मेरठ की सुमिता सिंह जब भी अपने बचपन को याद करतीं, उन्हें असम की हरियाली याद आती। पर यहाँ न आँगन था, न छत! फिर क्या, उन्होंने अपनी छोटी सी बालकनी में ही 300 से ज़्यादा पौधे लगा दिए। आप भी लीजिए उनसे बागवानी के कुछ टिप्स।
नोएडा की महिला उद्यमी, समीक्षा गनेरीवाल ने एक Startup लॉन्च किया है, जहाँ वह 100% कम्पोस्टेबल कागज़ से बोतलें बना रही हैं। Say no to plastic और आज ही अपनाएं यह इको-फ्रेंडली बोतल।
उत्तर प्रदेश में जौनपुर के रहनेवाले, 62 वर्षीय रामचंद्र दूबे पहले ऑटो चलाया करते थे, लेकिन पिछले चार सालों से वह किसानों से मशरूम खरीदकर उनसे खाने की चीज़ें बनाते हैं और लाखों का मुनाफा हैं।
वाराणसी के संदीप सरन, 'काठ कागज' नामक होम-स्टूडियो चलाते हैं, जहाँ बेकार पड़ी लकड़ियों का इस्तेमाल कर, वह अपने ग्राहकों की जरूरतों के मुताबिक़ Sustainable Furniture बनाकर देते हैं।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के नारायणपुर गांव में रहने वाले तीन भाइयों, श्वेतांक पाठक, रोहित आनंद पाठक, मोहित आनंद पाठक और उनके चाचा, जलज जीवन पाठक ने गांव वालों की मदद करने के लिए, अपनी-अपनी नौकरी छोड़कर, ‘उदेस पर्ल फार्म्स’ की स्थापना की। यहाँ मोती पालन के ज़रिए वे, 180 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहे हैं।