बुरहानपुर के आदिवासी बाहुल्य झांझर गांव में करीब दस साल पहले तक रूढ़िवादी सोच के चलते बेटियां पांचवीं क्लास से आगे नहीं पढ़ पाती थीं। लेकिन एक महिला ने अकेले दम पर इस आदिवासी समाज में शिक्षा की लौ जला दी है। कमलाबाई ने इन हालातों को बदलने का बीड़ा उठाया और आज गांव की 50 से ज़्यादा बेटियां स्कूल और कॉलेज तक में पढ़ाई कर रही हैं।
साल 2007 में महेश शर्मा ने शिवगंगा संगठन की नींव रखी थी, जिसका उद्देश्य है, 'विकास का जतन!' जल और जंगल के संरक्षण के साथ-साथ यह संगठन यहाँ युवाओं को उद्यमिता का कौशल भी सिखा रहा है!
लद्दाख के सुमदा चेंमो गाँव में जब पारस लूम्बा और उनकी टीम ने बिजली लगाई तो जलते हुए बल्ब को देखकर एक बुजुर्ग की आँखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा, "मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरा घर रात में भी रौशन हो सकता है।"
इन युवाओं ने गाँव में पॉलिथीन के इस्तेमाल पर रोक लगाने, महिलाओं के लिए खेल प्रतियोगिता आयोजित करने और बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए स्कॉलरशिप देने की भी शुरुआत की है!
"इस क्षेत्र में काम करने का सबसे चुनौतीपूर्ण पहलू था उनको विश्वास दिलाना कि मैं सच में एक डॉक्टर हूँ और दूसरा ब्रेन हमरेज के रोगियों का इलाज करना वो भी जगह व बिजली जैसी मूल सुविधा के बिना।"