केरल के कोल्लम जिले में कोट्टाराकरा के रहने वाले 41 वर्षीय डॉ. हरि मुरलीधरन, पिछले 10 सालों से अपने खेत में लगभग 800 विदेशी प्रजातियों के फलों के पेड़-पौधे उगा रहे हैं। जिनमें सॉनकोय, अलामा, यूगु, बिगनेय आदि शामिल हैं।
मोहाली, पंजाब के रहने वाले 57 वर्षीय किसान, चरणदीप सिंह अपनी सात एकड़ जमीन पर गेहूं, चावल, दाल, मौसमी सब्जियां, मसाले और कई तरह के फल उगा रहे हैं। कुदरती तरीकों से खेती करने के कारण, उनके खेतों में 50 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षी आते हैं।
पंजाब के फाजिल्का में गांव ढिंगावाली के रहने वाले 60 वर्षीय किसान, सुरेंद्र पाल सिंह अनाज, दलहन, तिलहन और फलों के साथ-साथ, देसी कपास की भी जैविक खेती करते हैं। वह खुद अपने कपास की प्रोसेसिंग कर, इससे त्वचा के लिए उपयुक्त जैविक कपड़े भी बनवा रहे हैं।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हिमरोल गाँव के रहने वाले किसान, भरत सिंह राणा, अपनी ब्रांड, 'यमुना वैली प्रोडक्ट्स' के ज़रिए, अपने खेतों में उगने वाले अनाज, दाल, और फलों की प्रोसेसिंग करके, उत्पादों को बाज़ारों तक पहुंचा रहे हैं!
गुजरात के देवपुरा गाँव में रहने वाले चिंतन शाह MBA कर चुके हैं पर आज वह अपने खेत में केले, हल्दी, अदरक, सब्ज़ियाँ और गेहूं जैसी फसलें उगाकर लाखों कमा रहे हैं।
महाराष्ट्र के अहमद नगर स्थित गुंडेगाँव में रहने वाले संतोष भापकर और उनकी पत्नी ज्योति, अपने ब्रांड 'संपूर्ण शेतकरी के ज़रिए पुणे और मुंबई के 50 से ज़्यादा आउटलेट और 200 से ज़्यादा घरों में उत्पाद पहुँचा रहे हैं!
केरल के तुम्बुर के रहने वाले टॉम किरण डेविस लगभग 5 साल पहले दुबई में नौकरी छोड़कर अपने देश लौटे और अपने गाँव में खाली और बंजर पड़ी ज़मीन पर जैविक खेती शुरू की!
केरल के कोक्कवड गाँव के रहने वाले जोशी मैथ्यूज के पास 0.25 एकड़ जमीन है, जहाँ उन्होंने जैविक खेती और मछली पालन से लेकर मधुमक्खी पालन की सुविधा भी विकसित कर ली है।
आकाश की करीब 2 साल पुरानी लिविंग फूड कंपनी ‘फार्म टू फार्क’ के सिद्धांत पर काम करती है और ताजा सब्जियां, बेक्ड ब्रेड, आदि सीधे अपने ग्राहकों के दरवाजे तक पहुँचाती है।
केरल के पलक्कड़ जिले में रहने वाले पी. थंकामणि और ए. नारायणन रिटायरमेंट के बाद से अपनी साढ़े सात एकड़ ज़मीन पर 50 तरह के साग-सब्ज़ियाँ और फल उगा रहे हैं!