कर्नाटक के तुमकुर में रहने वाले जैन सनी हस्तीमल ने लगभग सात साल पहले, बेसहारा जानवरों को पानी पिलाने के लिए Water For Voiceless अभियान की शुरुआत की थी।
लुधियाना में रहने वाली रूह चौधरी, पिछले कई सालों से इको-फ्रेंडली तरीकों से अपना जीवन जी रही हैं और साथ ही, वह हर दिन लगभग 75 बेसहारा जानवरों को खाना खिलाती हैं।
ध्र प्रदेश के कडप्पा जिले में 28 वर्षीया डॉ. नूरी परवीन, जरूरतमंद और गरीब लोगों के लिए क्लिनिक चला रही हैं, जहाँ वह मात्र 10 रुपये में मरीज़ों का इलाज करती हैं।
पुलिस के लिए हमारे मन में अक्सर एक नकारात्मक छवि रहती है। लेकिन, आंध्र प्रदेश के कोशी बग्गा पुलिस स्टेशन में एसआई के रूप में तैनात कोट्टुरू सिरीशा ने एक लावारिस लाश को 2 किमी तक कंधा देकर, एक नई मिसाल कायम की है।
पटना के चिरायतंद इलाके में रेडीमेड कपड़ों की दुकान के मालिक गुरमीत सिंह पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (पीएमसीएच) के गरीब और अपने परिवार द्वारा छोड़े हुए बेसहारा मरीजों के लिए रोज रात को खाना लाते हैं। गुरमीत पिछले तीन दशकों से ऐसा कर रहे हैं।
मुंबई के रुषभ तुरखिया ने अपने 40वें जन्मदिन पर 'योर टर्न नाउ' की पहल शुरू की। यह पहल आज एक ग्लोबल चेन बन चुकी है। आपको कभी भी अगर किसी के कुछ अच्छा करने का मौका मिलता है तो आप उस व्यक्ति को 'योर टर्न नाउ' कार्ड्स देकर और किसी के लिए अच्छा करने को प्रेरित करें।
जहां एक तरफ आये दिन देश में राजनैतिक दल धर्म और जाति के नाम पर लोगों को बांटकर अपनी रोटियां सेंकते हैं वहीं देश के युवाओं की सोच दिन-प्रतिदिन इन धर्म और जात-पात के पाखंडो से ऊपर उठ रही है। देहरादून के आरिफ़ खान इसी उम्दा सोच का उदहारण है जिन्होंने एक इंसान की जान बचने के लिए धर्म को नहीं बल्कि इंसानियत को महत्व दिया।