अब दार्जिलिंग, सिलीगुड़ी और कलिम्पोंग के खास उत्पादों को चखने के लिए किसी का इंतज़ार करने की ज़रुरत नहीं है। ‘दम्मी’ (Daammee) नाम के स्टार्टअप ने यहाँ की चीज़ों को ऑनलाइन बेचना शुरु किया है। इसके ज़रिए आप देश में कहीं भी यहाँ के कॉटेज इंडस्ट्री के विभिन्न प्रोडक्ट पा सकते हैं।
मोहान बोरा की 'अन्नपूर्णा लाइब्रेरी' का सिद्धांत है कि बीज बोइए, कुछ फसल में जाने दीजिए और कुछ को सहेजिए ताकि दूसरों को उगाने के लिए दिया जा सके। फिर अन्य किसान चाहें तो कुछ आपको वापस कर सकते हैं और कुछ आगे दूसरे किसानों को दें!
दीपेन का मानना है कि यदि लोग यह काम सीखते हैं और शिल्प को आगे ले जाते हैं तो वही सबसे अच्छा शुल्क होगा। वह अपने छात्रों को हर दिन मुफ्त भोजन भी प्रदान करते है।
लंदन से मास्टर डिग्री लेने वाली मुदिता आसपास डायबिटीज के मरीज़ों को देखकर परेशान थीं। इसलिए उन्होंने सोचा कि वह काले चावल को पूर्वोत्तर से बाहर दूसरे राज्यों के बाजारों में उपलब्ध करा सकतीं हैं।
अपने देश-दुनिया के असल सौंदर्य को देखने-समझने, उसकी समृद्ध संस्कृति, परंपराओं और सीधी-सरल जीवनचर्या से मिलने के लिए गाँव-देहात आज भी सबसे आदर्श मंजिल हैं। और शहर से गांव तक के इस सफर में क्या पता कब-कहाँ आपका अपना अतीत मिल जाए! कौन जाने, किस मोड़ पर कोई ठहरा-सा पल दिख जाए।