मिलिए बिसलपुर के रहने वाले काना राम मेवाड़ा से, जो एक चाय की दुकान चलाने के साथ अपने गांव को प्लास्टिक फ्री भी बना रहे हैं। पढ़ें, उनकी स्पेशल मुहिम के बारे में, जिसके कारण आज हजारों किलो प्लास्टिक लैंडफिल में जाने से बच गया।
केरल के एर्नाकुलम में रहने वाले विनय कुमार बालाकृष्णन ने सीएसआईआर- नैशनल इंस्टिट्यूट फॉर इंटरडिसिप्लिनरी साइंस एंड टेक्नोलॉजी (NIIST) के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर गेहूं के चोकर से बायोडिग्रेडेबल सिंगल यूज क्रॉकरी बनाई है।
फरीदाबाद में ऑटो पिन स्लम में रहने वाले 20-25 बच्चों ने पहले साथ में मिलकर प्लास्टिक की खाली-बेकार पड़ी बोतलों और अन्य कचरे से 300 से भी ज्यादा 'इको ब्रिक' बनाई हैं और इन इको ब्रिक का इस्तेमाल उन्होंने अपने स्लम में 'इको बेंच' बनाने के लिए किया है।