एक गरीब माँ को अपने दिव्यांग बच्चे के साथ देखकर, आगरा के अनिल जोसेफ को ऐसे और बच्चों की मदद करने का ख्याल आया। उन्होंने ऐसे गरीब और बेसहारा दिव्यांग बच्चों के लिए एक एनजीओ शुरू करके एक शेल्टर होम बनाया, जो आज 75 विशेष बच्चों का घर बन चुका है।
साल 2018 से यमुनानगर के रहनेवाले सरदार जसकीरत सिंह और उनका पूरा परिवार मिलकर ‘नि आसरे दा आसरा' नाम से एक शेल्टर होम चला रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने 173 लोगों को फिर से अपने परिवार से मिलने में मदद भी की है।
साल 2016 से राजकोट के उपलेटा तालुका की किरण पिठिया, अपने पति रमेश पिठिया के साथ मिलकर, गरीब और बेसहारा मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए एक विशेष संस्था चला रही हैं, जहां इन बच्चों की मुफ्त में सेवा की जाती है।
अपनी शारीरिक कमजोरी को ताकत बनाकर जूनागढ़ की नीलम बेन परमार अपनी बहन रेखा बेन परमार के साथ मिलकर, ‘सांत्वन विकलांग विकास मंडल’ नाम की संस्था के जरिए 40 ऐसे बच्चों के सेवा का काम कर रही हैं जो मानसिक रूप से कमजोर हैं।