मुगलों और उनकी लाइफस्टाइल ने हमारे खान-पान पर गहरा असर छोड़ा। ऐसा माना जाता है कि 18वीं शताब्दी में मुगल खानसामों ने पाचन में सुधार के लिए दही, जड़ी-बूटियों और मसालों का इस्तेमाल करके मुगल रसोई में दही वड़े को तैयार किया था। लेकिन कहानियां और भी हैं.. आइए जानते हैं इस चटपटे व्यंजन का खट्टा-मीठा इतिहास।
बोड्डू नागा लक्ष्मी एक YouTuber हैं, जो ठीक से देख नहीं सकतीं। लेकिन ‘कविता नागा व्लॉग्स’ नाम से एक YouTube चैनल चलाती हैं, जहां वह आंध्रा के कई स्वादिष्ट व्यंजन बनाना सिखाती हैं। आज उनके चैनल के करीब 2.5 लाख सब्सक्राइबर्स हैं।
केरल की फूड एंटरप्रेन्योर रनिता शाबू ने अपने बिजनेस की शुरुआत 2005 में की थी। इसके तहत वह इडली से लेकर, इडियप्पम, वट्टायप्पम, चक्कायदा, चक्का वट्टायप्पम, नय्यप्पम, उन्नीअप्पम, कोज्हुकत्ती और पलाप्पम जैसे दक्षिण भारतीय व्यंजनों को सर्व करती हैं।