पंजाब के अमृतसर जिला के धरदेव गाँव के रहने वाले मंदीप को मशरूम खेती के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए साल 2017 में आईसीएआर द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
विनोद ने इंटरनेट से मिलिट्री मशरूम की खेती के तरीके को सीख कर, अपने एक 15x15 के कमरे को लैब में बदल दिया और करीब 1 लाख रुपए से सभी संसाधनों को जुटा कर, इसकी खेती शुरू कर दी।
आज उत्तराखंड में खेती-किसानी के क्षेत्र में दिव्या का एक जाना-माना नाम है। लोग उन्हें ‘मशरूम गर्ल’ के नाम से जानते हैं। खेती कार्यों में उनके उल्लेखनीय योगदानों के लिए साल 2016 में उन्हें भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
इस साल 'द बेटर इंडिया' पर जिन भी किसानों की कहानियाँ लिखी गयी हैं, सभी अपने आप में खास हैं। पर आज हम उन कहानियों को एक बार फिर आपके सामने रख रहे हैं, जिन्हें आपने सबसे ज़्यादा पढ़ा और सराहा है!