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इंसानियत

जानवरों के लिए खर्च करते हैं आधी से ज्यादा कमाई, जंगलों में भी जाकर खिलाते हैं खाना

By निशा डागर

आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले में रहनेवाले बाशा मोहीउद्दीन, पिछले 10 सालों से बेजुबानों के लिए खाने और पानी का इंतजाम कर रहे हैं।

कुत्ते को गटर से पानी पीता देख शुरू की पहल, अब तक बाँट चुके हैं 25,000 पानी के बर्तन

By निशा डागर

कर्नाटक के तुमकुर में रहने वाले जैन सनी हस्तीमल ने लगभग सात साल पहले, बेसहारा जानवरों को पानी पिलाने के लिए Water For Voiceless अभियान की शुरुआत की थी।

वीकेंड पर लेती हैं खाने के ऑर्डर, उन पैसों से खिलाती हैं बेसहारा जानवरों को खाना

By निशा डागर

लुधियाना में रहने वाली रूह चौधरी, पिछले कई सालों से इको-फ्रेंडली तरीकों से अपना जीवन जी रही हैं और साथ ही, वह हर दिन लगभग 75 बेसहारा जानवरों को खाना खिलाती हैं।

24 घंटे मरीज़ों के लिए खुला रहता है यह क्लिनिक, डॉक्टर की फीस मात्र 10 रुपये

By निशा डागर

ध्र प्रदेश के कडप्पा जिले में 28 वर्षीया डॉ. नूरी परवीन, जरूरतमंद और गरीब लोगों के लिए क्लिनिक चला रही हैं, जहाँ वह मात्र 10 रुपये में मरीज़ों का इलाज करती हैं।

अनपढ़ पिता के सिखाए मूल्यों ने बनाया पुलिस अधिकारी, लावारिस लाश को कंधा दे कायम की मिसाल

पुलिस के लिए हमारे मन में अक्सर एक नकारात्मक छवि रहती है। लेकिन, आंध्र प्रदेश के कोशी बग्गा पुलिस स्टेशन में एसआई के रूप में तैनात कोट्टुरू सिरीशा ने एक लावारिस लाश को 2 किमी तक कंधा देकर, एक नई मिसाल कायम की है।

बीमार-ज़रूरतमंद लोगों को अपने ऑटो से मुफ़्त में अस्पताल पहुंचता है यह ऑटो वाला!

By निशा डागर

सुनील अपने ऑटो में दिव्यांग और गरीब लोगों को 1.5 किलोमीटर तक मुफ़्त में सवारी देते हैं।

पिछले 26 सालों से गरीब और बेसहारा मरीजों की देखभाल कर रहे हैं पटना के गुरमीत सिंह!

By निशा डागर

पटना के चिरायतंद इलाके में रेडीमेड कपड़ों की दुकान के मालिक गुरमीत सिंह पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (पीएमसीएच) के गरीब और अपने परिवार द्वारा छोड़े हुए बेसहारा मरीजों के लिए रोज रात को खाना लाते हैं। गुरमीत पिछले तीन दशकों से ऐसा कर रहे हैं।

मुंबई के इस शख्स ने 40 अच्छे काम करके मनाया 40वां जन्मदिन; 'अब आपकी बारी'!

By निशा डागर

मुंबई के रुषभ तुरखिया ने अपने 40वें जन्मदिन पर 'योर टर्न नाउ' की पहल शुरू की। यह पहल आज एक ग्लोबल चेन बन चुकी है। आपको कभी भी अगर किसी के कुछ अच्छा करने का मौका मिलता है तो आप उस व्यक्ति को 'योर टर्न नाउ' कार्ड्स देकर और किसी के लिए अच्छा करने को प्रेरित करें।

इस मुस्लिम युवक ने रोज़ा तोड़ बचायी एक अंजान हिन्दू की जान, रक्तदान करने के लिए खाया खाना!

By निशा डागर

जहां एक तरफ आये दिन देश में राजनैतिक दल धर्म और जाति के नाम पर लोगों को बांटकर अपनी रोटियां सेंकते हैं वहीं देश के युवाओं की सोच दिन-प्रतिदिन इन धर्म और जात-पात के पाखंडो से ऊपर उठ रही है। देहरादून के आरिफ़ खान इसी उम्दा सोच का उदहारण है जिन्होंने एक इंसान की जान बचने के लिए धर्म को नहीं बल्कि इंसानियत को महत्व दिया।