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एशियाई खेल

बाढ़ में सीखनी पड़ी थी तैराकी, आज रिकॉर्ड बनाकर किया देश का नाम रौशन

By निशा डागर

शम्स आलम एक भारतीय पैरा एथलीट हैं, जिन्होंने पैरा तैराकी में कई रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं और कई मैडल भी जीते हैं।

कप्तान हवा सिंह: भारत का वह चैंपियन बॉक्सर, जिसने हरियाणा को बॉक्सिंग सिखाई!

By निशा डागर

भारतीय सेना में कप्तान और बॉक्सर हवा सिंह का जन्म 16 दिसंबर 1937 को हरियाणा में भिवानी जिले के उमरवास गाँव में हुआ था। हवा सिंह ने साल 1961 से लेकर 1972 तक लगातार 11 बार नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती। वे इकलौते भारतीय बॉक्सर हैं जिन्होंने एशियाई खेलों में बॉक्सिंग में दो स्वर्ण पदक जीते।

बिना पंखे और बिना दीवारों के इस टिन की छत के तले मिला प्रशिक्षण; आज देश के लिए जीते हैं गोल्ड!

By निशा डागर

एशियाई खेलों में 16 वर्षीय सौरभ चौधरी ने एयर पिस्तौल (10 मीटर) में गोल्ड मेडल जीता है। उनकी जीत ने उत्तर-प्रदेश के बाघपत ज़िले के बिनौली में वीर शाहमल राइफल क्लब की अनोखी कहानी से आज सबको रूबरू करवाया है। यहीं पर साल 2015 में 13 वर्षीय सौरभ ने ट्रेनिंग ली थी। सौरभ एक गन्ना किसान के बेटे हैं।

भगवान सिंह ने रोइंग में जीता ब्रॉन्ज़ मेडल; कभी मजबूरी में पढ़ाई छोड़कर की थी सेना में नौकरी!

By निशा डागर

अक्सर हमें खेलों के इतिहास में खिलाडियों के संघर्ष की ऐसी सच्ची कहानियां सुनने को मिलती हैं जो सबके दिलों को छु जाती हैं। ऐसी ही संघर्ष भरी कहानी है भारतीय सेना के रोवर (नाव खेने वाला) भगवान सिंह की। मोगा से लेकर एशियाई खेल 2018 तक की उनकी कहानी प्रेरणास्पद है।

दिव्या काकरान का संघर्ष : माँ घर पर लंगोट सीलती और पिता जगह-जगह होने वाले दंगलों में बेचते!

By निशा डागर

जब से एशियाई खेल 2018 शुरू हुए हैं भारत हर दिन कुश्ती में मेडल जीत रहा है। मंगलवार को दिव्या काकराण ने इंडोनेसिया में 68 किलोग्राम केटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता है। मैच में उनकी प्रतिद्विंदी चीनी ताइपे की चेन वेनलिंग थीं। जिन्हें उन्होंने बहुत ही शानदार तरीके से काबू कर मात्र डेढ़ मिनट में मैच खत्म कर दिया। 

कविता ठाकुर: ढाबे पर काम करने से लेकर एशियाड में गोल्ड मेडल जीतने तक का सफ़र!

By निशा डागर

हिमाचल प्रदेश में मनाली से 6 किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव जगतसुख से ताल्लुक रखने वाली कविता ठाकुर भारतीय महिला कबड्डी टीम का अहम् हिस्सा हैं। उन्होंने अपनी ज्यादातर ज़िन्दगी जगतसुख के एक छोटे से ढ़ाबे में बितायी है। इस 24 वर्षीय खिलाडी ने साल 2104 के एशियाड खेलों में भारत को गोल्ड मेडल दिलाने में बेहतरीन भूमिका निभाई थी।

अपने पिता के अंतिम संस्कार को छोड़ किया भारत का प्रतिनिधित्व, जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप में भारत को बनाया चैंपियन!

By निशा डागर

आने वाले एशियाई खेलों में भारतीय टीम के गोलकीपर के रूप में दूसरे विकल्प के तौर पर कृष्ण पाठक हैं। उनकी कहानी भी भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली जैसी है। उनके अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट से दो दिन पहले उनके पिता का देहांत हो गया था। हालांकि, फिर भी उन्होंने टीम के लिए खेला।

तबेले में रहने से लेकर भारत के लिए मेडल जीतने का सफर, खुशबीर कौर एक प्रेरणा हैं!

By निशा डागर

25 साल की खुशबीर कौर ने साल 2014 में साउथ कोरिया में हुए एशियाई खेलों में महिलाओं की 20 किलोमीटर की दौड़ प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया था। पंजाब में अमृतसर के रसुलपुर कलान गांव से ताल्लुक रखने वाली खुशबीर को पिछले साल अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया था।