दादी-चाची के हाथों से बने भोजन का स्वाद ही कुछ और होता है। इसी स्वादिष्ट स्वाद को घर-घर तक पहुँचाने के लिए मुरली गुंडन्ना ने बेंगलुरु में अपनी कॉर्पोरेट नौकरी छोड़ने का फैसला किया। उन्होंने “फ़ूड बॉक्स” नाम से एक स्टार्टअप की शुरूआत की जहाँ से घर का पका खाना लिया जा सकता है।
कर्नाटक से ताल्लुक रखने वाले 89 वर्षीय शरणबासवराज बिसराहल्ली ने हाल ही में पीएचडी में दाखिला लेने के लिए प्रवेश परीक्षा दी है। जी हाँ, साल 1929 में जन्में और एक स्वतंत्रता सेनानी रहे शरणबासवराज को हमेशा से ही पढ़ने का शौक रहा है।