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कड़ी मेहनत और जिद के जरिए स्कीइंग में लहराया परचम, पहाड़ की बेटियों के लिए बनीं प्रेरणा-स्रोत

By Sanjay Chauhan

स्कीइंग को हमेशा से ही पुरुषों का खेल माना जाता रहा। लेकिन वंदना ने स्कीइंग में बर्फीली ढलानों पर हैरतअंगेज करतब दिखाकर कई प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की और इस खेल में पुरुषों के प्रभुत्व को चुनौती देकर महिलाओं के लिए उम्मीदों की नयी राह खोली।

मेघना गुंडलपल्ली: इस 20 वर्षीय लड़की के जुनून ने दिलाई 'रिदमिक जिमनास्टिक्स' में देश को पहचान!

By निशा डागर

तेलंगाना के हैदराबाद की रहने वाली 20 वर्षीय मेघना रेड्डी गुंडलपल्ली एक भारतीय रिदमिक जिमनास्ट हैं। साथ ही, साल 2018 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए क्वालीफाई करने वाली वे अकेली भारतीय खिलाड़ी थीं। फ़िलहाल, वे इटली में साल 2020 ओलिंपिक के लिए ट्रेनिंग में जुटी हैं।

दुर्घटना के बाद कभी हाथ और पैर काटने की थी नौबत, आज हैं नेशनल पैरा-एथलेटिक्स के गोल्ड विजेता!

By निशा डागर

बिहार के 24 वर्षीय पैरा- एथलीट शेखर चौरसिया भी उन लोगों में से एक हैं, जिन्होंने हर एक चुनौती से लड़कर अपना रास्ता बनाया है। उन्होंने राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित अलग- अलग पैरा-एथलीट चैंपियनशिप में गोल्ड व सिल्वर मेडल जीते हैं।

रानी रामपाल: गरीबी, विरोध और समाज के तानों से लड़कर, बनी भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान!

हरियाणा से ताल्लुक रखने वाली रानी रामपाल, भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान हैं। उनकी कप्तानी में महिला हॉकी टीम को आज वैश्विक स्तर पर जाना जा रहा है। हालांकि, रानी का यहाँ तक का सफ़र बहुत संघर्ष भरा रहा है। पर आज वे खुद सफल होने के साथ-साथ युवा खिलाड़ियों को मौके दे रही हैं।

जानिए उस भारतीय वॉलीबॉल खिलाड़ी के बारे में, जिसके सम्मान में इटली में भी बना स्टेडियम!

By निशा डागर

8 मार्च 1955 को केरल में मालाबार क्षेत्र के पेरावूर में जन्में जिम्मी जॉर्ज भारतीय वॉलीबॉल खिलाड़ी थे। अगर उन्हें इस खेल का 'बादशाह' भी कहा जाये तो गलत नहीं होगा। मात्र 16 साल की उम्र में उन्होंने केरल कि राज्य टीम में जगह बना ली थी। 21 साल की उम्र में अर्जुन अवॉर्ड से नवाज़े जाने वाले वे एकमात्र वॉलीबॉल खिलाड़ी हैं।

एक एथलीट और स्पोर्ट्स टीचर; पर अगर आप अमोल के पैरों को देखंगे तो चौंक जायेंगे!

By निशा डागर

महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के रंगोली गाँव के 27 वर्षीय अमोल संखन्ना एक एथलीट, क्रिकेटर और एक स्पोर्ट्स टीचर हैं। बचपन में हुई एक सड़क दुर्घटना में अमोल के दाहिने पैर की पाँचों उंगलियाँ चली गयी और अब वे लगभग 40% विकलांग हैं। उनका सपना पैरा-ओलंपिक में पदक जीतने का है।

कभी विवादों में रहा, तो कभी इस पर रोक लगायी गयी; जानिये 'भारत रत्न' का इतिहास!

By निशा डागर

'भारत रत्न' की स्थापना साल 2 जनवरी 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गयी थी। यह सम्मान कला, साहित्य, विज्ञान, सामाजिक सेवा के के साथ-साथ किसी भी क्षेत्र के व्यक्ति को उसके अभूतपूर्व युगदान और उपलब्धियों के लिए दिया जा सकता है। 

एक और दंगल : पिता ने देखा था ओलंपिक में मेडल जीतने का सपना, आज बेटी ने किया पूरा!

By निशा डागर

16 वर्षीय भारतीय रेसलर सिमरन अहलावत ने हाल ही में हुए यूथ ओलंपिक में सिल्वर पदक जीतकर न केवल अपने पिता राजेश अहलावत का बल्कि पुरे देश का सिर गर्व से ऊँचा किया है। आज सिमरन भारत की दूसरी लड़की पहलवान है जिसने यूथ ओलंपिक में मेडल जीता है।