ओडिशा के कालाहांडी जिले में संचरगाओं के रहने वाले किसान, कृष्ण चंद्र नाग अपने खेत में आम, केला और मौसमी सब्जियां उगाने के साथ-साथ मछली पालन और मुर्गी पालन भी कर रहे हैं, जिससे उनकी कमाई लाखों में हो रही है।
सूरत, गुजरात के रहने वाले प्रवीण पटेल ने इजराइल से जैविक खेती की तकनीक सीखकर खीरा, खरबूज, तरबूज, स्ट्रॉबेरी जैसे कैश क्रॉप की खेती शुरू की, जिनसे आज वह लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं।
बिहार के समस्तीपुर निवासी किसान, सुधांशु कुमार 200 एकड़ में खेती करते है, जहाँ 35 एकड़ खेत, पूरी तरह से ऑटोमेटेड हैं। उन्होंने अपनी 60 एकड़ जमीन पर, 28 हजार फलों के पेड़ उगाएं हैं। सुधांशु की सालाना कमाई 80 लाख रुपये है।
हरियाणा के करनाल में रहने वाले इंजीनियर, निर्मल सिंह सिद्धू ने MNC की नौकरी छोड़कर केंचुआ खाद बनाने का काम शुरू किया। आज वह अपनी वर्मीकम्पोस्टिंग यूनिट, 'हरकिरपा ऑर्गेनिक्स' चला रहे हैं, जिससे उन्हें लाखों की कमाई हो रही है।
मोहाली, पंजाब के रहने वाले 57 वर्षीय किसान, चरणदीप सिंह अपनी सात एकड़ जमीन पर गेहूं, चावल, दाल, मौसमी सब्जियां, मसाले और कई तरह के फल उगा रहे हैं। कुदरती तरीकों से खेती करने के कारण, उनके खेतों में 50 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षी आते हैं।
पंजाब के फाजिल्का में गांव ढिंगावाली के रहने वाले 60 वर्षीय किसान, सुरेंद्र पाल सिंह अनाज, दलहन, तिलहन और फलों के साथ-साथ, देसी कपास की भी जैविक खेती करते हैं। वह खुद अपने कपास की प्रोसेसिंग कर, इससे त्वचा के लिए उपयुक्त जैविक कपड़े भी बनवा रहे हैं।
जयपुर, राजस्थान के रहने वाले 25 वर्षीय अनिल थडानी ने कृषि विषय में पढ़ाई की है और उन्होंने अपने घर की छत से नर्सरी का काम शुरू किया, जिसके तहत आज वह 20 से ज्यादा लोगों के घरों में हाइड्रोपोनिक, वर्टिकल और टेरेस गार्डन लगा चुके हैं और लगभग ढाई हजार किसानों को जैविक खेती की ट्रेनिंग दे रहे हैं।
झारखंड के देवघर में रहने वाले कृष्ण कुमार कन्हैया ने अपने 20 वर्षों के पत्रकारिता कैरियर ने दौरान, अन्न दाता, समय चौपाल जैसे कई लोकप्रिय कृषि आधारित कार्यक्रमों को चलाया है। लेकिन, जब उन्हें लगा कि किसानों की बेहतरी के लिए उन्हें कुछ अलग पहल करनी चाहिए, उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ी और लग गए किसानों को नई राह दिखाने में।
कई फसलों की खेती करने के अलावा अभिषेक ने 2 वर्ष पहले टी-तार ग्रीन टी को भी बनाना शुरू किया। इसे वह तुलसी, लेमनग्रास, मोरिंगा आदि जैसे औषधीय पौधों की पत्तियों से बनाते हैं।