूझती रही जिसकी रूह!

By निशा डागर

साल 2017 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित मशहूर हिंदी लेखिका, निबंधकार कृष्णा सोबती का जन्म 18 फरवरी 1925 को हुआ था। उनकी कुछ प्रमुख रचनाएँ हैं- ज़िंदगीनामा, यारों के यार, मित्रो मरजानी, सिक्का बदल गया, आदि। 25 जनवरी 2019 को उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली।

ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान: भारत रत्न पाने वाला गैर-हिंदुस्तानी, जिसकी हर सांस में भारत बसता था!

By निशा डागर

साल 1987 में ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान को भारत सरकार ने 'भारत रत्न' से नवाज़ा। उनका जन्म 6 फरवरी 1890 को पेशावर (अब पाकिस्तान में है) में हुआ। उन्हें 'सरहदी गाँधी,' 'बाचा ख़ान' और 'बादशाह ख़ान' के नाम से भी जाना जाता है। वे भी एक स्वतंत्रता सेनानी थे जो गाँधी जी के साथ अहिंसा के मार्ग पर चले।

कैप्टेन गुरबचन सिंह सलारिया: वह भारतीय जिसने विदेशी धरती पर फहराया था विजय का पताका!

By निशा डागर

कैप्टेन गुरबचन सिंह सलाारिया का जन्म 29 नवंबर 1935 को पंजाब के शकगरगढ़ के पास एक गांव जनवाल (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। वे गोरखा राइफल्स में कैप्टेन थे। वे संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान के सदस्य थे। वह परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले एकमात्र संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक हैं।

बंटवारे के समय बिछड़ा यह सिख भाई 71 साल बाद मिला अपनी मुसलमान बहनों से!

By निशा डागर

हाल ही में बेअंत सिंह 3000 सिख श्रद्धालुओं के साथ हैं अटारी बॉर्डर से नानक जयंती के मौके पर पाकिस्तान के पंजाब में ननकाना साहिब गुरुद्वारे में मत्था टेकने के लिए पहुंचे। पुरे 71 साल बाद यहाँ उन्होंने अपनी दोनों बहनों से मुलाकात की, जिनसे वे भारत-पाक बंटवारे के समय बिछुड़ गये थे।

अजीत डोभाल: भारत का वह पहला आईपीएस अफ़सर जिसे मिला था कीर्ति चक्र!

By निशा डागर

केरल कैडर में 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी और आईबी के पूर्व अध्यक्ष रहे अजीत कुमार डोभाल, जो कि वर्तमान में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं, उन्हें वर्तमान सरकार ने स्ट्रेटजिक पुलिस ग्रुप के प्रमुख अधिकारी के रूप में नियुक्त किया है। इसके बाद वे देश के सबसे ताकतवर अधिकारी बन गये हैं।

आईये भगत सिंह की डायरी के कुछ पन्ने उलटकर देखें, एक क्रांतिकारी के भीतर बसे कवि से कुछ सीखें!

By निशा डागर

28 सितम्बर 1907 को पंजाब के लायलपुर (अब पाकिस्तान में) गाँव में पैदा हुए भगत सिंह को को अन्य स्वतंत्रता सेनानियों जैसे राजगुरु और सुखदेव के साथ लाहौर साजिश के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। किताब 'द जेल नोटबुक एंड अदर राइटिंग्स' में भगत सिंह द्वारा लिखी गयी कवितायों और बातों के बारे में लिखा गया है।