बनारसी पान तो पूरी दुनिया में मशहूर है, लेकिन मद्रासी, कपूरी, सुहागपुरी, रामटेकी, महोवा पान भी कम नहीं। पान का पत्ता चखते ही उसकी क़िस्म के बारे में बता देने वाले महारथी भी देश में कम नहीं हैं। पान का यह पत्ता हमारे खान-पान और संस्कृति के ताने-बाने में कुछ इस तरह से रचा बसा है कि इसे नज़रअंदाज़ करना मुश्किल है। इसे हम आज भी वहीं पाते हैं, जहां यह सदियों पहले था।
लड्डू को सबसे पहले किसी हलवाई ने नहीं, बल्कि 4th सेंचुरी बीसी में भारतीय चिकित्सक सुश्रुत ने बनाया था और इसे दवाई की तरह इस्तेमाल किया जाता था। कैसे लड्डू ने दवाई से मिठाई का रुप लिया, आइए जानते हैं इसके मज़ेदार इतिहास के बारे में...
ऐसा माना जाता है कि अकबर के दरबार में अबुल फज़ल प्रतिदिन 30 मन खिचड़ी पकाता था और उसके घर से गुज़रने वाला कोई भी व्यक्ति 24 घंटे खिचड़ी का स्वाद ले सकता था। इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि कितना विशाल और पुराना है हमारे देश में खिचड़ी का इतिहास!