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3 हेक्टेयर जमीन और 70 प्रजाति के लाखों पेड़, कैसे इस रिटायर्ड फौजी ने बदली गांव की किस्मत

उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग के कोटमल्ला गांव के रहनेवाले जगत सिंह चौधरी ने बीते चार दशकों में एक ऐसे मिश्रित वन को विकसित किया है, जिसमें देवदार, बांज, चीड़ जैसे 70 तरह के पांच लाख से अधिक पेड़ हैं। उनकी इस कोशिश से स्थानीय समुदायों को काफी फायदा हो रहा है।

इनके बिजली बिल में हो गयी है 40% की कटौती, जानना नहीं चाहेंगे, कैसे?

By निशा डागर

बेंगलुरु में रहने वाले एन. रामकृष्णन बता रहे हैं कि रिटायरमेंट के बाद, जब आपकी नियमित आमदनी नहीं होती, तब आप कौनसे छोटे-छोटे कदम उठाकर, अपना खर्चा कम कर सकते हैं।

शहर में रहते थे बीमार, गाँव पहुंचे, पथरीली जमीन पर लगाए 1400 पेड़ और हो गए स्वस्थ

By निशा डागर

उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग जिले के सेमलता गाँव के रहने वाले 67 वर्षीय सोबत सिंह बागड़ी रिटायर्ड बैंक मैनेजर हैं और पिछले सात सालों में उन्होंने पथरीली जमीन पर 1400 पेड़-पौधे लगाकर इसे हरा-भरा कर दिया है।

शहर के बीचोबीच घर, फिर भी मिलती है शुद्ध हवा, पानी और भोजन, साथ ही कमाते हैं 70,000 रुपये

By प्रीति टौंक

मंजू नाथ और उनकी पत्नी गीता ने बेंगलुरु जैसे बड़े शहर में इको फ्रेंडली घर बनाया है। बिजली-पानी के साथ, अपने उपयोग के लिए सब्जियां उगाने के लिए भी वे प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।

अपनी ही ज़मीन से निकली मिट्टी से बनाया घर, लगाए 800 पेड़-पौधें, न AC, न कूलर, न बिजली बिल

By निशा डागर

तमिलनाडु में पोल्लाची के एक गाँव के रहने वाले रामचंद्रन सुब्रमणियन एक इको-फ्रेंडली घर में रहते हैं, जहाँ उनके बिजली और पानी का बिल एकदम जीरो आता है।

पूर्व-आर्मी डॉक्टर ने शुरू किया अभियान, टीम के साथ मिलकर लगाए 60 हजार पेड़-पौधे

By निशा डागर

कैंसर को मात देकर, पूर्व-आर्मी डॉक्टर नितिन पांडे ने अपनी टीम के साथ मिलकर देहरादून में 'सिटीजन्स फॉर ग्रीन दून' की शुरुआत की।

"धान के लिए जितना पानी लेता हूँ, उसका 4 गुना जमीन को वापस देता हूँ"

By निशा डागर

करनाल, हरियाणा में रहने वाले 32 वर्षीय किसान, नरेन्द्र कम्बोज अपने खेत में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाकर, अपनी फसल और पानी, दोनों बचा रहे हैं।

30 सालों तक लगाते रहे पौधे और जीवित कर दिया गाँव का सूखा झरना

By निशा डागर

उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में सिरकोट गाँव के रहने वाले 55 वर्षीय जगदीश चंद्र कुनियाल ने पिछले 30 सालों में लगभग 15000 पेड़-पौधे लगाकर, गाँव के पुराने झरने को एक बार फिर से जीवित कर दिया है।

उत्तराखंड के 78 वर्षीय पूर्व IAF पायलट स्टीव लाल ने दिन-रात संघर्ष कर बचाया 140 एकड़ जंगल

By निशा डागर

उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में 140 एकड़ में फैले अपने 'जिलिंग एस्टेट' की देखभाल के लिए 78 वर्षीय स्टीव लाल, भारतीय वायु सेना की नौकरी छोड़ कर वापस आ गए थे और तब से वह यहां पर लगाए अपने बाग, जंगल और जीव-जंतुओं की देखभाल कर रहे हैं।

ओडिशा: युवाओं की टोली ने पेश की मिसाल, एक महीने में समुद्र-तट साफ़ कर किया कमाल

By निशा डागर

ओडिशा के पुरी में अस्त रंगा बीच को साफ़ करने के लिए सौम्या बिस्वाल और उनके दोस्तों ने एक महीने तक हर दिन 10 से 12 घंटे काम किया है!