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द बेटर इंडिया की कहानी का असर, गांव के एग्रो टूरिज्म से जुड़े 10 हज़ार किसान

By प्रीति टौंक

राजस्थान के एक छोटे से गांव में बने दो दोस्तों के एग्रो टूरिज्म को सफल बनाने में द बेटर इंडिया ने निभाई अहम भूमिका। एक तरफ यहां आने वाले मेहमानों की संख्या दुगुनी हो गयी है, वहीं ट्रेनिंग के लिए इनसे जुड़े देशभर के 10 हजार किसान।

द बेटर इंडिया से गार्डनिंग सीखकर बनीं अर्बन गार्डनर, छत पर ही उगाए 20 तरह के फल

By प्रीति टौंक

मिलिए हरिद्वार की डॉ. अंशु राठी से; जिन्होंने अपनी बेटी को घर की ऑर्गेनिक फल-सब्जियां खिलाने के लिए साल 2013 में गार्डनिंग शुरू की थी। उनके इस सफर में द बेटर इंडिया भी उनका साथी रहा है! जानिए कैसे..

द बेटर इंडिया की कहानी का असर, वर्मीकम्पोस्ट का काम 200 बेड्स से बढ़कर पहुंचा 1100 तक

By प्रीति टौंक

Ph.d. की पढ़ाई करने के बाद वर्मीकम्पोस्ट का काम शुरू करने वाले जयपुर के डॉ. श्रवण यादव को लोगों ने कहा- डॉक्टर होकर खाद बेचोगे। आज वह हजारों युवाओं को ट्रेनिंग दे रहे हैं और खुद भी लाखों रुपये कमा रहे हैं। अपनी सफलता का श्रेय वह द बेटर इंडिया को देते हैं।

'द बेटर इंडिया' की कहानी का असर, रोड से शुरू हुए बैम्बू बिज़नेस को देशभर से मिले ऑर्डर्स

By प्रीति टौंक

पूर्णिया, बिहार के माँ-बेटे की जोड़ी, आशा अनुरागिनी और सत्यम् सुंदरम् ने पर्यावरण के प्रति अपने लगाव के कारण बैम्बू के बिज़नेस की शुरुआत की थी, लेकिन पैसों की तंगी की वजह से वे ज़्यादा मार्केटिंग नहीं कर पाए थे। पर आज उनके प्रोडक्ट्स देशभर में बिक रहे हैं, जिसका श्रेय वे @TheBetterIndia-Hindi में छपी कहानी को देते हैं।

सस्टेनेबल टूरिज़्म अवॉर्ड : द बेटर इंडिया के अनोखे पुरस्कार के लिए हीरो को करें नॉमिनेट

By पूजा दास

द बेटर इंडिया ने एक अनोखे तरह के पुरस्कार की शुरुआत की है। सस्टेनेबल टूरिज़्म अवॉर्ड के तहत उन हीरोज़ को सम्मानित किया जाएगा, जो टूरिज़्म के क्षेत्र में बेहतरीन काम कर रहे हैं और जिनके काम का इस क्षेत्र में पॉज़िटिव प्रभाव पड़ा है।

न सड़क, न बिजली, फिर भी सीखा प्लास्टिक से प्रोडक्ट बनाना, दिया कई महिलाओं को रोज़गार

By अर्चना दूबे

काजीरंगा (असम) के छोटे से गाँव (बोसागांव) में रहने वाली रूपज्योति गोगोई, प्लास्टिक को रीयूज़ करके उससे बैग्स बनाती हैं।

पहाड़ों में नहीं, बेंगलुरु शहर की अपनी बालकनी में उगा रहे हैं सेब, जानिए कैसे

By अर्चना दूबे

57 वर्षीय कॉन्सेप्ट आर्टिस्ट और फोटोग्राफर विवेक विलासिनी, बेंगलुरु स्थित अपने घर की बालकनी में ही सेब और एवाकाडो जैसे फल उगा रहे हैं।