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निराला : ध्रुपद : गुंदेचा बंधु : अंतिम प्रणाम

By मनीष गुप्ता

आइये एक चाय पद्म श्री रमाकांत गुंदेचा जी के नाम पी जाए. जिनका कुछ दिनों पहले 57 वर्ष की अल्पायु में आकस्मिक निधन हुआ है.

छठ पूजा : संगीत का हुस्न : नास्तिकता

By मनीष गुप्ता

आज शनिवार की चाय के साथ आइये हम कुछ सामाजिक, धार्मिक बेड़ियाँ तोड़ें और हमारे देश की सांस्कृतिक समृद्धि के इस फूल की ख़ुशबू का रस लें :)

वो आदमी कभी औरत था

By मनीष गुप्ता

ऐसा हो सकता है कि कोई मन अपने शरीर से सामंजस्य न बैठा पाए. उसे ऐसा लगे कि मैं (मन) हूँ तो स्त्री लेकिन एक पुरुष के शरीर में बेहतर रहता, या इसका उलट कि हूँ तो पुरुष लेकिन मेरा शरीर स्त्री का होना चाहिए था.

कौवा है, घड़ा है, कंकड़ है, पानी है 

By मनीष गुप्ता

* 'धूप में घोड़े पर बहस' यह केदारनाथ सिंह की एक प्रसिद्ध कविता है. आज शनिवार की चाय में यह कविता आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं राष्ट्रीय पुरुस्कार विजेता फिल्मकार / अभिनेता रजत कपूर :

आवारागर्द लड़कियाँ

By मनीष गुप्ता

नारी-विमर्श में पुरस्कार प्राप्त कवि अपनी पत्नियों को नौकरानी बना कर अपना काम बजा लेने वाली ही समझते हैं. 'उच्छृंखल नदी हूँ मैं' लिखने वाली कवियित्रियाँ एक साँस घुटते रिश्ते में जी रही होती हैं..

पुरानी गली में एक शाम : इब्ने इंशा

By मनीष गुप्ता

आज की शनिवार की चाय का मकसद आपके साथ इब्ने इंशा के लिए उमड़े प्यार को साझा करना है. 'मीठी बातें - सुन्दर लोगों' में अपने आपको गिन लेने वाले इंशा जी को पढ़ना-सुनना आपके मन में सुनहला, सुगन्धित, नशीला धुआँ भर देता है.